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यह हुकूमत पैसे वालों की है : डा. नसीम निकहत

सैयद फरहान अहमद

गोरखपुर, 20 नवंबर। गोरखपुर में मुशायरे में भाग लेने आए शायरों ने नोटबंदी के सरकार के फैसले पर नाराजगी जाहिर की और इससे अवाम को हो रही परेशानियों पर दुख जताया। किसी ने इसे जल्दबाज़ी में उठाया गया कदम बताया तो किसी ने कहा कि इससे गरीब का कोई भला नहीं होने वाला।

डा. नसीम निकहत का कहना है कि नोटबंदी से गरीब परेशान हो रहा है। इसका कोई फायदा नहीं है। अम्बानी, अडानी को सरकार टच नहीं कर रही है। उनकी बीवी के साथ फोटो खिचाई जा रही है। यह हुकूमत पैसें वालों की है।  मुल्क का बच्चा -बच्चा जानता है कि अंबानी मुल्क के सबसे बड़े पूंजपति  है लेकिन उन पर कुछ नहीं कहा। अभी साउथ में 500 करोड़ की शादी हुई। क्या वह व्हाइट मनी थी ? गरीब आज जूझ रहा है। रोज-रोज नियम बदले जा रहे है।
तीन तलाक व समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर उनका कहन था कि हमारे यहां मुसलमाम अपनी शरीयत पर चलना पसंद करते है। शरीयत में दखलअंदाजी नहीं होनी चाहिए। पहले खाप पंचायतों को तो खत्म करों। कुरआन व हदीस का प्रोसिजर सहीं है। सरकार को शरीयत में दखल नहीं करना चाहिए।
मुशायरे पर कहा कि पहले मुशायरा आसमान पर था अब जमीन पर आ गया है। मुशायरा प्रोफेशनल बन गया है। जिसकी जरा सी आवाज अच्छी है। उसने कहा यह धंधा आराम का है। तहजीब, तमीज खत्म हो गई। उर्दू को नुकसान हुआ। उर्दू अकादमी के जिम्मेदार अपनी भलाई में लग गये। न तो उर्दू को फायदा हुआ न ही पब्लिक को।

वजीरे आजम को इल्म नहीं अवाम की परेशानी का : हाशिम फिरोजाबादी

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मुशायरे में शिरकत करने आये हाशिम फिरोजाबादी का कहना था कि इस वक्त नोट बंदी के चर्चे जोरो पर है। यह फैसला काबिले तारीफ है लेकिन इतना बड़ा फैसले जल्दबाजी में उठाया गया कदम है। इसके लिए पहले से तैयारी रखनी चाहिए थी। शायद वजीरे आजम को इल्म नही कि अवाम को कितनी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। गरीब आदमी परेशान है। मेरे परिचित आये जिनके घर फुटकर पैसे नहीं थे फुटकर पैसे के अभाव में दूध लेना मुश्किल हो गया मेरा छोटा बच्चा दूध न मिलने से परेशान है। हाशिम ने कहा कि पहले मुशायरों की महफिल अदबी महफिल रही लेकिन अब मुशायरे और कवि सम्मेलन राजनीति का आखाड़ा बन कर रह गये है। पहले नफरत फैलाने का काम राजनीतिक दल किया करते थे अब मुशायरे और कवि सम्मेलन से नफरत फैलाने का काम किया जा रहा है। शायराना अंदाज में हाशिम ने कहा कि खुद को अपने आप बरबाद कर रहा हूँ, मैं, यह देख फिर से मुझे याद कर रहा हूँ मैं।  उर्दू जुबान पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मेरी इब्तेदाई तालीम उर्दू नहीं रहीं लेकिन मेरे अन्दर शौक था कि मै भी उर्दू जानूं जब अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने गया वहां मुझे उर्दू सीखने का मौका मिला। बात के अंत में उन्होने कहा कि इस मुल्क का मुस्लमान देश से मुहब्बत करता है और उसके हक के लिए हमेशा आवाज उठाता रहा है।

फैसले की तैयारी कमजोर थी  : कुंवर जावेद 

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शायर कुंवर जावेद ने कहा कि मैं मोदी का समर्थक नहीं हुं लेकिन नोटबंदी का फैसला सही है लेकिन फैसले की तैयारी कमजोर थी  जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है। मोदी जी ने जनधान खाते खुलवाये। उन्हें पन्द्रह लाख की जगह इन खातों में कुछ हजार रूपए डलवाने चाहिए थे तो यह सब दुश्वारी नहीं आती।
कुंवर जावेद ने कहा कि समान नागरिक संहिता लागू करना मुमकिन नहीं है। मुद्दां से भटकाने की कोशिश है।
मुशायरे व कवि सम्मेलनों पर बोले दोनों का ध्रुवीकरण किया जा रहा है। जो काफी नुकसान दे है। इसके अलावा नये शायरों में अदब व तहजीब की कमी है। शायरी सतही करते है। मुशायरों को जलसा नहीं बनाना चाहिए। पहले गैर कौमें मुशायरा करवाती थी। अब कवि सम्मेन और मुशायरों को अलग-अलग नजरिए से देखा जाने लगा जो सही नहीं है। पहले व अबके मुशायरों में जमीन आसमान का अंतर आ चुका है।

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