जनपद

परंपरागत खेती में प्रयोग करना कृषि को दी जा सकती है नई ऊंचाई

कुशीनगर.  शिक्षा ही ऐसी निधि है जिसके जरिये आप अपना ,परिवार,समाज और देश का भला कर सकते है. देश के किसानों को कृषि को ऊंचाई पर ले जाने के लिए परंपरागत खेती में प्रयोग करना होगा.

दुदही के ठाकुर हरिकेश प्रताप सिंह इंटर कालेज में पृथ्वीपुर अभ्युदय समिति के तरफ से ग्रामीण विकास की समावेशी पहल के तहत आयोजित  दूसरे वार्षिक अधिवेशन  को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्व विद्यालय के प्रो  उमेश वशिष्ठ  ने पूना के किसानों का उदाहरण देते हुए यह बात कही.

पर्यावरणविद एवं डॉ भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह ने कहा कि खेती किसानी करने वाली ग्रामीण परिवेश की आबादी जैविक खेती के जरिये अपने उत्पादन को नई दिशा दे सकती है. कृषि से अपनी जरूरतों को पूरा करने में दिक्कत महसूस कर रहा किसान थोड़े से प्रयोग के जरिये न केवल अपना अपितु इलाके का भी भला कर सकता है. जरूरत केवल संवाद की है.
जमशेदपुर के जज राजिनन्दन राय ने  इलाके की बेहतरी के लिए किए जा सकने वाले कार्यो पर अपनी बात रखी। रिटायर्ड शिक्षक संघ के मंत्री अभिमन्यु प्रसाद ने पंचायत स्तर पर लोगो की टीम बनाकर प्रयोग करने तथा उसका मॉडल बनाए जाने का सुझाव रखा। प्रगतिशिल किसान हरगोविंद मिश्र, अनुराधा सिंह,शिला सिंह, दीनबंधु जायसवाल, भरत गुप्त आदि ने भी अपने विचार रखे.
इस मौके पर समिति की ओर से  जरूरतमंद छात्रों को छात्रवृति प्रदान की। इसके अलावा राजदेव सिंह दूरदर्शिता सम्मान प्रो उमेश वशिष्ठ को, मौलश्री देवी गंगा गौरव सम्मान अनुराधा सिंह को और  विक्रम सिंह कर्मठता सम्मान अनिल यादव को दिया गया. इस अवसर पर रामशंकर सिंह, उपेंद्र प्रताप , रामेश्वर सिंह, जितेंद्र सिंह आदि उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन दीनबंधु जायसवाल ने किया.

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