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इंडो-नेपाल बार्डर सड़क के लिए वन विभाग की टीम ने लिया पथलहवा हेड का जायजा

सड़क निर्माण के लिए कम से कम पेड़ काटे जाने का ढूंढा जा रहा है विकल्प

महराजगंज। शासन द्वारा गठित वन विभाग की तीन सदस्यीय टीम ने शुक्रवार को पथलहवा हेड का जायजा लिया तथा इंडो-नेपाल बार्डर सड़क के लिए लोक निर्माण विभाग इंडो-नेपाल बार्डर द्वारा निर्धारित किए गए संरेखण का विकल्प देखा। टीम एसएसबी से बात करने बाद अपनी रिपोर्ट शासन में भेज देगी।

भारत नेपाल सीमा पर सुरक्षा के दृष्टि कोण से एसएसबी की सभी बीओपी चौकियों को आपस मे जोङने, तस्करों पर प्रभावी नियंत्रण के लिए एसएसबी द्वारा लगातार पेट्रोलिंग के लिए इंडो-नेपाल बार्डर सङक का निर्माण कराया जा रहा है।

इस संबंध में सोहगीबरवा वन्यजीव प्रभाग के प्रभागीय वनाधिकारी मनीष सिंह ने बताया कि लोक निर्माण विभाग ने सड़क के लिए जो संरेखण तैयार किया है उसके मुताबिक़ पीलीभीत से लेकर महराजगंज के बीच करीब 55 हजार पेड़ काटने पड़ेंगे।

सड़क निर्माण के लिए 55 हजार पेङ कटने का बात जब शासन के सज्ञान में आई तो शासन के कहा कि बड़ी संख्या में पेड़ काटा जाना उचित नहीं होगा। इसके लिए ऐसा संरेखण तैयार हो जिसमें कम से कम पेड़ कटे। इसी के मद्देनजर शासन द्वारा गठित वन विभाग की तीन सदस्यीय टीन ने पथलहवा का जायजा लिया।

डीएफओ ने बताया कि महराजगंज में सड़क के संरेखण के मुताबिक निचलौल रेंज के झुलनीपुर से पथलहवा हेड को जोड़ने के लिए सोहगीबरवा वन्यजीव का एक किमी हिस्सा पङेगा जिसमें 172 पेड़ काटने पड़ेंगे। ये पेड़ न कटे तथा सड़क भी बन जाय, इसके लिए अन्य संरेखण को भी देखा। अब टीम एसएसबी से वार्ता करने के बाद अपनी रिपोर्ट शासन में भेज देगी।

तीन सदस्यीय टीम में मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव पूर्वी गोंडा रामकुमार, फील्ड डायरेक्टर दुधवा टाइगर रिजर्व फारेस्ट रमेश पांडेय तथा फील्ड डायरेक्टर पीलीभीत टाइगर रिजर्व फारेस्ट राजा मोहन शामिल रहे।

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