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दलितों और मुसलमानों पर हिंसा के खिलाफ’ लखनऊ में रिहाई मंच ने दिया धरना

तकरोही में दलितों के पीटे जाने की घटना ने साबित किया गुजरात दोहराने की हो रही है कोशिश

मंच ने लगाया आरोप – पुलिस लगी है दोषियों को बचाने में

लखनऊ, 3 अगस्त।  रिहाई मंच ने दलित मुस्लिम विरोधी हिंसा के खिलाफ’ आज हजरतगंज स्थित अंबेडकर प्रतिमा पर धरना दिया। धरने के माध्यम से मुखयमंत्री को संबोधित 11 सूत्रीय ज्ञापन भेजा गया।

धरणे को संबोधित करते हुए रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा है कि 28 जुलाई को तकरोही इंदिरानगर में मृत गाय ले जा रहे दो दलितों विद्यासागर और छोटे को पीटा गया और गाली गलौज की गई,लेकिन पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट/ और दो समुदायों के बीच घृणा पैदाकर सद्भावना को बिगाड़ने का अभियोग के तहत मुकदमा नहीं पंजीकृत किया गया। यह साबित करता है कि पुलिस अपराधियों को बचा रही है। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर में एक बार फिर जिस तरह से संघ परिवार ने दादरी दोहराने की कोशिश की और आजमगढ़ में संजरपुर के तीन युवकों को फर्जी मुठभेड़ में घायल व गिरफ्तार दिखाया गया यह घटनाएं साफ करती हैं कि प्रदेश सरकार आरएसएस के दलित-मुस्लिम विरोधी एजेंडे को ही लागू कर रही है।

 रिहाई मंच लखनऊ की महासचिव रफत फातिमा और शकील कुरैशी ने कहा कि बुलंदशहर में हाई वे पर मां-बेटी के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना ने एक बार फिर साफ किया कि सूबे में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा महिला व दलित उत्पीड़न की घटनाएं यूपी से हैं। रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा ने कहा कि सपा सरकार में भी दलितों और मुसलमानों पर बढ़ती संघी हिंसा अखिलेश सरकार की संघी मानसिकता को साबित करता है।

 रिहाई मंच महासचिव राजीव यादव ने कहा कि मृत जानवर निस्तारण से जुड़े दलितों को सुरक्षा मुहैया कराने में प्रशासन पूरी तरह विफल ही साबित नहीं हुआ है बल्कि ऐसी घटनाओं में खुद उसकी भूमिका भी आपराधिक साबित होती जा रही है। उन्होंने बताया कि पिछले दिनों अखलाक के बेटे सरताज ने रिहाई मंच दफ्तर पर आ कर नेताओं से मुलाकात कर पूरे मामले के बारे में बताया। सूबे में जगह-जगह गाय की रक्षा के नाम पर जय गुरूदेव, गोरक्षा समिति जैसे संगठनों द्वारा की जा रही वाॅल राइटिंग व उत्तेजक भाषणों पर रोक लगाई जाए।

रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा ने मांग की कि गौहत्या के अफवाह में मारे गए दादरी के अखलाक मामले में फाॅरेंसिक जांच में की गई हेरा-फेरी के अपराधियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करते हुए अखलाक के हत्यारों को सजा दी जाए और अखलाक के परिवार के खिलाफ दर्ज किए गए गोकशी के फर्जी मुकदमे को तत्काल वापस लिया जाए। धरने का संचालन रिहाई मंच नेता अनिल यादव ने किया। धरने को अमित मिश्रा, प्रोफेसर रमेश दीक्षित, नीति सक्सेना, जनचेतना से लाल चंद, आली से रेणू, दीपक कबीर, कैराना के मोहम्मद अली,भूरे लाल, शाहरूख, डीएस बौध, जैनब सिद्दीकी, हादी खान, रफीउद्दीन खान, कमर सीतापूरी, जुबैर जौनपूरी, एहसानुल हक मलिक, अली रजज, इनायतुल्ला खान, एमडी खान, असगर मेंहदी, राॅबिन वर्मा,दलित शोषण मुक्ति मंच के   विनोद रावत, शम्स तबरेज खान, अबू अशरफ जीशान, सृजन योगी आदियोग, विरेंद्र गुप्ता, अतहर हुुसैन, आशीष अवस्थी, रामकुमार, कल्पना पांडे, अजय शर्मा, डाॅ मजहरूल हक आदि ने संबोधित किया।

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