लखनऊ , 2 अगस्त। आज प्रदेश के 27 जनसंगठनों व जनआंदोलनों ने भूमि अधिकार आंदोलन के बैनर तले करीब 600 की संख्या में इकट्ठा होकर देश के श्रमिक संगठनों द्वारा आहूत राष्ट्रव्यापी हड़ताल को मज़बूती से समर्थन देते हुए लखनऊ में रैली निकाली और गांधी प्रतिमा जी.पी.ओ पर जनसभा की।
दोपहर करीब 11 बजे चारबाग स्टेशन से रैली की शुरूआत हुई। इसमें, सोनभद्र, मिर्जापुर, चंदोली व बिहार अधौरा, बुन्देलखण्ड मानिकपुर चित्रकूट, तराई लखीमपुर खीरी व शहरी क्षेत्रों लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद, बनारस, मिरजापुर, आजमगढ़ व चंदोली आदि स्थानों पर वनाधिकारों, ज़मीन के सवाल पर, बड़े बांधों के लिये अवैध भूमि अधिग्रहण व फर्जी मुकदमों आदि के सवाल पर संघर्ष कर रहे समुदायों व कार्यकर्ताओं का समूह शामिल हुआ। यह रैली चारबाग से स्टेशन मार्ग, हुसैन गंज, बर्लिंग्टन चैराहा से मुड़कर कैसर बाग होते विधानसभा मार्ग पर स्थित सभा स्थल गांधी प्रतिमा की ओर बढ़ रहे थे कि लालबाग चौक पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक लिया और रैली को दूसरी तरफ मोड़ने की कोशिश की। इसको लेकर प्रदर्शनकारियो और पुलिस मे झड़प हुई। आंदोलनरत महिलाओं द्वारा इस पर विरोध करते हुए जब सभा स्थल की ओर जाने की कोशिश की तो पुलिस ने लाठी चार्ज भी कर दिया, जिससे 3 महिलायें चोटिल हो गयीं। इसके बावजूद लोड पीछे नहीं हटे जिसके कारण पुलिस को पीछे हटना पड़ा व लोगों सभा स्थल तक पहुंचने दिया।
जनसभा को अशोक चौधरी, राजेन्द्र मिश्रा, रवीन्द्र सिंह, रोमा, निबादा राणा, मातादयाल, गम्भीरा प्रसाद, सुरेन्द्र प्रसाद, रामचन्द्र राणा व राजकुमारी ने संबोधित किया। सभा का संचालन अमित मिश्रा ने किया।
सभा और रैली में की गई मांग
- भूमि अध्यादेश को वापिस लिया जाए व भू अधिकारों एवं श्रमाधिकारों के साथ कानून के साथ किसान व श्रम विरोधी छेड़छाड़ बंद की जाए।
- आज़ादी के 70 वर्ष बाद भी अभी तक देश में प्रभावी भू अधिकार कानून को पारित नहीं किया गया है अब भूअधिग्रहण नहीं भूअधिकार कानून की जरूरत है।
- सभी मज़दूर, कर्मचारी, दस्तकारों, पासमांदा बुनकरों और शोषित वंचित मेहनतकशों के बुनियादी श्रमाधिकार और सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो।
- मेहनतकश वर्ग को अभिव्यक्ति की आज़ादी, संगठन बनाने की आज़ादी व सरकारी जनविरोधी नीतियों के विरोध करने की आज़ादी संविधान के अनुरूप मिली है इसके साथ छेड़छाड़ बर्दाश नहीं की जाएगी।
- प्रदेश में किसी भी परियोजना चाहे वो कचरी पावर प्लांट हो, सड़क हाईवे कारीडोर हो, बांध जैसे कनहर बांध परियोजना हो या फिर अन्य विकराल योजनाए उसके लिए पहले स्थानीय जनसमुदाय से सहमति ली जाए व इन परियोजनाओं के किए जा रहे अवैध भू-अधिग्रहण पर रोक लगाई जाए।
- प्रदेश में असंवैधानिक व गैरकानूनी प्रक्रिया से बनी राजस्व संहिता को रदद किया जाए।
- दलित, आदिवासीयों, अल्पसंख्यकों, श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे माओवादी, आतंकवाद के नाम पर हमलों, फर्जी मुकदमों, फर्जी मुठभेड़ों एवं उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए।
- महत्वपूर्ण उद्योग जैसे रक्षा सम्बन्धी उद्योग और खुदरा व्यपार में विदेशी कम्पनियों को शामिल होने की छूट को वापिस किया जाए।
- महिलाओं का उत्पीड़न पर रोक लगाई जाए व उनके लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
- प्रदेश में वनाधिकार कानून के तहत प्राप्त सामुदायिक अधिकारों को प्रभावी प्रक्रिया के तहत मान्यता दी जाए।
- लघुवनोपज जैसे मछली, तेंदु पत्ता, शहद आदि सहित तमाम लघुवनोपज वनाधिकार कानून संशोधन-2012 के तहत पर समुदाय के पूर्ण अधिकार दिए जाए व वनविभाग व वननिगम की वनाधिकार कानून के खिलाफ काम करने की भूमिका की जांच कर कर्मचारीयों को दंडित किया जाए।
- देश में गौ रक्षा के नाम पर गौरक्षों द्वारा साम्प्रदायिक माहौल व गुंड़ागर्दी से पूरे श्रमजीवी समाज पर किए जा रहे जानलेवा हमलों को बंद किया जाए।
- साम्प्रदायिक हिंसा विरोधी बिल को जल्द पारित किया जाए।
- प्रदेश में एम्स जैसी अस्पताल की सुविधा क्षेत्रीय स्तर पर प्रदान की जाए व स्वास्थ एवं शिक्षा के निजीकरण को बंद कर शिक्षा को सार्वजनिक क्षेत्र के तहत लागू किया जाए।