लखनऊ , 1 नवंबर । रिहाई मंच ने आतंकवाद के आरोप में कैद भोपाल जेल के आठ कैदियों को पुलिस द्वारा फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने का आरोप लगते हुए इसके खिलाफ 2 नवंबर को अपरानह तीन बजे गांधी प्रतिमा, जीपीओ हजरतगंज लखनऊ पर धरणे देने की घोषणा की है। मंच ने कहा कि पुलिस के मुठभेड़ के दावे के बाद आए वीडियो क्लिप ने मध्य प्रदेश सरकार को सवालों के घेरे में ला दिया है जिसका अब तक उसने कोई जवाब नहीं दिया।
रिहाई मंच लखनऊ के प्रवक्ता अनिल यादव ने कहा कि जिस तरीके से एक वीडियो के हवाले से बताया जा रहा है कि फरार आरोपी सरेंडर करना चाहते थे, इस तथ्य को इस तरह से पेश करके मारे गए आरोपियों के जेल से भागने की बात को स्थापित किया जा रहा है। रिहाई मंच ने घटना के तुरंत बाद जारी बयान में भी इस बात को कहा कि उनके कपड़े और घड़ी आदि को देखकर साफ होता है कि उन्हें पुलिस ने किसी दूसरे जेल या कहीं और ले जाने के लिए कहकर तैयार करवाया था। उन्होंने सरकार के सह में पल रहे हिन्दुत्वादी समूहों द्वारा घटना के बाद गांव वालों की बातचीत के वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जब सरकार के गृहमंत्री यह कह सकते हैं कि जेल का ताला लकड़ी की चाभी से खोलकर वे फरार हो गए तो ऐसे तर्कों पर विश्वास नहीं किया जा सकता।
लखनऊ रिहाई मंच के महासचिव शकील कुरैशी ने कहा कि भोपाल फर्जी मुठभेड़ पर जिस तरह से सवाल उठ रहे हैं निःसदेह उसने देश में हो रही एनकाउंटर पाॅलिटिक्स को फिर से सामने ला दिया है। उन्होंने कहा कि वारंगल हो या फिर भोपाल, पुलिस के इस बढ़े आपराधिक मनोबल के लिए यूएपीए जैसे काले कानून जिम्मेदार हैं जिसके चलते बाटला हाउस फर्जी मुठभेड़ कांड की जांच सिर्फ इसलिए कांग्रेस सरकार नहीं करवाती क्योंकि इससे पुलिस का मनोबल गिर जाएगा। उन्होंने गैर भाजपाई दलों पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या उन्हें इस बात का आकलन है कि इस वक्त देश के मुसलमान, आदिवासी, दलित के मनोबल की क्या स्थिति है। उन्होने मीडिया संस्थानों से अपील की है कि ट्रायल के दौरान मारे गए अभियुक्तों वह आतंकी न लिखे।