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11 जिलों के 63 थानों के मालखानों मेँ धूल फांक रही हैं 133 नायाब मूर्तियां

इंटेक ने मूर्तियों को म्यूजियम मेँ रखे जाने की कवायद शुरू की
सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 19 मार्च। एक दो नहीं बल्कि अष्टधातु व अन्य धातुओं की 133 बहुमूल्य मूर्तियां बेहद नायाब हैं जिनकी कीमत कई सौ करोड़ रुपये में हैं। यह केवल मूर्तियां नहीं हैं बल्कि यह हमारा माज़ी (गुजरा हुआ कल) हैं, इतिहास हैं। इनके जरिए हमें इतिहास जानने में मदद मिल सकती हैं। लेकिन अफसोस का मकाम यह हैं कि इन्हें होना चाहिए था म्यूजियम में। यह जीनत होनी चाहिए म्यूजियम की, लेकिन धूल फांक रही हैं पुलिस थानों के मालखानों में।
गोरखपुर जोन के 11 जिलों के 63 पुलिस थानों के मालखानों में  कई सौ साल पुरानी 133 नायाब मूर्तियां रखी हुई हैं। इन मूर्तियों को वर्ष 2000 से 2017 तक बरामद किया गया हैं। ज्यादातर मूर्तियों के मुकदमें न्यायालय में कई सालों से विचाराधीन  हैं । इन मूर्तियों में गौतम बुद्घा, गणेश, रामचंद्र, बलराम, दुर्गा, लक्ष्मी, सुभद्रा, राधा, हनुमान आदि हिन्दु देवी-देवताओं की हैं। इनमें कई मूर्तियों तो कई सौ साल पुरानी हैं। मूर्तियां अष्टधातु, पीतल आदि धातुओं की बनी हुई हैं। जिनकी अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में करोड़ों में कीमत हैं। यह राष्ट्रीय धरोहर हैं। मूर्तियां मालखानों में आम वस्तुओं की तरह पड़ी हुई हैं।
जोन के गोरखपुर में 18, देवरिया में 13, कुशीनगर में 16, महराजगंज में 10, बस्ती में 5, संतकबीरनगर में 2, सिद्घार्थनगर में 10, गोंडा में 14, बलरामपुर में 19, बहराइच में 19 व श्रावस्ती में 7 नायाब मूर्तियां विभिन्न थानों के मालखानों में मौजूद हैं।
वहीं गोरखपुर की बात की जायें तो यहां के 5 थानों के मालखानों में करीब 18 मूर्तियां हैं। कोतवाली में 4, चिलुआताल में 3, बड़हलगंज में 7, झंगहा में 2 और कैंपियरगंज में 2 मूर्तियां हैं। कैंपियरगंज में रखी दोनों मूर्तियां अष्टधातु की और बेशकीमती हैं। वहीं बड़हलगंज थाने के मालखाने  में  लक्ष्मी की अष्टधातु की मूर्ति करोड़ों की हैं।
आईजी गोरखपुर जोन मोहित अग्रवाल के अथक प्रयास से थानों के मालखानों में मौजूद नायाब मूर्तियों का विवरण इकट्ठा कर लिया गया हैं। इंटेक वालों ने भी आईजी जोन मोहित अग्रवाल से सम्पर्क कर इन राष्ट्रीय धरोहरों को संरक्षित करने के लिए बात की हैं।
इंटेक चैप्टर गोरखपुर के संयोजक एम कंदोई व सह-संयोजक पीके लाहिड़ी ने इस मामले के मुताल्लिक कहा कि यह चिंता का विषय हैं। यह तो 11 जिलों का आंकड़ा हैं। देश व प्रदेश में यह स्थिति और भी  सोचनीय हो सकती हैं। यह मूर्तियां राष्ट्रीय धरोहर हैं। इन्हें म्यूजियम में होना चाहिए था। इनके संरक्षण की बेहद जरुरत हैं। इन कीमती मूर्तियों का अभिलेखीकरण व फोटोग्राफी  आदि होना चाहिए। पुलिस विभाग को इसके संरक्षण के लिए आगे आना चाहिए। कम से कम इनके स्वरुप व  सुरक्षा के लिए कोई ऐसा ठोस इंतजाम होना चाहिए ताकि न्यायालय में मुकदमा विचाराधीन रहने के दौरान इन्हें म्यूजियम में संरक्षित रखा जायें। जिससे कि यह धरोहर सुरक्षित रह सकें। इंटेक टीम पुलिस विभाग की हर संभव मदद करने को तैयार हैं।

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