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राजधानी में सत्ता संघर्ष और गाँव की सरकार हड़ताल पर

लेखपाल 23 दिन से ,  आंगनबाड़ी दो सप्ताह से, एनएचएम संविदा कर्मी, आशाएं एक सप्ताह से हड़ताल पर
टीकाकरण, बच्चों व गर्भवती महिलाओं की पोषण योजना व राजस्व कार्य बुरी तरह प्रभावित, सरकारी अस्पतालों का काम भी प्रभावित

गोरखपुर, 15 सितम्बर। सूबे की राजधानी में सपा मुखिया के परिवार में सत्ता संघर्ष चल रहा है और गांव में सरकार यानि लेखपाल, आंगनबाड़ी, आशा कार्यकर्ता, पंचायत सेवक सब अपनी मांगों को लेकर आंदोलन व हड़ताल पर हैं। इस कारण गांवों में प्रशासनिक, स्वास्थ्य व अन्य कार्य ठप पड़े हैं लेकिन इसकी चिंता करने वाला कोई नहीं है।

आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां और सहायिकाएं दो सितम्बर से हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि उन्हें राज्य कर्मचारी का दर्जा दिए जाए और उनका वेतन बढ़ाया जाए। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की हड़ताल से गांवों में बच्चों व गर्भवती महिलाओं के पोषण के लिए चलायी जा रही योजनाएं ठप पड़ी हैं। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां और सहायिकाएं रोज प्रदर्शन कर रही हैं लेकिन उनकी कोई नहीं सुन रहा है।

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इसी तरह राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र पर संविदा के तहत कार्य करने वाले चिकित्सक, नर्से व अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी आठ सितम्बर से ही पूरे सूबे में आंदोलन कर रहे हैं। अब उन्होंने कार्य बहिष्कार भी शुरू कर दिया है जिससे सरकारी अस्पतालों के कामकाज पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। एनएचएम संविदा कर्मियों की मांग हैं कि उन्हें नियमित किया जाए और रिजवी कमेटी की सिफारिशों के अनुरूप समान कार्य के लिए समान वेतन दिया जाए। गोरखपुर जिले में ही ऐसे स्वास्थ्य कर्मियों की संख्या पांच हजार है।

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एनएचएम संविदा कर्मियों की हड़ताल के समर्थन में गांवों में टीकाकरण से लेकर महत्वपूर्ण स्वास्थ्य योजनाओं को संचालित करने वाली आशाएं भी हड़ताल पर हैं। उनकी मांग है कि उन्हें स्थायी किया जाए और वेतन बढ़ाया जाए। उनकी हड़ताल के कारण बुधवार को टीकाकरण का कार्य भी नहीं हुआ। आशाओं ने बुधवार को सभी स्वास्थ्य केन्द्रों पर तालाबंदी कर दी थी तो आज हजारों की संख्या में जुलूस निकाला और कमिश्नर व डीएम कार्यालय पर प्रदर्शन किया। बीआरडी मेडिकल कालेज में तैनात एनएचएम संविदा कर्मी इन्सेफेलाइटिस मरीजों के इलाज के कारण हड़ताल पर तो नहीं गए हैं लेकिन काली पट्टी बांध विरोध प्रकट कर रहे हैं।

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लेखपाल पिछले 23 से वेतन विसंगति दूर करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। उनकी हड़ताल से गांवों में जाति, आय, निवास आदि प्रमाण पत्र बनाने से लेकर सभी महत्वपूर्ण कार्य ठप पड़े हैं। आज हड़ताल के 23 वें दिन उन्होंने रक्तदान कर अपनी मांगों के समर्थन में आवाज बुलंद की। एक दिन पहले उन्होंने जुलूस निकला था।

इसी तरह पंचायत कर्मी भी आंदोलन कर रहे हैं। उन्होंने बुधवार को मशाल जुलूस निकला।

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