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यूजीसी ने विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की भर्ती प्रक्रिया रोकी

सुप्रीम कोर्ट में विभागवार आरक्षण के नियम को दी गयी है चुनौती
13 अगस्त को है सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई
कई माह से शिक्षक व छात्र पूरे देश में कर रहे आंदोलन

गोरखपुर. देश भर के विश्वविद्यालयो में अध्यापकों की भर्ती में आरक्षण को लेकर उठे सवालों के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने केंद्र व राज्यों के सभी विश्वविद्यालयो को अगले निर्देश तक भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया है. यूजीसी को इसके लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय की तरफ से निेर्देश दिया गया है. इस आदेश के बाद इलाहाबाद केन्द्रीय विश्वविद्यालय व लखनऊ विवि ने अपने यहां चल रही भर्ती प्रक्रिया को रोक दिया है. दीदउ गोरखपुर विश्वविद्यालय में भी इंटरव्यू व चयन के परिणामों की घोषणा रोक दी गयी है.

मालूम हो कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. 13 अगस्त को सुनवाई की अगली तारीख है. इसके पूर्व 18 जुलाई को संसद में इस मुद्दे पर सवाल उठे और हंगामा हुआ. इसके बाद कल 19 जुलाई को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की ज्वाइंट सेक्रेटरी डा उर्मिला देवी के हस्ताक्षर से सभी विश्वविद्यालयों में चल रही शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश जारी किया गया. जारी आदेश में सु्प्रीम कोर्ट में लंबित सुनवाई को रोक का कारण बताया गया है.

साल 2006 में यूजीसी के ही नियमों के आधार पर शिक्षक भर्ती में ओबीसी और एससी/एसटी अभ्यर्थियों के लिए विवि को इकाई मानकर आरक्षण का रोस्टर लागू किया जाता था. इस नियम के विरोध में बीएचयू के एक अभ्यर्थी विवेकानंद तिवारी ने हाईकोर्ट में याचिका डाली. 7 अप्रैल 2017 को हाईकोर्ट ने याचिका को निस्तारित करते हुए यूजीसी के लागू नियमों को रद कर दिया. यहीं नहीं आदेश दिया कि विभागों को इकाई मानकर आरक्षण का रोस्टर निर्धारित किया जाय. एमएचआरडी मिनिस्ट्री ने हाईकोर्ट के इस आदेश के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में अपील की। जहां उसे तत्काल कोई राहत नहीं मिली. सुनवाई जारी रही.

इसी बीच यूजीसी ने 5 मार्च 2018 को हाईकोर्ट के आदेश पर अमल करते हुए विवि की भर्ती में विभागवार आरक्षण रोस्टर लागू करने का निर्देश दिया. इसके बाद तेजी से सभी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गयी. गोरखपुर सहित कुछ अन्य विवि में जब चयनित उम्मीदवारों के लिफाफे खुले तो उसमे दो तिहाई पद अनारक्षित वर्ग के हिस्से में चले गये थे. इसके विरोध में ओबीसी और एससी/एसटी संगठनों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री को प्रतिवाद पत्र भेजे. इस पर संसद में भी 18 जुलाई को सवाल उठे और हंगामा हुआ.

भर्ती प्रक्रिया में विभागवार आरक्षण के नियम के विरोध में देश भर के विश्वविद्यालयों में शिक्षकों और छात्रों के आंदोलन चल रहे थे. कुछ ही दिन पूर्व दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने प्रदर्शन और विरोध रैली की थी. इनका कहना है कि हाईकोर्ट के एक आदेश की आड़ में आरक्षित संवर्ग के अभ्यर्थी चयन प्रक्रिया से ही बाहर हो जा रहे हैं. उन्हें संविधान की भावना के अनुरूप कोटे के अनुरूप आरक्षण नहीं मिल पा रहा है.

ताजा हालात
लखनऊ विवि के चार विभागों में चयन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है. सभी चयनित उम्मीदवारों ने अपने पद पर ज्वाइन कर लिया है. कुछ विभागों में चयन कार्य चल रहा था. उसे स्थगित कर दिया गया है. गोरखपुर, जौनपुर, रुहेलखंड विश्वविद्यालयों में कई विभागों के लिफाफे खुल चुके हैं. कुछ में साक्षात्कार होने थे. उन्हें स्थगित किया गया है. पूर्वांचल विवि, इलाहाबाद राज्य विवि,राम मनोहर लोहिया फैजाबाद विवि में अभी कार्यपरिषद की बैठक होनी है, जहां चयनित अभ्यर्थियों के लिफाफे खुलने बाकी हैं. यहां के अधिकारियों को इस संबंध में अभी शासन के निर्देश का इंतजार है.

घटनाक्रम

– 7 अप्रैल 2017, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा विभाग को यूनिट मानकर आरक्षण रोस्टर लागू करें.

-6 सितंबर 2017, एमएचआरडी ने यूजीसी से कमेटी बनाकर हाईकोर्ट के आदेश का परीक्षण करने को कहा.

-5 मार्च 2018, यूजीसी ने विवि को विभागों को इकाई मानकर आरक्षण रोस्टर लागू करने को कहा.

-18 जुलाई 2018,संसद में उठा मामला.

-19 जुलाई 2018, यूजीसी ने भर्ती प्रक्रिया रोकने का आदेश जारी किया.

दीदउ गोविवि में रोक का आदेश लागू

विश्वविद्यालय के कुलसचिव शत्रोहन वैश्य ने गोरखपुर न्यूज लाइन को बताया कि विवि में शिक्षक चयन प्रक्रिया व चयन के परिणाम घोषित करने की प्रक्रिया शनिवार से रोक दी गयी है.

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