डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन पर रोक का हवाला दे पुलिस ने न दरी बिछाने दिया न सभा करने दी
गोरखपुर, 2 मई। पुलिस के रोकने की कोशिश के बावजूद राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद ने एक मई को जिलाधिकारी कार्यालय पर केवट, मल्लाह, मांझी, मुजावर, राजगोण्ड, गोण्ड मंझवार कश्यप, कहार, धीवर,धीमर, गोडि़या को इसकी मूल जाति मझवार के नाम से अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। डीएम कार्यालय पर मौजूद भारी पुलिस ने धरना-प्रदर्शन पर न तो लाउडस्पीकर लगाने दिया न दरी बिछाकर प्रदर्शनकारियों को बैठने दिया। डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन पर रोक लगने का हवाला देकर प्रदर्शनकारियों को हटा दिया गया।
इस पर राष्ट्रीय एकता परिषद के नेताओ ने प्रशासन के खिलाफ आक्रोश का इजहार किया और कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से धरना-प्रदर्शन न करने देना अघोषित आपातकाल है।
राष्ट्रीय एकता परिषद ने एक मई को निषाद समाज की कई जातियों के आरक्षण के सवाल को लेकर धरना-प्रदर्शन करने का ऐलान किया था। धरना-प्रदर्शन के लिए जब लोग कलेक्ट्रेट पहुंचे तो वहां उन्होंने भारी पुलिस बल को पाया। कलेक्ट्रेट के दोनों गेट बंद कर दिए गए थे और मैरून टोपी लगाए निषाद परिषद के लोगों को अंदर जाने से रोका जाने लगा। कलेक्ट्रेट के अंदर पहुंचे हुए लोगों को पुलिस ने कहा कि अब डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन पर रोक लग चुकी है। इसलिए वे यहां तुरन्त ज्ञापन देकर चले जाएं। जब लोगों ने प्रतिरोध किया तो पुलिस भी सख्ती पर उतर आयी। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को न तो सभा करने दी न दरी बिछाकर बैठने दिया। रोक-टोक और बहस के बीच धरना-प्रदर्शन जल्दी खत्म हो गया और सिटी मजिस्टेट ने मौके पर आकर ज्ञापन लिया।
अधिकारियों ने कहा कि डीएम के आदेश पर अब धरना-प्रदर्शन के लिए कोई अन्य स्थान चिन्हित किया जाएगा। डीएम कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन नहीं होगा।
राष्ट्रीय एकता परिषद ने प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को सम्बोधित जो ज्ञापन दिया कहा गया है कि उसमें मझवार की पर्यायवाची केवट, मल्लाह, मांझी को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र देने का आदेश हो चुका है फिर भी उन्हें प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जा रहा है। खुद भाजपा ने मछुआरों की पर्यायवाची जातियों को अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र जारी करने करने का वादा किया था लेकिन अभी भी इस मांग को पूरा नहीं किया जा रहा है।
मांग पत्र में मछुआरों केा संवैधानिक आरक्षण के शासनादेश केा लागू कर मझवार, गौड़, तुरहा, बेलदार, खरोट, काली, कोरी आदि को अनुसूचित जाति का आरक्षण देने, महाराजा गुह्यराज निषाद की जयन्ती पर अवकाश फिर से घोषित करने, निषाद समाज के पुश्तैनी कार्यों व जल संसाधनों तालाब, पोखर, ताल, के पट्टे बहाल कर संक्रमणीय भूमिधर दर्ज करने, नदी, ताल, बालू घाट की नीलामी मत्स्यजीवी सहकारी समितियों को ही दिए जाने की मांग की गई है।
धरना-प्रदर्शन में राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के महासचिव रघुराई निषाद, राष्टीय सचिव केदारनाथ निषाद, प्रदेश अध्यक्ष रवीन्द्र मणि निषाद, प्रदेश महासचिव रामवृक्ष निषाद, घनश्याम दत्त निषाद, रघुनाथ निषाद, ईजीनियर श्रवण निषाद, जगदीश निषाद, रामअवध निषाद, डा. वीरेन्द्र निषाद, शंभू निषाद, महेन्द्र कुमार, राजेश निषाद, गुजराती देवी, राधिका निषाद, सुनीता निषाद, इमरती देवी, फूलपतिया देवी आदि मौजूद थे।