फर्टिलाइजर उत्पीड़ित कर्मचारी मंच ने पीएम को भेजा शिकायती पत्र
गोरखपुर , 21 जुलाई। फर्टिलाइजर बन्द होने के कारण विस्थापित हुए सैकड़ो कर्मचारियों द्वारा 21 अक्टूबर 2013 से अपने 6 सूत्रीय मांगों को लेकर धरना दिया जा रहा है। इन कर्मचारियों को पीएम के आगमन पूर्व सुरक्षा कारणों से धरनास्थल से हटा दिए गया है। मंच ने अपनी मांगों सहित अन्य सवालात से सम्बंधित शिकायती पत्र पीएमओ को डीएम के माध्यम से भेजा है।
फर्टिलाइजर उत्पीड़ित कर्मचारी मंच के संयोजक अरुण कुमार ने शिकायती पत्र के माध्यम से कहा है कि 21 अक्टूबर 13 से अपनी छःसूत्री मांगों को लेकर लगातार धरनारत है,जिसकी जानकारी स्थानीय फर्टिलाइजर एवं मिनिस्ट्री व् प्रदेश सरकार को लिखित रूप से है।इसके बावजूद अभी तक प्रशासन, ना फ़र्टिलाइज़र और ना ही यहाँ के कोई जनप्रतिनिधि इस धरने को जानने की औपचारिकताएं पूरी किए हैं। आखिर यह लोग भी यहां के नागरिक हैं ! इन्हें भी अपनी बात कहने का संवैधानिक अधिकार है जिनकी बात इन्हे सुनना चाहिए ।वही जनप्रतिनिधि उनकी बातों को अनदेखा कर रहे हैं।
अरुण कुमार ने कहा है कि फ़र्टिलाइज़र कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड 2002 के कर्मचारियों के लिए वी एस एस स्कीम लाया गया था । जिसमे इस विभाग द्वारा कहा गया था कि मजदूर कर्मचारी ही यूनिट के घाटे में जाने के दोषी हैं । जबकि कर्मचारी सबसे नीचे असर का व्यक्ति एवं सबसे मेहनती वर्ग माना जाता है। कर्मचारी के मेहनत के बगैर किसी भी क्षेत्र में विकास नहीं किया जा सकता है ।क्योंकि फैक्ट्री से लेकर घर और कृषि तक उनके बगैर कार्य नहीं हो सकता । सबसे निचले स्तर पर इन्हीं की मजबूरी मानी जाती है । जबकि इन की निगरानी करने के लिए अधिकारी और जनप्रतिनिधि एवं मंत्री भी होते हैं ।जिनकी तनख्वाह इन श्रमिकों से कहीं अधिक होती है । अगर उस विभाग में घाटा होता है तो इसके लिए सबसे निचले स्तर के कर्मचारियों को दोषी ठहराया जाता है एवं यदि फायदा होता है तो अधिकारी एवं मंत्रियों की काबिलियत की बात कही जाती है । लोकतंत्र में संवैधानिक अधिकारों का दोहरा प्रयोग क्यों किया जाता है । जब सबसे निचले स्तर के नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लोकतंत्र में व्यवस्था है तो फ़र्टिलाइज़र कारपोरेशन को बी एस एस की स्कीम पर 15 साल पीछे के वेतन पर क्यों निकाल दिया गया ।जिन कर्मचारियों की अभी सर्विस 24 से 25 साल बाकी थी , उनके संवैधानिक अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया गया है। उन्होंने निवेदन किया कि शिलान्यास के अवसर पर गोरखपुर आगमन पर उक्त प्रकरण की अपने स्तर से उच्चस्तरीय जांच कराकर पीड़ित कर्मचारियों को न्याय दिलाएं।