भोजपुरी भाषा की उपेक्षा औपनिवेशिक मानसिकता की देन-प्रो सदानन्द शाही
भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए जन भोजपुरी मंच ने किया हस्ताक्षर अभियान का आयोजन
गोरखपुर, 27 सितम्बर। बीएचयू में हिन्दी के प्रोफेसर अवधेश प्रधान ने कहा है कि हिन्दी को जिंदा रखने और उसे ताकतवर बनाने के लिए भोजपुरी, अवधी सहित सभी जनपदीय भाषाओं का विकास करना जरूरी है।
प्रो प्रधान आज प्रेमचन्द पार्क में भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए जनभोजपुरी मंच द्वारा आयोजित हस्ताक्षर अभियान के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि टालस्टाय के 75वें जन्म दिन पर मास्को विश्वविद्यालय के छात्र उन्हें बधाई देने गए तो वह घर के बजाय खेत में किसानों से बातचीत कर रहे थे। छात्रों ने पूछा कि वह किसानों से क्या बातचीत कर रहे थे तो टालस्टाय ने कहा कि वह किसानों से रूसी भाषा सीख रहे थे। जिस टालस्टाय को सबसे बड़ा लेखक माना जाता है जिसकी ऐसी समर्थ भाषा है कि रूसियों कोे पूरे-पूरे पैराग्राफ याद रहते हैं, उनकी जड़े किसानों में थी। उन्होंने किसानों से भाषा की शक्ति पाई। प्रेमचंद ने यही भाषा की शक्ति भोजपुरी समाज से पाई थी। उनका भाषा और साहित्य जिन लोगों से आया था उनकी भाषा भोजपुरी के विकास की लड़ाई बहुत जरूरी है।
प्रो प्रधान ने कहा कि आज दुर्भाग्य आज की हकीकत है कि आज के युवा इम्तिहान देने के लिए भी प्रेमचन्द को दिल से नहीं पढ़ते इसलिए वे प्रेमचन्द की कहानियों का मर्म नहीं समझ सकते। जिनसे टालस्टाय ने भाषा सीखा हम समझते हैं कि हम अपने मा, पिता और ख्ेात में काम करने वाले किसान से कुछ नहीं सीख सकते। भोजपुरी केवल भाषा नहीं जीवन है, ज्ञान है, हमारा आत्मविश्वास है। हमें इसकी ताकत को जानना होगा।
इस मौके पर जन भोजपुरी मंच के संयोजक प्रो सदानन्द शाही ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल कराने हेतु प्रधानमंत्री को एक करोड ट्वीट करने के साथ-साथ हस्ताक्षर अभियान के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह अभियान नौ अगस्त से शुरू हुआ है। इसके लिए व्यापक जनमत तैयार करने के लिये दुनिया भर के भोजपुरी भाषियों से अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी भाषा की उपेक्षा औपनिवेशिक मानसिकता की देन है। इससे उबरे बिना भोजपुरी भाषा और क्षेत्र की सर्वांगीण उन्नति नहीं हो सकती। भोजपुरी भाषा की जड़ें लगभग हजार साल पुरानी हैं। विपुल मात्रा में भोजपुरी का मौखिक और लिखित साहित्य उपलब्ध है जिसका संरक्षण, संवर्धन और भावी पीढ़ी को हस्तान्तरण करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भोजपुरी को आठवी अनुसूची में शामिल करने से 20 करोड़ भोजपुरिया लोगों में न केवल आत्मगौरव का संचार होगा बल्कि मातृभाषा के माध्यम से बेहतर समझ भी विकसित होगी और वे देश के विकास में कहीं ज्यादा रचनात्मक योगदान कर पायेंगे।
इस मौके पर सैकड़ो लोगों ने भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग का समर्थन करते हुए हस्ताक्षर किया।