साहित्य - संस्कृति

भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए पीएम को एक करोड ट्वीट करने का अभियान शुरू

जन भोजपुरी मंच ने दुनिया भर के भोजपुरी भाषियों से अपील की
भोजपुरी को आठवी अनुसूची में शामिल करने से 20 करोड़ भोजपुरिया लोगों मेंआत्मगौरव का संचार होगा – प्रो सदानन्द शाही
कुशीनगर,9अगस्त। जन भोजपुरी मंच के संयोजक प्रो सदानन्द शाही ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए व्यापक जनमत तैयार करने के दुनिया भर के भोजपुरी भाषियों से अपील की कि वे इसके लिए प्रधानमंत्री को कम से कम एक करोड ट्वीट करें। मंच ने आज से इस मांग को लेकर अभियान शुरू किया है।
प्रो शाही ने कहा कि भोजपुरी भाषा की उपेक्षा औपनिवेशिक मानसिक का की देन है ।इससे उबरे बिना भोजपुरी भाषा और क्षेत्र की सर्वांगीण उन्नति नहीं हो सकती। नौ अगस्त को भारत छोडो आन्दोलन के दिन से इस की शरुआत करने का अर्थ लोक  भाषाओ के प्रति मौजूद औपनिवेशिक नजरिए की विदाई का आह्वान है। प्रो शाही ने बताया कि भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के पर्याप्त आधार हैं जो विन्दुवार इस प्रकार हैं।
1. -यह लगभग बीस करोड़ लोगों की मातृभाषा है।
2-भोजपुरी भाषा की जड़ें लगभग हजार साल पुरानी हैं। विपुल मात्रा में भोजपुरी का मौखिक और लिखित साहित्य उपलब्ध है। जिसका संरक्षण, संवर्धन और भावी पीढ़ी को हस्तान्तरण हमारा दायित्व है।
3-भोजपुरी भाषी समाज और भोजपुरी साहित्य का स्वाधीनता संघर्ष में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
4- देशी भाषाएँ गवारों की बोलियाँ हैं यह छवि औपनिवेशिक मानसिकता ने निर्मित की है। भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने से यह मिथ्या छवि टूटेगी।
5-यह दलील कि भोजपुरी के विकास से हिन्दी को क्षति पहुँचेगी कपोल कल्पना, भ्रम और औपनिवेशिक मानसिकता की उपज है। इसके उलट सच्चाई यह है कि भोजपुरी के विकास से हिन्दी के विकास को गति और दिशा मिलेगी।
6-अनेक देशी विदेशी विद्वानों ने भोजपुरी व्याकरण की रचना की है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सहित देश के अनेक विश्वविद्यालयों में भोजपुरी का पठन पाठन हो रहा है। बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश और अब उत्तर प्रदेश में भोजपुरी अकादेमी की स्थापना हो गयी है। भोजपुरी का समकालीन लेखन विभिन्न पत्र पत्रिकाओं के माध्यम से सामने आ रहा है।
7-मारीशस सरकार ने तीन साल पहले ही भोजपुरी को सरकारी भाषा का दर्जा दे दिया है और भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन की स्थापना कर दी है। ऐसे में यह बेहद अफसोस की बात है कि अपनी ही धरती पर भोजपुरी को मान न मिले।
8-भारत सरकार द्वारा 1964 में गठित कमिटी ने भाषा के लिए जो 5 अर्हताएं तय की थीं, भोजपुरी उन सब को पूरा करती है।
9-देश और दुनिया के शिक्षाविदों की राय में समझ का सबसे बेहतर माध्यम मातृभाषाएं हैं। यूनेस्को ने मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने को उपयोगी बताया है। एन सी आर टी ने कई साल पहले ही भारत सरकार को इस आशय का प्रस्ताव भेजा है।
प्रो शाही ने कहा कि भोजपुरी को आठवी अनुसूची में शामिल करने से 20 करोड़ भोजपुरिया लोगों में न केवल आत्मगौरव का संचार होगा बल्कि मातृभाषा के माध्यम से बेहतर समझ विकसित होगी और वे देश के विकास में कहीं ज्यादा रचनात्मक योगदान कर पायेंगे।  भोजपुरी को मान दिलाने के लिए करोड़ों भोजपुरी भाषी लोगों को आगे आना होगा और तर्क संगत एवं योजनाबद्ध तरीके से अपनी बात रखना होगी। इसी क्रम में जन भोजपुरी मंच पहले चरण में अगस्त महीने में  प्रधान मंत्री को एक करोड ट्वीट करने का संकल्प ले रहा है।⁠⁠⁠⁠

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