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फूलन देवी के शहादत दिवस पर बड़ी रैली कर निषादों ने दिखायी राजनीतिक ताकत

फूलन देवी की प्रतिमा नहीं लगने के विरोध में कल से विरोध प्रदर्शनों का ऐलान
निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल, राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और राष्ट्रीय निषाद विकास सघ ने आयोजित की थी रैली
पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अयूब भी रैली में शामिल हुए

गोरखपुर, 25 जुलाई। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल, राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद और राष्ट्रीय निषाद विकास सघ ने आज रामगढ़ताल किनारे चम्पा देवी पार्क में पूर्व सांसद फूलन देवी का शहादत दिवस पर निषादों की एक बड़ी रैली की। रैली में 25 हजार से अधिक लोग जुटे। पूरा मैदान मैरून टोपी और झंडे से पट गया। बार-बार निषाद राज के नारे लगते रहे। प्रशासन द्वारा बाघागाड़ा में लगने वाली फूलन देवी की मूर्ति जब्त कर लेने पर रैली स्थल पर फूलन देवी का फलैक्स का विशाल कटआउट लगाया गया।
रैली में युवाओं व महिलाओं की अच्छी खासी संख्या दिखी। रैली स्थल पर ओबीसी और दलितों से सम्बन्धित साहित्य का भी स्टाल लगाया गया था। रैली में निषाद नेताओं ने निषाद वंशीय समुदाय की सभी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल कर आरक्षण देने की मांग जोरदार तरीके से उठायी और प्रशासन द्वारा बाघागाड़ा में पूर्व सांसद फूलन देवी की मूर्ति नहीं लगने देने के खिलाफ कल से जिला मुख्यालयों पर आंदोलन की घोषणा की।

रैली को राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद व निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के अध्यक्ष डा. संजय कुमार निषाद, राष्ट्रीय निषाद विकास संघ के अध्यक्ष मुकेश साहनी और पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा अयूब सहित प्रदेश के विभिन्न स्थानों से आए निषाद नेताओं ने सम्बोधित किया।

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दोनों निषाद संगठनों ने नौसढ़ चैराहा के पास बाघागाड़ा गांव में स्थित एक मंदिर में पूर्व सांसद फूलन देवी की 30 फीट उंची प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी। कल शाम को ही प्रशासन ने मूर्ति को अपने कब्जे में ले लिया। प्रशासन की इस कार्रवाई पर निषाद नेताओं में खूब आक्रोश दिखा।

रैली में सपा, बसपा और भाजपा से जुड़े निषाद वंशीय समाज के विधायक व नेता नहीं दिखे। पूर्व मंत्री स्व. जमुना निषाद के भाई जरूर मंच पर आए। इस रैली ने निषादों और पसमांदा मुसलमानों के एक नए सामाजिक व राजनीतिक समीकरण बनने का संकेत दिया जिसमंे अति पिछड़ी जातियों के कुछ संगठन व दल भी आगे जुड़ सकते हैं।

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राष्ट्रीय निषाद एकता परिषद के अध्यक्ष डॉ. संजय कुमार निषाद ने कहा कि प्रशासन ने मूर्ति स्थापना से रोककर गलत किया। बीस दिन पहले ही हमने प्रशासन को लिखित रूप से मूर्ति स्थापित करने की सूचना दी थी। यह भी बताया था कि पूर्व सांसद फूलन देवी गरीब-शोषित निषाद समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं, लेकिन प्रशासन ने सरकार के दबाव में हमें मूर्ति स्थापित करने से रोक दिया। यह निषाद समाज के साथ अन्याय है। इसके खिलाफ लडाई लड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रशासन को यदि मूर्ति स्थापना को लेकर कोई कठिनाई थी तो उसे उसी समय बताना चाहिए था, जब हमने सूचना दी थी। डा. संजय निषाद ने कहा कि वह सूचना का अधिकार कानून के तहत सरकार से जानकारी मांगेगे कि फूलन देवी की मूर्ति स्थापित करने से रोकने के पहले पिछले एक साल के अंदर कितनी मूर्तियों की स्थापना प्रदेश में की गई है। दूसरे समाज के लोगों को मूर्ति स्थापना की छूट देना और निषाद समाज को ऐसा करने से रोकना अन्याय है।

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निषाद विकास संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश साहनी ने कहा कि आज आज शोषितों के हक की लड़ाई की प्रतीक वीरांगना का शहीदी दिवस है। उत्तर प्रदेश के संपूर्ण निषाद समाज ने आज फूलन देवी जी की तीस फीट बड़ी प्रतिमा लगाने और श्रद्धासुमन अर्पित करने का निर्णय किया था। तैयारी पूरी थी। बड़ी संख्या में लोग फूलन देवी को नमन करने आने वाले थे लेकिन शासन-प्रशासन की सामंती मानसिकता मानसिकता को फूलन देवी के शहादत दिवस पर होने वाला समारोह चुभ गया और उसने मुंबई से बनकर आई प्रतिमा को जब्त कर लिया। पूरे देश का निषाद समाज फूलन देवी जी के इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा। जब कभी शोषित-दलित वर्ग आगे जाने की राह पर निकलता है और सत्ता में बराबरी का हक मांगता है,सामंती वर्ग हमें लाठी-गोली की ताकत से कुचल देना चाहता है । पर हम निषाद डरने वाले नहीं हैं ।

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दोनों नेताओं ने निषादों की एकता पर जोर दिया और सपा, बसपा, भाजपा द्वारा निषाद समाज को बांटने की कोशिशों के प्रति आगाह किया।
रैली को सम्बोधित करते हुए पीस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अयूब ने कहा कि आजादी के इतने दिनों बाद भी निषाद एवं मुसलमान समाज का कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री नहीं बना। मनुवादी एवं सामंतवादी लोगों ने देश को अपनी जागीर बनाकर रख लिया है। यह लोग अक्सर ही मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुसलमान, अगडे-पिछड़े में समाज को बांटने की राजनीति कर रहे हैं। जब तक धर्म की राजनीति होगी देश व समाज का कल्याण नहीं हो सकता।

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