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भाकपा (माले) ने ‘लोकतंत्र बचाओ- देश बचाओ’ मार्च निकाला

लखनऊ, 13 अप्रैल। भाकपा (माले) द्वारा 23 मार्च से 14 अप्रैल तक राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे ‘लोकतंत्र बचाओ- देश बचाओ भगत सिंह-अम्बेडकर संदेश यात्रा’ के तहत आज भाकपा (माले)  की लखनऊ इकाई की ओर से मार्च निकाला गया। इसका मुख्य नारा था – ‘उठो मेरे देश, नये भारत के वास्ते, भगत सिंह और अम्बेडकर के रास्ते’। इसमें पार्टी कार्यकर्ताओं के अलावा आइसा, एपवा, जन संस्कृति मंच, एक्टू, निर्माण मजदूर यूनियन आदि जन संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल हुए।

यह मार्च परिवर्तन चौक से शुरू हुआ। कार्यकर्ता संघी राष्ट्रवाद के खिलाफ हाथों में तख्तियां लिए थे। वे मांग कर रहे थे कि छात्रों-शिक्षकों पर से राजद्रोह का आरोप वापस लो, अंग्रेजों द्वारा बनाया राजद्रोह कानून खत्म करो, स्मृति इरानी व बंडारू दत्तात्रेय इस्तीफा दो, शिक्षण संस्थानों में सामाजिक भेदभाव रोकने के लिए रोहित वेमुला के नाम पर नया कानून बनाओ। वे यह भी मांग कर रहे थे कि आरोपी छात्रों को जे एन यू में शैक्षणिक गतिविधियों से वंचित करने का आदेश वापस लो। मार्च हजरतगंज चौराहे पर डा0 अम्बेडकर प्रतिमा पर पहुंचा जहां सभा हुई जिसे भाकपा माले के जिला प्रभारी कामरेड रमेश सिंह सेंगर, एपवा की राष्ट्रीय उपध्यक्ष ताहिरा हसन, जन संस्कृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष कौशल किशोर, आइसा की नेता पूजा शुक्ला व नीतीश कन्नौजिया, एक्टू व निर्माण मजदूर यूनियन के नेता सुरेन्द्र प्रसाद आदि ने संबोधित किया। सभा का संचालन माले के नेता कामरेड राजीव गुप्ता ने किया। मार्च में कवि व लेखक भगवान स्वरूप कटियार, शायर तश्ना आलमी, वरिष्ठ कवि बी एन गौड़, रंगकर्मी कल्पना पाण्डेय, मार्क्सवादी चिन्तक आर के सिन्हा जैसे बुद्धिजीवियों समेत बड़ी संख्या में महिलाओं, छात्रों, निर्माण मजदूरों व शहरी गरीब जनता ने भाग लिया।

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इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि अच्छे दिनों का सपना दिखाकर सत्तासीन होने वाली मोदी सरकार आज अपनी विफलताओं तथा असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए भावनात्मक मुद्दे उठा रही है। आजादी के संघर्ष में जिनका कोई योगदान नहीं रहा, वे आज देशभक्ति का पाठ पढ़ा रहे हैं। इनके मंत्रियों की वजह से रोहित वेमुला जैसे छात्र की सांस्थानिक हत्या हुई। दलितों, अल्पसंख्यकों, महिलाओं, आदिवासियों और गरीब गुरबा समाज पर हमले लगातार बढ़ रहे हैं। आजादी खतरे में हैं। संविधान पर हमले हो रहे हैं। संविधान की जगह मनुस्मृति और तिरंगा की जगह भगवा ध्वज को स्थापित किया जा रहा है। गांधी की जगह गोडसे का महिमा मंडन हो रहा है। इस तरह कॉरपोरेट, सांप्रदायिक, जातिवादी, पितृसत्तात्मक राज के द्वारा संघी राष्ट्रवाद को स्थापित करने की साजिश रची जा रही है।

वक्ताओं का कहना था कि संघी राष्ट्रवाद से लोकतंत्र देश और संविधान को बचाने के लिए शहीद भगत सिंह और डा0 अम्बेडकर की प्रेरक विरासत को आगे बढ़ाने की जरूरत है। संघी राष्ट्रवाद इनके अधिग्रहण में लगा है। जबकि यह सर्व विदित है कि ये दोनों सच्चे आधुनिक, प्रगतिशील व लोकतांत्रिक भारत के लिए सारी जिन्दगी संघर्ष किया। भगत सिंह समाज का आमूल चूल परिवर्तन चाहते थे। इसके लिए उन्होंने क्रान्ति का नारा दिया था, उनका नारा था इंकलाब ज्रिदाबाद। डा0 अम्बेडकर ने जातिवाद को खत्म कर भमि सुधार व मेहनतकशों के अधिकार पर जोर दिया था। वे संविधान के शिल्पीकार थे। आज जब लोकतंत्र पर हमला हो रहा है ऐसे में हमें इनके विचारों को जन जन तक पहुंचाना है। नये भारत के लिए देश को जगाना है और उन्हें संघर्ष में उतारना है। ऐसा करना ही सच्ची देशभक्ति है।

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