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छंगू लेक की खूबसूरती का भला क्या कहना !

सिक्किम यात्रा-3

 

कहते हैं कि गंगटोक कश्मीर के बाद हिंदुस्तान की दूसरी सबसे खूबसूरत जगह है। मैंने कश्मीर तो देखा नहीं है। फिर मेरे लिए तो हिन्दुस्तान की सबसे खूबसूरत जगह गंगटोक ही हुई। सिक्किम यात्रा का पहला दिन गंगटोक के पूर्वी हिस्से में स्थित बाबा मंदिर और सोमोगो लेक अथवा छंगू लेक को निहारने में गुजरा।

गंगटोक जाते हुए प्रकृति का नज़ारा चारों तरफ बहुत ही शानदार और दिलकश है। कुदरत ने अपनी खूबसूरती बिखेरने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।यह इलाका चूंकि चाइना और तिब्बत की सरहद से भी सटा हुआ है ।इसलिए सुरक्षा के बेहद कड़े इंतेज़ाम हैं।जगह जगह पर सेना के कई पोस्ट हैं। हाई सिक्योरटी ज़ोन की तरह दिखता है पूरा भूभाग।

 

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बाबा मंदिर के चारो तरफ ऊंची ऊंची पहाड़ियां और झरनों का नज़ारा बहुत ही शानदार है। दिल्ली के कनाट पैलेस की तरह एक बड़ा और ऊंचा तिरंगा लहरा रहा है।मध्य में खूबसूरत तिरंगा और चारों तरफ खूबसूरत पहाड़ियां और सुहाना मौसम माहौल को ख़ुशगवार बना रहा है। हम लोगों के वहाँ पहुंचते ही दूर से ही मद्धिम आवाज़ में कानों में देश भक्ति गीत की धुन पहुंचती है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस गाने को सुनकर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आँखें नम हो गयी थीं।जी हां,ये वही देश भक्ति गीत है “ऐ मेरे वतन के लोगों ज़रा आंख में भर लो पानी “.

 

लता दीदी की आवाज़ में इन खूबसूरत वादियों बज रहा है।और भी कई तरह के देशभक्ति गीत लगातार कानों में गूंजती रहती है।फिर अचानक एक पल के लिए वहां मौजूद हज़ारों लोग सावधान की मुद्रा में बिना किसी दिशा निर्देश के स्वतः ही खड़े होजाते हैं। सेल्फी का दौर रुक जाता है।राष्ट्रगान की धुन दूर दूर तलक जिनके भी कानों तक पहुंचती है वह उसके सम्मान जहां भी मौजूद है वहीं खड़े होकर सम्मान देना नहीं भूलता  है।

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छंगू लेक की खूबसूरती का भला क्या कहना ! यह झील बहुत ही खूबसूरत है। सबसे गहरी और सबसे ठंडी भी। एक किलोमीटर लंबी और डेढ़ किलोमीटर चौड़ी इस झील की गहराई करीब 15 मीटर है।बाबा मंदिर और छंगू झील जाते हुए ऊंची ऊंची पहाड़ियों पर सफेद बर्फ की चादरें खूबसूरती में चार चांद लगा देती है। जी तो यही चाहता है कि बार बार इन्हीं खूबसूरत नज़ारों को निहारा जाए।यहां कुछ युवतियां सिक्किम के पारंपरिक कपड़ों को लेकर खड़ी है लोग इन कपड़ों को पहनकर फ़ोटो खिंचवाते नज़र आ रहे हैं।मैंने भी इन कपड़ों में तस्वीर खिंचवाई और एक निशानी संभाल कर रख ली।पास ही में याक भी मोजूद है उस पर सवार होकर भी लोग फ़ोटो खिंचवा रहे हैं।मेरी हिम्मत फिलहाल याक पर सवार हो कर फ़ोटो खिंचवाने की नहीं हुई।

कई बार यात्राओं के दौरान ऐसा भी होता है कि हम अपने घर से तन्हा निकलते हैं और जहां जाते हैं वहीं अच्छे दोस्त मिल जाते हैं। वो अनजाने होते हुए भी आसानी से घुल मिल जाते हैं ऐसे ,जैसे कब से एक दूसरे को जानते और पहचानते हैं।कुछ ऐसा ही संयोग हुआ इस बार मेरे साथ भी।गंगटोक यात्रा के दौरान  दौरान बाबा मंदिर और सोमोलेक जाने के लिए आपको सिक्किम पर्यटन कार्यालय या फिर किसी ट्रेवल एजेंसी से आपको एक दिन पूर्व ही परमिट बनवाना होता है। एक मैक्स टैक्सी में कुल 10 लोगों को जाने की अनुमति मिलती है।

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सोमोगो लेक जाने के लिए जब हम बाजरा स्टैंड के ग्राउंड फ्लोर स्टैंड पहुंचे तो वहां टैक्सी मेंआठ जोड़े पहले से मौजूद थे। टैक्सी वाल जिसका नाम दीपक था,हमारी प्रतीक्षा में था। हम दो लोग थे मैं और मेरे एक दोस्त। सभी लोग अभी तक एक दूसरे से अनजान थे कोई किसी से बात नहीं कर रहा था।कुछ किमी की सफर के बाद लोग एक दूसरे से सहज हुए और हल्की फुल्की बात चीत शुरू हुई। हमारी टैक्सी में दो तीन जोड़े पश्चिम बंगाल के और एक जोड़ा छत्तीसगढ़ का था। बाकी बचे हम दो जिसे आप तन्हा होने के नाते जय और वीरू भी बोल सकते हैं।

हालांकि मैं तो शादी शुदा हूँ।लेकिन इस यात्रा में परिवार मेरे साथ नहीं था।वजह मेरे दो बच्चे हैं एक सात साल की बिटिया सारा और दूसरा तीन साल का शरारती और नटखट बालक रैय्यान।रैय्यान लेकर सफर करना वो भी घर से हज़ारों किमी दूर बड़ा मुश्किल काम था। टैक्सी में ही कोलकाता के भाई सौरव चक्रवर्ती और जमशेद पुर के भाई जितेंद्र कुमार अपने अपने जोड़ों के साथ मिलते हैं।हल्की फुल्की बात चीत से शुरू मुलाकात पल भर में ही गहरे रिश्ते में बदल जाती है।ऐसा नहीं लगता कि मुलाकात बिल्कुल नई नई है।ऐसा महसूस होता है कि जैसे  हम पहले से ही एक दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं और परिचित हैं।यह रिश्ते कम ही वक़्त में अपने पन में बदल जाता है।हम सब एक दूसरे के अच्छे दोस्त बन जाते हैं।
इस सफर  में कुछ अनजाने अपने भी बने।मुलाकाते हुईं।बाते हुईं।भाई सौरव और जितेंद्र कुमार बहुत याद आयेंगें।खैर कहा जाता है कि दुनिया गोल है।मुमकिन है कि फिर जिंदगी के किसी मोड़ पर जल्दी मुलाकात भी हो जाये। लव यू मेरे दोस्त !

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