स्वास्थ्य

देवरिया में छह माह में मिले कालाजार के 15 मरीज

 मलेरिया विभाग के सक्रिय खोजी अभियान में मिले कालाजार पीड़ित मरीज

 बिहार सीमा से सटे बनकटा ब्लाक के गांव सर्वाधिक प्रभावित 

 देवरिया जिले में पिछले छह माह के खोजी अभियान में लगभग लुप्तप्राय  कालाजार बुखार से पीड़ित 15 मरीज मिले हैं. इस वाकये के बाद मलेरिया विभाग के कान खड़े हो गये हैं. सारे मरीज बिहार सीमा से बनकटा ब्लाक के गांवों में मिले हैं. अधिकारियों ने प्रभावित गांवों को चिह्नित किया है. यहां  छिड़काव के जरिये रोग की कारक बालू मक्खी को खत्म करने के उपाय किये जा रहे हैं. 

जनपद के में बिहार सीमा से सटे गांवों में कालाजार के मामले सामने आए है. पिछले तीन सालों से मलेरिया विभाग कालाजार रोगियों को पहचान कर इलाज करा रहा है. एक जनवरी 2019 से अभी तक प्रभावित 12 गांवों में 15 मरीज मिले हैं. इसके आलावा मलेरिया विभाग की टीम ने दो पीकेडीएल (पोस्ट काला अजार डरमल लीशमैनियासिस) के मरीजों की पहचान की गयी है. इनका इलाज कराया जा रहा है.  बनकटा ब्लाक में कालाजार से प्रभावित परसिया छितनी गांव के रामऔतार, बालेश्वर गुप्ता, नेउरहां गांव के विवेकानंद, दिलीप, जगदीशपुर की पिंकी, विद्यावती देवी और दूखी, सुरवल निवासी ज्योति,बंधू छापर निवासी जगरनाथ, छपियाँ बघेल निवासी धर्मेंद्र यादव, कड़सरवा बुजुर्ग निवासी बिट्टू, रामसिंहभोपतपुरा निवासी अभिनन्दन और भाटपार ब्लाक के अकटही बाजार निवासी रोहित, खामपार निवासी मंजू देवी  हैं. इसमें सर्वाधिक प्रभावित गांव बनकटा ब्लॉक के हैं, जो बिहार से बिल्कुल सटा है.

 चार वर्षों में बढ़ा मरीजों का ग्राफ  

सहायक मलेरिया अधिकारी चंद्र प्रकाश मिश्रा ने बताया कि पिछले चार वर्षों में कालाजार के मरीजों का आंकड़ा बढ़ा है. वर्ष 2015 में कालाजार के 5 मरीज, 2016 में 15  मरीज , 2017 में 29 मरीज, 2018 में 41 मरीज कालाजार के मरीज मिले है. वर्ष 2019 में  अबतक 15 कालाजार के मरीज मिले हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष  2015 में एक्टिव सर्च टीम सक्रिय हुई और डोर टू डोर प्रभावित गांवों में भ्रमण करना शुरू किया. अब किट रैपिड के जरिए रोगियों की पहचान कर जिला अस्पताल में इलाज कराया जा रहा है. 

वाराणसी में ट्रेनिंग ले रही पांच डॉक्टरों की टीम 

सीएमओ डॉ धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि कालाजार से निपटने के लिए विभाग सतर्क है. लगातार  खोजी अभियान जारी है. रोगियों का बेहतर इलाज हो इसके लिए पांच डाक्टरों सहित आठ लोगों की टीम 1213 जुलाई को दो दिवसीय प्रशिक्षण के लिए वाराणसी गई है. जिले से डॉ डीके सिंह, डॉ अजित पाल, डॉ आरएस यादव, डॉ कृष्णा अजय, डॉ एसएस दिवेदी, एलटी हरीश मिश्रा, स्टाफ नर्स हृदयानंद वर्मा और निर्मला कुमारी को प्रशिक्षण के लिए वाराणसी भेजा गया है. 

कालाजार के लक्षण 

फिजिशियन डॉ डीके सिंह  ने बताया कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है. ये मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है. यह तीन से चार फीट ही उड़ पाती है. इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है. मरीज को बुखार अक्सर रूक-रूक कर या तेजी से तथा दोहरी गति से आता है, भूख न लगना, वजन में कमी, शरीर पीलापन और कमजोरी, तेजी से शरीर में खून का कम होना, प्लीहा का तेजी से बढ़ना, नरम और कड़ा होना, जिगर का बढ़ना लेकिन प्लीहा के इतना नहीं, त्वचा सूखी, पतली और सिल्की होना और बाल झड़ना, गोरे लोगों का हाथ, पैर, पेट और चेहरे का रंग भूरा हो जाता है.

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