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मीट बंदी : गोरखपुर के मीट व्यवसाईयों ने हाईकोर्ट में दाखिल की रिट

नगर आयुक्त को सौंपा प्रार्थना पत्र, नोटिस करायी रिसीव
गोरखपुर, 5 मई। नगर निगम गोरखपुर क्षेत्र में स्लाटर हाउस खोलने के लिए गोरखपुर के मीट व्यवसाईयों ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट दाखिल की हैं। शुक्रवार को मीट व्यवसाईयों ने नगर निगम पहुंचकर नगर आयुक्त को प्रार्थना पत्र सौंप कर नोटिस रिसीव करवायी। गोरखपुर में स्लाटर हाउस दस सालों से भी ज्यादा अर्सें से बंद हैं। यहां मीट व्यवसाई (भैंस के मीट के कारोबारी) विभिन्न मोहल्लों में मीट काट कर बेचते थे। शासन ने वैध स्लाटर हाउस और लाइसेंस के बगैर मीट काटने व बेचने पर रोक लगा दी हैं। शहर में एक तो स्लाटर हाउस नहीं हैं ऊपर से मीट व्यवसाईयों का लाइसेंस एक्सपॉयर हो चुका हैं। जिस वजह से यहां के मीट व्यवसाईयों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा हैं। हजारों परिवारों के सामने भुखमरी की समस्या काफी दिनों से हैं। डेढ़ महीनों से मीट के दुकानें बंद हैं। वहीं मीट से चलने वाले होटलों के हालात भी खराब हैं। जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो यहां को मीट व्यवसाईयों ने मिलकर हाईकोर्ट की शरण में जाने का फैसला लिया।

तुर्कमानपुर के दिलशाद ने नगर निगम क्षेत्र में स्लाटर हाउस खोलने के लिए हाईकोर्ट इलाहाबाद में रिट (संख्या156664) दाखिल कर न्याय की गुहार लगाई। इस याचिका में दिलशाद अहमद व अन्य बनाम राज्य व अन्य पक्षकार हैं। 20 अप्रैल के अनुपालन में पक्षकार दिलशाद व अन्य द्वारा स्पीड पोस्ट एवं हाईकोर्ट द्वारा 26 अप्रैल को नगर निगम को नोटिस भेजा गया। नोटिस में 4 मई को नगर निगम द्वारा हाईकोर्ट में प्रतिशपथ पत्र दाखिल करना था लेकिन नगर निगम ने कोई जवाब नहीं दिया। हाईकोर्ट ने नगर निगम को 11 मई को प्रतिशपथ पत्र का समय दिया हैं। मीट व्यवसाई समस्या का जल्द समाधान चाहते हैं। इसलिए आज खुद ही नगर निगम पहुंचकर नोटिस, स्पीड पोस्ट की रसीद तथा रिट की कापी प्रार्थाना पत्र के साथ नगर आयुक्त को सौंपा और रिसीव कराया।
प्रार्थना पत्र सौंपने वालों में दिलशाद अहमद, रिजवान अहमद, मोहम्मद इमरान, सफीकुल्लाह, मोहम्मद सलाम, नूर मोहम्मद, मोहम्मद उमर, निगार आलम, जावेद अली, आरएस कुरैशी, रहमतुल्लाह, जुम्मन, गोपी आदि शामिल रहे।
शहर में 150 दुकानें हैं मीट की

लाइसेंस धारको का नवीनीकरण 2002 से हैं बंद 

अस्करगंज, जाफराबाजार, तुर्कमानपुर, गोरखनाथ, रहमतनग, रसूलपुर, बक्शीपुर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चलने वाली दुकानों पर भैंस के मीट का कारोबार होता है। हालांकि इन दुकानदारों का कहना है कि उनके पास लाइसेंस है लेकिन उसका नवीनीकरण 2002 से नहीं हुआ है। शहर में करीब 150 दुकानें हैं । इस तरह देखा जायें तो किसी दुकानदार के पास नवीनीकृत लाइसेंस नहीं हैं। इस मीट बंदी से सैकड़ों परिवारों पर इसका सीधा असर पड़ा हैं। होटल व्यवसाय पर भी काफी बुरा प्रभाव हुआ हैं। नवीनीकरण न होने की बड़ी वजह हुमांयूपुर स्थिति स्लाटर हाउस का बंद होना हैं। करीब 15 वर्ष पूर्व स्लाटर हाउस बंद कर भटहट शिफ्ट कर दिया गया। तभी से मीट व्यवसाईयों ने अपने रिहाईशगाहों पर मीट काटना व बेचना शुरु कर दिया। करीब 15 सालों से कारोबार में किसी तरह की कोई दुश्वारी नहीं आयीं। महानगर की बात करें तो बूचड़खानों से निकले मीट के जरिए लगभग 50 होटल महानगर में चलते हैं। इस व्यवसाय से महानगर में करीब 5 हजार से ज्यादा लोगों को रोजगार मिला हुआ था जो फिलहाल छिन गया हैं। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह हैं कि सरकार की ओर से भी कोई सार्थक पहल नहीं की जा रही हैं। मजबूरन मीट व्यवसायी कोर्ट की शरण में गये हैं।

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