स्मृति

“ अपने धुन के पक्के थे युवा कवि धर्मेन्द्र श्रीवास्तव “

गोरखपुर। ” सबसे दुखद बात तब होती है, जब किसी को अपने से काफी कम उम्र के साथी के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करना होता है। “

यह बात गोरखपुर विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के प्रो. राजेश मल्ल ने रविवार को गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब के सभागार में युवा कवि धर्मेन्द्र श्रीवास्तव की याद में आयोजित श्रद्धांजलि सभा में कही। उन्होंने अपने संबोधन को कोरोना त्रासदी से जोड़ते हुए कहा कि युवा कवि धर्मेन्द्र के असामयिक निधन ने साहित्य- संस्कृति से जुड़े लोगों को व्यथित कर दिया है।

श्रद्धांजलि सभा का आयोजन प्रगतिशील लेखक संघ, जनवादी लेखक संघ और जन संस्कृति मंच ने किया था।

प्रगतिशील लेखक संघ, गोरखपुर के अध्यक्ष कलीमुल हक ने इस अवसर पर अपनी यादों को साझा करते हुए कहा कि धर्मेन्द्र श्रीवास्तव धुन के पक्के और स्पष्टवादी सोच के धनी थे।

वरिष्ठ शायर महेश अश्क ने युवा कवि धर्मेन्द्र पर लिखित कविता का पाठ किया, जिसे सुनकर सबकी आँखें नम हो गयीं।

इससे पूर्व कवि प्रमोद कुमार, राजाराम चौधरी, भरत शर्मा, अशोक चौधरी, ओंकार सिंह, अनिल गौतम, जय प्रकाश नायक और अनिल कुमार श्रीवास्तव ने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए अपनी यादें साझा की।

संचालन जलेस के अध्यक्ष जे पी मल्ल ने किया। कार्यक्रम में वीरेंद्र मिश्र दीपक, निखिल पांडेय, रवींद्र मोहन त्रिपाठी, पत्रकार ओंकार धर द्विवेदी, अजीत सिंह एवं भोजपुरी संगम के संयोजक कुमार अभिनीत आदि उपस्थित रहे।

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