साक्षात्कार

रचनाकार स्थायी विपक्ष होता है : डा. अनिल चौबे

सैयद फरहान अहमद
गोरखपुर, 12 नवम्बर। प्रसिद्ध हास्य कवि डा. अनिल चौबे ने हास्य के नाम पर टीवी चैनलों पर जारी शो को हास्य व्यंग्य के नकारात्मक स्वरूप बताया। उनका कहना है कि मौजूदा समय में हास्य व्यंग्य का मतलब बदल गया है जिससे कविता, व्यंग्य को नुकसान पहुंच रहा है।
डॉ चौबे स्टार चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा आयोजित सैयद मजहर अली शाह मेमोरियल आल इण्डिया मुशायरा एवं कवि सम्मेलन में भाग लेने आये थे. गोरखपुर न्यूज़ लाइन से बात करते हुए उन्होंने देश में आपसी भाईचारा कायम रखने पर जोर दिया और कहा कि अगर कहीं कोई मसला पेश आ रहा है तो कहीं न कहीं वोट बैंक की सियासत है। डा. चौबे के अनुसार रचनाकार सरकार का स्थायी विपक्ष होता है उदाहरण के तौर अगर हमनें प्रधानमंत्री मोदी की तारीफ की है तो वहीं नोटबंदी, जीसएटी से जनता को हुई परेशानियों पर अपने व्यंग्य के द्वारा कटाक्ष भी किया है। उन्होंने स्वच्छ अभियान पर सरकार के वादों और इरादों पर प्रश्चचिहन खड़ा करते हुए कहा कि गंगा की सफाई के लिए बाकायदा एक मंत्रालय बना दिया गया लेकिन कोई काम नहीं हुआ। इस सिलसिले में उन्होंने व्यंग्य कसा-
‘  प्रदूषण ज्यों का त्यों मिला
भागीरथी मिले अनन्त
नाले गंगा में मिले
होटल में मिले संत ’