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तटबंधों की सुरक्षा का कार्य अधूरा, एपी तटबंध पर बना स्पर आधा कटा

चैनपट्टी गांव कटान की जद में, पिपराघाट के टोलों में पानी बढ़ा
कांग्रेस विधायक ने कटान व बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया, राहत कार्य शुरू न होने पर जताया आक्रोश
कुशीनगर, 19 जुलाई। समय से तटबंधों की सुरक्षा का कार्य पूरा नहीं होने का नतीजा सामने आने लगा है। तमकुही क्षेत्र में नारायणी के जलस्तर बढ़ने से कई स्थानों पर कटान तेज हो गई है। एपी तटबंध पर चैनपट्टी के पास 2.60 से 2.80 किमी के बीच 80 मीटर का स्पर आधा कट कर नदी में विलीन हो गया है।
यह स्पर एक सप्ताह के अन्दर कट कर आधा हो गया है। एपी तटबन्ध पर 2.8 से 3.90 किमी तक की स्थिति काफी संवेदनशील बनी हुई है तथा नदी से बंधे की दूरी मात्र 15 मीटर रह गई। नदी लगातार डाउन स्ट्रीम में बैकरोलिंग करते हुए बंधे की तरफ बढ रही है।
इसी दर बाघाचौर के पास नदी 8.9 किमी पर तटबंध पर दबाव बना रही है। अहिरौलीदान का कचहरी टोला लगातार नदी की जद में आता जा रहा है। टोले के लोग खुद अपने घरों को तोड़ सामान लेकर पलायन कर रहे हैं। अब तब 50 घर नदी की कटान के जद में आ चुके हैं। पिपराघाट के टोलों के सभी घरों में पानी भर गया है।

विधायक अजय कुमार लल्लू
बाढ़ प्रभावित गांवों में नाव से जाते कांग्रेस विधायक अजय कुमार लल्लू

तमकुहीराज के कांग्रेस विधायक अजय कुमार लल्लू ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि पिपराघाट के टोलों में नदी का पानी घुसने के नाते देवनारायण व शिव टोला में आने-जाने का सम्पर्क मार्ग टूट गया है तथा पूरा गाँव जलमग्न हो गया है। लगभग एक हजार एकड़ से अधिक की गन्ने व धान की खेती बर्बाद हो गई है। कटान व बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर लौटे श्री लल्लू ने कहा कि स्थिति गंभीर होने के बावजूद जिला प्रशासन ने न तो आने-जाने के लिए नाव की कोई व्यवस्था की है और न ही लोगों को सुरक्षित जगह पर रखने व उनके भोजन की कोई व्यवस्था की गयी है। ऐसे स्थिती में लोगों के साथ-साथ मवेशियों का जीवन भी खतरे में है। विधायक ने डीएम से बातर कर जल्द जरूरी इंतजाम करने का अनुरोध किया।
एपी तटबंध पर बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए 22 करोड़ रूपया दिया गया है। इसमें 2.6 से 2.8 किमी के बीच स्पर का भी निर्माण होेना है। इसी तरह पिपराघाट-नरवा जोत पर नए कार्यों के लिए 22 करोड़ की परियोजना स्वीकृत की गई। इन कार्यों को 15 मई के पहले पूरा हो जाना चाहिए था लेकिन अभी तक दोनों स्थानों पर महज 30 से 40 फीसदी काम ही हो सका है। यही कारण हैं कि नदी में पानी बढ़ने से कटान शुरू हो गई है और कई गांवों को बाढ़ खतरा पैदा हो गया है।
हर वर्ष तटबंधों की सुरक्षा के मद में स्वीकृत किए गए कार्यों का यही हाल होता है। करोड़ो रूपए खर्च होने के बावजूद तटबंधों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है।