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जिनके दामन पर मुसलमानों के खून के धब्बे हों उन्हें फैसला करने का कोई हक नहीं-डॉ अज़ीज़

तीन तलाक के मुखालफत पर सवाल उठाने पर प्रो प्रभाशंकर पांडेय को डॉ अजीज अहमद का करारा जवाब

गोरखपुर, 18 अक्टूबर। मुसलमानों के तीन तलाक व शादी पर पूरे देश में चर्चा हैं। टीवी से लेकर अखबार में यह मसला सुर्खिया बना हुआ हैं। मुसलमानों में बेचैनी है। कोई इसे गलत कह रहा है और कोई इसे सही करार दे रहा हैं। मुसलमान का बहुमत शरीयत के मामलों में दखल के खिलाफ हैं। सोमवार की रात में भी एक वाकिया हुआ। जिससे विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गयी।

हुआ यूं कि सर सैयद डे के मौके पर अलीगढ़ ओल्ड ब्वायज एसोसिएशन ने एक प्रोग्राम निजामपुर स्थित जश्न महल में रखा था। गोरखपुर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार बतौर मुख्य अतिथि शिरकत फरमा थे। उन्हीं के मौजूदगी में गोरखपुर विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के पूर्व प्रोफेसर प्रभा शंकर पांडेय ने यह कहकर माहौल गरमा दिया कि मुसलमान औरतों के हालात आज खराब हैं और सुप्रीम कोर्ट इन दिनों मुसलमान औरतों को इंसाफ दिलाने पर काम कर रही हैं। लेकिन मुसलमान धर्म गुरु और एक खास तबका इसकी मुखालफत कर रहा हैं। जो सही नहीं हैं। इस मसले पर अलीगढ़ विश्वविद्यालय के पुरातन छात्र सर सैयद की तालिमात क्यों भूल बैठे हैं। उन्होंने बहुत कुछ और बातें भी कहीं।
इसके बाद कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने इस तरह के बयान को अच्छा नहीं समझा। तुरंत वरिष्ठ चिकित्सक डा. अजीज अहमद ने माइक संभाला और करारा जवाब देते हुए कहा कि मुसलमानों के खून के धब्बे जिन लोगों के दामन पर हो उनको हम अपना कोई फैसला करने की इजाजत नहीं दे सकते हैं।
इससे पहले कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने कहा कि सर सैयद अहमद में मुल्क और कौम के प्रति जबरदस्त विजन था इसलिए अलीगढ़ विश्वविद्यालय कायम किया। उन्होंने मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर की गजल ‘ न किसी की आंख का नूर हूं, न किसी के दिल का करार हूं’ शानदार अंदाज में पढ़ी। उन्होंने गेविवि में भी सर सैयद डे मनाने की ख्वाहिश जाहिर की।
इस मौके पर फरुख जमान ने सर सैयद की वसीयत पढ़ी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस कलीमुल्लाह खां ने भी इजहारे ख्याल किया। अध्यक्षता एडवोकेट हबीब अहमद ने की।इस दौरान शरीफ अहमद, सीडीओ अब्दुल मन्नान अख्तर, मुस्तफा, रफीउल्लाह बेग, ताहिर सब्जपोश, आसिम रऊफ आदि मौजूद रहे।⁠⁠⁠⁠

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