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मधवलिया गोसदन से 1623 गोवंशीय पशु गायब ?

महराजगंज. कुप्रबंधन व अव्यवस्था को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाला जिला गोसदन मधवलियां इस बार 1623 गोवंशीय पशुओं के लापता होने को लेकर चर्चा में हैं. महीनों से शासन को जिला प्रशासन द्वारा जो रिपोर्ट भेजी जा रही हैं उसमें और अपर आयुक्त की गणना में गोवंशीय पशुओं के आंकडें में बडा झोल उजगार हुआ है. अपर आयुक्त की रिपोर्ट में 1623 गोवंशीय पशु कम पाए गए हैं.

मधवलिया गो सदन में कुप्रबंधन से लगातार गो वंशीय पशुओं की मौत हो रही थी. यहाँ पर गोरखपुर जिले सहित कई अन्य जिलों से गोवंशीय पशु भेजे जा रहे थे लेकिन संसाधन नहीं बढाये जा रहे थे. बीते वर्ष मण्डल के विभिन्न जनपदों से भी यहां छुट्टा पशु लाये गये और देखते ही देखते दो सालों में गोसदन में गोवंशीय पशुओं की संख्या 350 से बढकर 2579 पहुंच गयी. इस दौरान गोसदन के बेहतर प्रबंधन के लिए प्रबंधक भी बदले गये लेकिन हालात नहीं बदले.

जनवरी 2018 में एक पखवारे में 40 से अधिक गोवंशीयों की मौत के बाद थोड़े समय के लिए जिम्मेदार अफसरों की तन्द्रा टूटी तो जरुर लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकला. जून 2019 में छह दिनों में 60 गोवंशीय पशुओं की मौत का मामला सामने आया. इसे लेकर काफी बवाल मचा. जिला प्रशासन अपनी गलती छुपाने के लिए आंकडों में लीपापोती कर एक सुपरवाइज की छुट्टी कर दी और गोसदन कर्मियों पर मीडियां से बात चीत करने पर ही रोक लगा दी.

इसके बाद गोसदन के व्यवस्था के बेहतरी की तमाम दावे किये गये लेकिन गोसदन के अन्दर हालात नहीं बदले. बदहाल व्यवस्था की जडें तलाशने की बजाय प्रशासन गोवंशीय पशुओं के मौतों के आंकडों पर पर्दा डालता रहा, जिसके फलस्वरुप किश्तों में मरें गोवंशीय पशुओं के मौतों का आंकडा मौजूद पशुओं से जाने कब दूना हो गया किसी खबर तक नहीं लगी.

शासन द्वारा नामित जिले के नोडल अधिकारी कमिश्नर जयंत नार्लिकर जनपद के विकास योजनाओं हाल जानने के क्रम में शुक्रवार की शाम गोसदन पहुंचें और गोवंशीय पशुओं के आंकडे और मौजूदा पशुओं की संख्या में अंतर देख अफसरों जवाब तलब किया तो जितनी मुंह बात सुन कमिश्नर असहज हो गये और तत्काल प्रभाव से उप पशु चिकित्साधिकारी को निलंबित कर दिया.

उन्होंने अपर आयुक्त प्रशासन को गोसदन के सभी गोवंशीय पशुओं की गणना कराने को निर्देशित किया. कमिश्नर के आदेश पर शनिवार की देर शाम अपर आयुक्त प्रशासन अजय कांत सैनी, तहसीलदार राहुल देव भट्ट व नायब तहसीलदार रवि कुमार सिंह समेत सात लेखपालों की टीम लेकर देर शाम गोसदन मधवलियां पहुंचे और सभी पशुओं को बाडे में कराकर एक-एक पशुओं की गणना कराई तो मौके पर महज 956 पशु ही मिले। गोसदन प्रबंधन के दावों के मुताबित गोसदन में कुल 2579 गोवंशीय पशु हैं।

गणना और आंकडों में भारी अंतर मिलने पर उन्होनें अफसरों से पुछा कि शेष 1623 पशु कहा गये तो मौजूद अफसर चुप्पी साध गये. इस पर अपर आयुक्त ने काफी नाराजगी जताई और रिपोर्ट कमिश्नर को सौपने की बात कह वह देर रात लौट गये।

 पशुओं के मौत पर डाला गया पर्दा

जून 2019 के पहले सप्ताह में 60 से अधिक गोवंशीय पशुओं के मौत की खबर प्रकाश में आने के बाद से ही गोसदन प्रबंधन ने आकडों की बाजीगरी का खेल शुरु किया. पहले तो प्रशासन ने 60 पशुओं के मौतों से पल्ला झाडा. इसके बाद गोसदन की रजिस्टर को ही एक बडे अधिकारी ने हटवा दिया. यही नहीं इस दौरान कुछ कर्मचारियों को भी हटाया गया और उनकी जगह पर पूर्व में तैनात एक चर्चित सुपरवाइज को पुनः गोसदन में तैनात किया गया।

इसके बाद 2 अक्टूबर को गोसदन के निकट एक गढ्ढे और उसके आस-पास दर्जनों गोवंशीय पशुओं का शव देख ग्रामीणों ने गोसदन परिसर में जमकर हंगामा किया था। सूचना पर पहुंचे एसडीएम ने काफी देर तक ग्रामीणों से वार्ता की. इसके बाद पशुओं के शव को दफनाया गया। सूत्र बताते हैं कि उन मौतों का भी गोसदन के रजिस्टर में कोई इंट्री नहीं हैं।

बताया जा रहा है कि जून के बाद से ही गोसदन में मृत पशुओं की इंट्री में मनमानी की गयी हैं. यही नहीं जंगल की ओर चरने गये पशुओं के आने जाने का भी कोई आंकडा गोसदन के पास उपलब्ध नहीं हैं.

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