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गोरखपुर मंडल की चार चीनी मिलों पर 118 करोड़ का बकाया

गड़ौरा, पडरौना, कप्तानगंज और सरदारनगर चीनी मिलों पर है यह बकाया

गोरखपुर, 15 जनवरी। गोरखपुर मंडल की चार चीनी मिलों पर किसानों का अभी भी 118 करोड़ रूपया बकाया है। इनमें से दो चीनी मिलें तो बंद हैं लेकिन जेएचवी चीनी मिल गड़ौरा और कप्तानगंज चीनी मिल गन्ने की पेराई कर रही हैं।
कई वर्षों से बंद पडरौना चीनी मिल पर 45 करोड़ रूपया बकाया है। इसमें से एक करोड़ रूपया गन्ना समितियों का है जबकि 17 करोड़ रूपया किसानों का गन्ना मूल्य है। कुल बकाए पर ब्याज की रकम जोड़ने के बाद इस चीनी मिल पर कुल देनदारी 45 करोड़ तक पहुंच गई है। किसानों और कुछ जन प्रतिनिधियों द्वारा आंदोलन के बावजूद प्रदेश और केन्द्र सरकार बकाए का भुगतान कराने में विफल साबित हुई हैं। यह चीनी मिल केन्द्र सरकार के उपक्रम एनटीसी की है जिसे चलाने के लिए दो बार निजी क्षेत्र को दिया गया। चीनी मिल कुछ समय के लिए चली और फिर बंद हो गई। लोकसभा चुनाव में पडरौना की सभा में नरेन्द्र मोदी ने चीनी मिल को चलाने का वादा किया था। प्रधानमंत्री बनने के बाद वह 27 नवम्बर को कुशीनगर में परिवर्तन रैली को सम्बोधित करने आए, किसानों के बकाया गन्ना मूल्य भुगतान की चर्चा भी की लेकिन इस चीनी मिल को चलाने और किसानों को पैसा दिलाने के बारे में कुछ नहीं बोले।

j h v sugar mil
जे एच वी शुगर मिल गड़ौरा

इसी तरह कुशीनगर जिले की ही निजी क्षेत्र की कप्तानगंज चीनी मिल पर किसानों को 12.38 करोड़ रूपया बकाया है। यह बकाया पिछले गन्ना सत्रों का है। एक माह पूर्व तक इस चीनी मिल पर 21.76 करोड़ बकाया था जिसमें से इसने करीब नौ करोड़ का भुगतान किया है लेकिन अभी भी चीनी मिल पर 12.38 करोड़ बकाया है।
महराजगंज जिले की गड़ौरा चीनी मिल पर वर्ष 2014-15 सत्र का 29.91 करोड़ और वर्ष 2015-16 का 2.89 करोड़ बकाया है। इस चीनी मिल पर कर्मचारियों के पीएफ का भी दो करोड़ रूपया बकाया है।
गोरखपुर जिले के निजी क्षेत्र की सरैया सुगर मिल पर 28 करोड़ रूपया बकाया है। यह चीनी मिल प्रसिद्ध मजीठिया परिवार की है जो पंजाब की राजनीति में काफी प्रभावशाली है। किसानों का बकाया गन्ना मूल्य वसूलने के लिए कई आरसी जारी हुई, चीनी मिल की सम्पत्ति नीलाम करने की बात कही गई लेकिन यह कार्रवाई आज तक नहीे हो पाई है।

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