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माजूर और बीमार भी वोट देने के लिए पहुंचे बूथ, महिलाओं और नए वोटरों में ज्यादा उत्साह दिखा

गोरखपुर, 4 मार्च। चुनाव के पर्व में बुजुर्ग भी पीछे नहीं रहे। माजूर और बीमार होने के बावजूद वह अपने-अपने क्षेत्रों के पोलिंग बूथ पर नजर आयें और अपना मताधिकार का इस्तेमाल करके लोकतंत्र को मजबूत किया। हालांकि जिले के 2034 मतदान केंद्रों में से ज्यादातर केंद्रों पर वरिष्ठ नागरिकों के साथ विकलांगों के लिए कोई इंतेजाम नहीं किया गया था। इसकी वजह से मतदाताओं को काफी दुश्वारियों का सामना करना पड़ा।

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परिवारजनों के सहारे से वोट डालने आए 95 वर्षीय हबीबुल्लाह, 95 वर्षीय प्रभावती, पोलियो ग्रस्त महेश, जय प्रकाश गुप्ता, 106 वर्षीय कासिम अली, 102 वर्षीय आंख से माजूर आयशा खातून आदि ने कहा कि मतदान हमारा अधिकार है और इसमें हम बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते आएं हैं और आज भी मतदान करके नौजवानों को प्रेरित कर रहे हैं।

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उन्होंने इस बात का शिकवा किया कि मतदान केंद्रों पर हम जैसों के लिए सुविधाएं  मुहैया न किया जाना अफसोसजनक है। मतदान केंद्रों पर तैनात मतदान कर्मियों और मतदाताओं को पीने के पानी वगैरह के लिए तरसना पड़ा।

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नये वोटरों में दिखा जबरदस्त उत्साह

यूपी विधान सभा चुनाव के छठें चरण के तहत गोरखपुर जिले में पहली बार मतदान करने वाले नये वोटरों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला। युवा मतदाता मोहम्मद फैजान ने कहा कि लोकतंत्र के इस पर्व में पहली बार शमिल होकर खुशी हो रही है।

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हिफजुर्रहमान,  मोहम्मद आसिफ, मोहम्मद तौसीफ, मारिया अख्तर, फरहत बानो, इरम, श्रेया  आदि ने अपनी उंगुलियों पर स्याही दिखाकर खुशी व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए युवाओं को आगे आना जरूरी है। वैसे भी भारत युवाओं का देश बन रहा है और इसके विकास के साथ-साथ प्रगति के पथ पर ले जाने में युवा अहम रोल अदा कर सकते हैं।

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आधी आबादी ने दिखायी ताकत
राजनीतिक दलों से अगरचे महिलाओं को टिकट देने में कंजूसी की हो लेकिन आज छठें चरण की पोलिंग के दौरान आधी आबादी ने अपनी ताकत का इस्तेमाल मतदान कर किया।  जिले के अलग-अलग मतदान केंद्रों पर पुरूषों के साथ-साथ महिलओं की भी भीड़ देखी गयी।मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में भी उत्साह का माहौल था जहां पुरूषों से ज्यादा महिलाओं की कतार नजर आयीं। गौसिया सुम्बुल, नौशीन फातमा, फरहा दीबा, निकहत, शोयेबा निशात आदि ने कहा कि मताधिकार में जितना पुरूषों का हक है उतना महिलाओं का भी है।हमें मतदान करने में आना कानी नहीं करना चाहिए। वहीं बेरली से मतदान के लिए विशेष तौर पर आयी अजरा जमाल ने कहा कि लोकतंत्र का पर्व बार-बार नहीं आता है। हमें एक जिम्मेदार नागरिक होने का सबूत पेश करना चाहिए और बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेना चाहिए।

पर्ची के लिए परेशान रहे वोटर
सैकड़ों मतदाता अपनी मतदान पर्ची के लिए सुबह से शाम तक परेशान रहे। उनका कहना था कि बीएलओ द्वारा मतदान पर्ची घर तक न न पहुंचाने के कारण उन्हें दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है।

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 कई वोटर ऐसे भी नजर आयें जो बूथ के बाहर लगे स्टालों पर घंटों अपना नाम तलाश करते नजर आए। अब्दुल माजिद, मोहम्मद आजम, जाफर भी इन्हीं में से थे जिनके घरों तक उनकी मतदाता पर्ची नहीं पहुंची थी।

इन लोगों की शिकायत है कि एक ओर प्रशासन ने वोट प्रतिशत बढ़ाने के लिए जोर दिया वहीं उनके अमले की लापरवाहीं के कारण लोगों के घरों तक मतदाता पर्ची नहीं पहुंच पायीं।

एक दर्जन से ज्यादा मतदान केंद्रोंपर ईवीएम ने दिया धोखा

पोलिंग के लिए प्रशासन द्वारा तगड़े इंतेजाम और प्रशिक्षण के बावजूद जिले के एक दर्जन से अधिक मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीनों ने धोखा दिया जिसके कारण मतदान शुरू करने में देरी हुई।शहर विधान सभा के इस्लामियां गर्ल्स इंटर कालेज के मतदान केंद्र में बूथ संख्या 262 व 263 में सुबह लगभग डेढ़ घंटे तक मतदान बाधित रहा। जिले की अलग-अलग विधान सभाओं से भी इसी तरह की शिकायतें सामने आयीं हालांकि सूचना मिलने के साथ ही प्रशासन ने उन्हें दुरूस्त करा कर मतदान शुरू कराया।

सड़कों पर सन्नाटा 

आम तौर पर ट्रैफिक का सामना करनी वाली सड़कों पर आज सन्नाटा छाया रहा।गोलघर, घंटाघर, रेती, नखास, बक्शीपुर, शाहमारूफ के अलावा  गली-मोहल्लों की सड़कें भी गाड़ियों से खाली रही। अलबत्ता इन सड़कों पर लोगों के आने जाने के दौरान बच्चे खेलते नजर आये।

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चुनाव के दिन जहां गुलजार रहने वाले बाजार भी वीरान पड़े थे वहीं गली-मोहल्ले की दुकानें भी बंद रही जिसके कारण लोगों को जरूरी सामानो के लिए तरसना पड़ा। रोक के बावजूद दवाओं की ज्यादातर दुकाने बंद रही जिसकी वजह से मरीजों को दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। आमतौर पर मरीजों से भरे रहने वाले सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों में भी इलाज कराने वालों की कम तादाद पहुंची। चुनावी ड्यूटी में गड़ियों के लग जाने के कारण बस स्टेशन आदि पर मुसाफिर परेशान नजर आए।

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