Sunday, May 28, 2023
Homeसमाचारजनपदनेपाल में कई स्थानों पर मनी बुद्ध जयंती

नेपाल में कई स्थानों पर मनी बुद्ध जयंती

सगीर ए ख़ाकसार
वरिष्ठ पत्रकार
बढनी(सिद्धार्थनगर), 11 मई। शांति के अग्रदूत गौतम बुद्ध की 2561वीं जयंती पड़ोसी देश नेपाल में धूम धाम से मनाई गई। देश भर के बुद्ध विहार, गुमवामा तथा मठों में विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम , प्रार्थना के अलावा बुद्ध संबंधी प्रवचनों के माध्यम से बुद्ध के शांति, दया, परोपकार और सहिष्णुता का संदेश दिया गया।

बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी में अनेक आयोजन किये गए। जयंती के मौके पर दुनिया भर के भिक्षु और भिक्षुणी तथा श्रद्धालु भक्त जनों को लुम्बिनी में तांता लगा रहा।प्रसिद्ध मायादेवी मंदिर जो यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शुमार है वहाँ प्रार्थना आयोजित हुई। इसके अलावा लुम्बिनी के दर्जनों मंदिरों में भी धार्मिक आयोजन हुआ।
नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहाल के अलावा राष्ट्रपति और सभामुख ने भी देश वासियों को बुद्ध जयंती की शुभकामनाएं दीं।जाने माने चिकित्सक और गांधी आदर्श विद्यालय के प्रबंधक डॉ राकेश प्रताप शाह ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि करीब 2500 वर्ष पूर्व अपने चचेरे भाई देवदत्त की तीर से घायल एक सारस पंक्षी की जान को बचाकर बुद्ध ने दुनिया को यह संदेश दिया था कि मारने वाले से बचाने वाला बड़ा होता है। यहीं से बुद्धम शरणम गच्छामि की भावना का भी संचार होता है। डॉ शाह कहते हैं आज तो बुद्ध और भी प्रासंगिक हो गए हैं।अब जबकि सारी दुनिया मे हिंसक घटनाएं हर रोज़ बढ़ रही है हम सबको बुद्ध के उपदेशों पर अमल करना चाहिए। नेपाली कांग्रेस के युवा नेता अकिल मियां ने बुद्ध को याद करते हुए कहा कि जरूरी है कि हम नई और युवा पीढ़ी को बुद्ध के जीवन मूल्यों औऱ आदर्शों से उन्हें रूबरू कराएं।श्री मियां कहते हैं कि बुद्ध बाल्यकाल से ही दयालु प्रवृत्ति के थे। जन्म के सात दिन के बाद ही उनकी माता महा मायादेवी का निधन हो गया था। नेकपा एमाले के लक्षमण भुषाल कहते हैं भोगविलास का जीवन बुद्ध को बिल्कुल पसंद नही था। वो घुड़सवारी की दौड़ में घोड़े को हांफता देख कर रुक जाते थे।घोड़ों की मुंह से झाग देखकर उनके मन मे दया आ जाती और जीती बाज़ी भी हार जाते थे। सदभावना पार्टी से सांसद पद के प्रत्याशी रहे मिर्ज़ा अरशद कहते हैं कि उन्होंने मोह माया को छोड़कर सन्यासी जीवन को अपनाया । बौद्ध धर्म की स्थापना की।इन्होंने पालि भाषा मे धर्म का प्रचार प्रसार किया। पालि भाषा उस वक्त की आम और सुगम बोली समझी जाती थी।आज के भौतिकवादी युग मे जब भोगविलास जीवन का अहम हिस्सा बनता जा रहा है बुद्ध तब और भी प्रासंगिक हो जाते हैं।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments