गोरखपुर, 11 दिसम्बर। कस्बा मगहर के मशहूर आलिम-ए-दीन सूफी सखावत अली बरकाती के निधन पर मदरसा दारुल उलूम अहले सुन्नत मजहरूल उलूम घोषीपुरवा में सोमवार को कुरआन ख्वानी व शोक सभा हुई।
शोक सभा में मौलाना अब्दुर्रब व कारी रईसुल कादरी ने सूफी सखावत अली की जिंदगी व कार्यों पर रौशनी डालते हुए कहा कि मरहूम सूफी सखावत शरीयत के पाबंद, नेक व परहेजगार शख्स थे। उन्होंने दारुल उलूम उलूम अहले सुन्नत बरकातिया मोइदुल इस्लाम कायम कर शिक्षा की अलख जलायी। कारी मो. तनवीर अहमद कादरी ने कहा कि सूफी सखावत अली ने दीनी खिदमात के साथ रुहानी खिदमात अंजाम दी जिससे आमजन को बहुत फायदा मिला। अन्य शिक्षकों ने भी रंज व गम का इजहार किया। आखिर में हाफिज अब्दुल रहीम ने कुल शरीफ पढ़ा और रईसुल कादरी ने दुआ-ए-मगफिरत की। वहीं नार्मल स्थित दरगाह हजरत मुबारक खां शहीद में बाद नमाज जोहर मरहूम के लिए इसाले सवाब का प्रोग्राम हुआ। जिसमें मुफ्ती अख्तर हुसैन व मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी ने कहा कि सूफी सखावत अली के खिदमात को रहती दुनिया तक याद किया जाता रहेगा। अंत में मरहूम के लिए दुआएं की गयीं। कार्यक्रम में इकरार अहमद, मौलाना मकसूद आलम मिस्बाही, मौलाना मो. जाहिद, कारी नियाज, हाफिज शाकिर, हाफिज मो. अयूब, हाफिज नसरुद्दीन, अब्दुल जब्बार आदि मैजूद रहे।