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पूर्व विधायक जगदीश लाल नहीं रहे, पूर्वांचल ने जन संघर्ष में अग्रिम पंक्ति में रहने वाला नेता खोया

गोरखपुर, 14 नवम्बर। जनता दल यू के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व विधायक जगदीश लाल का कल निधन हो गया। वह लखनउ में पीजीआई में भर्ती थे। 67 वर्षीय जगदीश लाल कुछ दिनों से बीमार थे। वह अपने पीछे पत्नी, दो पु़त्र और दो पुत्रियों को छोड़ गए हैं। उनके निधन से पूर्वांचल ने जन संघर्ष में अग्रिम पंक्ति में रहने वाला नेता खो दिया है।
जगदीश लाल ने छात्र जीवन में राजनीति में कदम रखा। वह वर्ष 1974 में गोरखपुर विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए। आपात काल के विरोध में वह सड़कों पर उतरे और गिरफतार हुए। डेढ़ वर्ष तक जेल में रहे। शुरू से ही समाजवादी विचारधार से प्रभावित जगदीश लाल ने जनता दल के गठन के बाद पूर्वांचल में उसका संगठन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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वर्ष 1989 में उन्हें महराजगंज जिले के सिसवा विधानसभा से चुनाव लड़ने भेजा गया। यह क्षेत्र उनके लिए नया था। सामंती दबदबे वाले इस क्षेत्र की राजनीति पर सिसवा स्टेट का कब्जा था। चंद कार्यकर्ताओं के साथ आए जगदीश लाल ने कुछ दिनों में पूरा माहौल बदल दिया। उनका भाषण सुनने के लिए भीड़ जुट जाती थी। लोगों ने उन्हें वोट ही नहीं दिया धन देकर चुनाव भी लड़ाया। वह भारी मतों से जीते। जनता दल में विभाजन के कारण वह दो वर्ष से भी कम समय तक विधायक रह पाए।
यह वही समय था जब राजनीति में धनबल और बाहुबल का बोलबाला शुरू हो रहा था। सिद्धान्त की राजनीति करने वाले जगदीश लाल बदलती राजनीति में हाशिए पर होते गए। उनके तमाम साथियों ने रास्ते बदल लिए लेकिन वह नहीं बदले। पूरी जिंदगी जनता के आंदोलन में खपा दिया। वह बाद में कई बार सिसवा विधानसभा से चुनाव लड़े लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। वह गोरखपुर और महराजगंज में जन सवालों को लेकर लड़ते रहे।
पहले जर्नादन ओझा, फिर हर्षवर्धन और अब जगदीश लाल का जाना पूर्वांचल खासकर महराजगंज जिले में समाजवादी आंदोलन को पूरी तरह से रिक्त होना है।

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