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प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव का निधन

गोरखपुर, 20 जून। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव का कल रात निधन हो गया। वह 93 वर्ष के थे।

प्रो श्रीवास्तव गोरखपुर के बेतियाहाता मुहल्ले में रह रहे थे। वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के पहले अध्यक्ष थे और उन्होंने 1958-1962 तक इस पद पर कार्य किया। वह गोरखपुर के इतिहास विभाग के 21 वर्ष (1963 -1984) तक अध्यक्ष रहे।

अक्टूबर 2014 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में सुभाष कुशवाहा की किताब के लोकार्पण अवसर पर प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव का चित्र
अक्टूबर 2014 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में सुभाष कुशवाहा की किताब के लोकार्पण अवसर पर प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव का चित्र

प्रो श्रीवास्तव ने इतिहास की तीन पुस्तकें -मुग़ल शासन प्रणाली , मुग़ल सम्राट हुमायूँ, जापान का संविधान लिखी। कई विश्वविद्यालयों में उनकी किताब पाठ्य पुस्तक के रूप में स्वीकृत थी। उनकी हिंदी साहित्य में गहरी अभिरुचि थी। उनकी कहानियां तमाम प्रसिद्ध पत्रिकाओं में छपी। उनके दो कहानी संग्रह -लाल कुरता और स्नेहदान प्रकशित हुए। उनका एक कविता संग्रह ‘गीतिमा’ भी प्रकाशित हुआ।

pr Harishankar

उन्होंने अपने निर्देशन में चौरी चौरा विद्रोह पर महत्वपूर्ण शोध कार्य कराया था।

प्रो श्रीवास्तव रॉयल एशियाटिक सोसाइटी और इंस्टिट्यूट ऑफ़ हिस्टॉरिकल स्टडीज के फेलो रहे। उन्होंने भारत सरकार के कल्चरल एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत 1975-76 में फ़्रांस और ब्रिटेन की यात्रा  की और वहां के विश्वविद्यालयों में कई व्याख्यान दिए।

गोरखपुर⁠⁠⁠ विश्व विद्यालय के इतिहास विभाग में प्रोफेसर चन्द्रभूषण अंकुर ने कहा कि इस शहर के यदि शीर्षस्थ किसी  शिक्षक का नाम लिया जाएगा तो होंगे डॉ. हरिशंकर श्रीवास्तव।  उन्होंने ‘ द कांस्टीट्यूशन ऑफ जापान’ जैसी चर्चित पुस्तक की रचना की। उन्होंने  ‘ मुग़ल सम्राटहुमायूँ’ जैसी विश्व प्रसिद्ध और प्रामाणिक पुस्तक का सृजन किया। अपनी पेशेगत ईमानदारी, ऊँची विद्वत्ता और अनुशासनप्रियता के कारण शिक्षा जगत में आपको बड़ी प्रतिष्ठा मिली। वह अनेक संस्थाओं से सम्बद्ध रहें हैं। उत्तर प्रदेश इतिहास कांग्रेस, भारतीय इतिहास, रिकॉर्ड कमीशन के सदस्य के साथ ही विभिन्न अंतराष्ट्रीय संगठनों से भी सम्बद्ध रहे। प्रो श्रीवास्तव उतर प्रदेश हिंदी संस्थान के तब सदस्य थे जब डॉ. हज़ारीप्रसाद द्विवेदी जी इसके अध्यक्ष थे। 95 वर्ष की अवस्था में भी आप सक्रिय रहे और पठन-पाठन में अपना समय व्यतीत करते रहे।

एक साहित्यिक कार्यक्रम में प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव
एक साहित्यिक कार्यक्रम में प्रो हरिशंकर श्रीवास्तव

प्रो श्रीवास्तव के निधन पर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में अध्यक्ष प्रो निधि चतुर्वेदी की अध्यक्षता में शोक सभा हुई जिसमें विभाग के शिक्षक प्रो हिमांशु चतुर्वेदी, प्रो एम् एस त्रिपाठी, प्रो चंद्रभूषण , डॉ मनोज, डॉ सुधाकर लाल के अलावा शोध छात्र और कर्मचारी शामिल हुए. शोक सभा में प्रो श्रीवास्तव को याद किया गया.

प्रो श्रीवास्तव के निधन पर प्रसिद्ध इतिहासकार पर लाल बहादुर वर्मा, प्रो अशोक सक्सेना, प्रो एसएनआर रिजवी, डॉ ब्रह्मानंद ने शोक व्यक्त किया है.

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