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रेलवे प्रिंटिंग प्रेस की बंदी के खिलाफ पीआकेएस ने सभा की

गोरखपुर. रेलवे प्रिंटिंग प्रेस की बंदी का विरोध करते हुए पूर्वोत्तर रेलवे कर्मचारी संघ ने 17 जुलाई को प्रेस के गेट पर आक्रोश सभा की.

सभा को संबोधित करते हुए संघ के महामंत्री विनोद कुमार राय ने कहा कि  रेलवे प्रेस को बंद करने का आदेश पूर्ण रूप से मजदूर और रेल विरोधी है. उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर रेलवे का प्रिंटिंग प्रेस दिल्ली से लेकर गुवाहाटी तक के बीच का सबसे बड़ा प्रिंटिंग प्रेस है. इसकी स्थापना भारतीय रेलवे के आधे हिस्से के काम को करने के लिए की गई थी. इस प्रेस में 72 तरह के मनी वैल्यूयेलेबुल पत्रों की छपाई होती है जो इस देश की करेंसी है. यदि 31 जुलाई से प्रेस बंद हो जाता है तो कर्मचारियों के सामने बड़ी दिक्कत आएगी क्योंकि पास, पीटीओ, टिकट बनाने वाली किताबें और प्रिंटेड कार्ड टिकट आदि की बड़े पैमाने पर कमी होगी.

संघ के  महामंत्री ए के सिंह ने कहा कि प्रिंटिंग प्रेस की बंदी केंद्र सरकार की एक बड़ी साजिश है क्योंकि छपाई का कम सबसे बड़े मुनाफाखोरी का धंधा है.  उन्होंने कहा कि यह अत्यंत आश्चर्यजनक बात है कि  हर हाल में जल्द से जल्द प्रेस बंद हो, इसकी निगरानी प्रधानमंत्री कार्यालय ककर रहा है. सिंह ने कहा कि आजादी के बाद की यह पहली ऐसी सरकार है जो अपनी संपत्तियों को औने-पौने दाम में कारपोरेट घरानों को बेचने लगी है और मजदूरों के भविष्य को चौपट करना चाहती है.  श्री सिंह ने तालाबंदी के लिए मान्यता प्राप्त संगठन के महामंत्री को असली गुनाहगार बताया.

 सभा को रामकृपाल शर्मा, ए के शुक्ला, आरपी भट्ट, फिरोजुल हक़, मनोज द्विवेदी, डी के तिवारी, सतीश सिंह आदि ने संबोधित किया.

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