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सतत विकास के लिए पर्यावरण बने शीर्ष प्राथमिकता

                        

सेंटर फार इन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और सेंटर फॉर सोशल इनिशिएटिव एंड स्टडीज (सीएसआईएस) ने चुनावी पर्यावरण जनसंवाद आयोजित किया

गोरखपुर, 7 दिसम्बर। सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान के तहत आज सेंटर फार इन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) और सेंटर फॉर सोशल इनिशिएटिव एंड स्टडीज (सीएसआईएस) के संयुक्त तत्वाधान में चुनावी पर्यावरण जनसंवाद का आयोजन किया  गया। सौ प्रतिशत यूपी कैंपेन का मकसद रिन्यूएबल एनर्जी, स्वच्छ हवा, साफ पानी और वेस्ट मैनेजमेंट के सही तरीकों को सुनिश्चित करके राज्य में एक दीर्घकालिक स्वस्थ वातावरण तैयार करना है। सभी नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने संवाद कर इन मुद्दों पर आम सहमति बनाई। इसके साथ ही नागरिक समाज के प्रतिनिधियों ने सभी राजनैतिक दलो से अपील की कि वे अपने चुनावी घोषणा पत्र में पर्यावरणीय मुद्दों को प्रमुखता से शामिल करे।

इस अवसर पर सेंटर फार इन्वायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) के प्रतिनिधि अशोक सिन्हा ने कहा कि सौ प्रतिशत उत्तर प्रदेश अभियान का मुख्य उद्देश्य विकास की रह पर चल रहे उत्तर प्रदेश में पर्यावरणीय मुद्दों को बढ़ावा देते हुए लोगों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना है। उत्तर प्रदेश में सतत विकास के लिए जरूरी है कि सभी राजनैतिक पार्टियों पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर करे। उन्होंने कहा कि बदलती हवा के साथ हमें भी बदलने की जरुरत है। इस कैंपेन का उद्देश्य 10 लाख लोगों तक पहुंचना है। जिसके तहद सीड विभिन्न नागरिक समुदायों के साथ मिल कर उत्तर-प्रदेश के विभिन्न जिलों में चुनावी पर्यावरण जनसंवाद कर लाखों लोगों को प्रत्यक्ष समर्थन के लिए एकत्रित कर रहा है ताकि वर्ष 2017 में होने वाले आगामी राज्य विधान सभा चुनाव में राजनैतिक दलों के चुनावी घोषणा पत्र में अक्षय उर्जा , साफ हवा, साफ़ पानी एवं कचरा प्रबंधन सम्मिलित करने के लिए जन समर्थन जुटाया जा सके.

सेंटर फॉर सोशल इनिशिएटिव एंड स्टडीज के मनोज कुमार सिंह ने कहा कि इस मुद्दें को राजनैतिक घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ साझा किया जायेगा। उन्होंने पूर्वाञ्चल के प्रमुख मुद्दों आमी, रोहिन नदी और रामगढ़ ताल के प्रदूषण, बड़े पैमाने पर अवैध बालू खनन , भूमिगत जल के विषाणु संक्रमित होने से इंसेफेलाइटिस जैसे रोग पर चर्चा की।

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वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी ने कहा कि सरकार की नीतियों पर गंभीरता से बारीक नजर रखनी होगी क्योंकि सरकारी नीतियों ने विकास के नाम पर पर्यावरण का भारी नुकसान किया है। भाकपा माले के जिला सचिव राजेश साहनी ने आमी के साथ-साथ कुआनो नदी के प्रदूषण की चर्चा करते हुए कहा कि पर्यावरण को सबसे अधिक नुकसान सबसे अधिक संसाधन वाले ही कर रहे हैं और गरीब इसका विक्टिम बन रहा है।

आमी बचाओ मंच के अध्यक्ष विश्वविजय सिंह ने एक दशक से चल रहे आमी नदी को बचाने के संघर्ष का अनुभव साझा करते हुए कहा कि आंदोलन ने आमी नदी को सभी दलों का राजनीतिक एजेंडा बना दिया है। उन्होंने कहा कि आमी के प्रदूषण ने लाखों लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।

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अमेरिका में न्यूक्लियर इंजीनियर रहे तनवीर सलीम ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि पर्यावरण के मुद्दों को राजनीति का एजेंडा बनाना बेहद जरूरी है और इसके लिए हमें खुद भी हर मुद्दे पर सजग  रहना होगा। लोगों की जरूरत के साथ –साथ पर्यावरण अनुकूल ऊर्जा विकास के क्षेत्र में कार्य कर रहे एके जायसवाल ने कहा कि हम गाँव स्तर पर ऐसी यूनिट बना कर कार्य कर सकते हैं जो कम ऊर्जा कि खपत के साथ लोगों को रोजगार दे। वनग्रामों में दो दशक से अधिक समय से काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता विनोद तिवारी ने वनों में रहने वाले लोगों की आजीविका की सुरक्षा का सवाल उठाया। पत्रकार धनंजय शुक्ल ने गोरखपुर शहर में जलजमाव होने पर उस पानी को शोधित किए बिना राप्ती नदी में डाले जाने का मुद्दा उठाया तो सामाजिक कार्यकर्ता वैभव शर्मा ने महेसरा और चिलुवाताल में शहर का कचरा डालने का मुद्दा उठाया और इसको लेकर हुए संघर्ष को साझा किया।

जन संवाद में फादर जैसन, पवन कुमार श्रीवास्तव, सज्जन कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे। जन संवाद में सभी नागरिक संगठनो के प्रतिनिधियों को इस मुहिम में शामिल होने की अपील की और कहा कि वे अपने अपने क्षेत्र के जन प्रतिनिधियों से आग्रह करे कि वो सौ प्रतिशत यूपी अभियान को समर्थन करें।

इस कार्यक्रम में गोरखपुर  के विभिन्न ब्लॉक और शहरी क्षेत्र के नागर समाज संगठन, दलित संगठन, बुद्धिजीवी ,  महिला समूह,  छात्र समूह  इत्यादि के प्रतिनिधि शामिल हुए।

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