साहित्य - संस्कृति

वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन को प्रेमचंद स्मृति कथा साहित्य सम्मान

उपन्यास ‘ जहाँ एक जंगल था ’ पर दिया गया यह सम्मान
बांदा की प्रसिद्ध साहित्यिक संस्था ‘ शबरी ’ देती है यह सम्मान 
गोरखपुर, 9 अप्रैल। बाँदा की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘ शबरी ’ ने वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन को वर्ष 2015 का मुंशी प्रेमचंद स्मृति कथा साहित्य सम्मान देने की घोषणा की है। यह सम्मान 14 अप्रैल को बांदा में आयोजित एक समारोह में दिया गया। सम्मान में संस्था द्वारा 21 हजार रूपए, स्मृति चिन्ह दिया जाएगा।
यह सम्मान मदन मोहन के उपन्यास ‘ जहाँ एक जंगल था ’ के लिए दिया गया है। संस्था ने वर्ष 2016 के लिए यह सम्मान वरिष्ठ कथाकार संजीव को उनके उपन्यास
‘ फाँस ’ लिए दिया हैं।
संस्था ने मदन मोहन के उपन्यास पर कहा है कि यह उपन्यास पूर्वी उत्तर प्रदेश के
तराई वाले हिस्से को अपनी कथा भूमि बनाता है जिसमे मध्यवर्गीय चरित्र के
नैतिक ,सांस्कृतिक व राजनैतिक अंतर्द्वंद दर्ज किये गए है। राजनैतिक
संगठन के आभाव में अपनी दिशा तलाश कर रहे आक्रोश का चित्रण इस उपन्यास को
विशेष बनाता है। यह उपन्यास वर्ष 2012 में प्रकाशित हुआ था।
संस्था के सचिव मयंक खरे ने यह सम्मान दिए जाने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रख्यात कवि केदार नाथ अग्रवाल के शहर बाँदा के बुद्धिजीवियों ,कला प्रेमियों तथा परिवर्तनकामी लोगो ने व्यापक वाम की अवधारणा के साथ ‘ शबरी ’ नाम की
संस्था का गठन वर्ष 2007 में किया था। यह संस्था मूलतः सांस्कृतिक क्षेत्र
चल रहे आंदोलनों को मंच प्रदान करने के लिए गठित हुई है। इसी क्रम में
संस्था ने प्रगतिशील आंदोलन के जनक मुंशी प्रेमचंद की स्मृति में कथा
साहित्य में 21000 रुपए का पुरस्कार शुरू किया था। अब तक यह पुरस्कार प्रभात रंजन, सुभाष कुश्वाहा ,दिनेश भट्ट, मोह आरिफ ,कैलाश वनवासी ,सत्यनारायण पटेल, संजीव बक्सी , नीलेश रघुवंशी व अल्पना मिश्र को दिया जा चुका है। इसके निर्णायक अमरकांत, शिवमूर्ति, ममता कालिया , कामतानाथ , ज्ञानरंजन ,अखिलेश ,संजीव ,प्रो राजेंद्र कुमार ,मैत्रेयी पुष्पा, रविभूषण ,विश्वनाथ त्रिपाठी तथा
विष्णु खरे रह चुके है।
इस पुरस्कार में नामवर सिंह, मुरलीमनोहर प्रसाद सिंह, प्रणय कृष्ण, प्रदीप सक्सेना , ज्ञान रंजन ,मंगलेश डबराल, वीरेंद्र यादव जैसे हिंदी के शीर्ष हस्ताक्षर अपने वक्तव्य दे चुके है। यह पुरस्कार बाँदा शहर की जनता द्वारा दिया जाता है और इसमें किसी तरह का सरकारी व संस्थागत सहयोग नहीं लिया जाता है।
जन संस्कृति मंच के राष्टीय सचिव मनोज कुमार सिंह, अशोक चैधरी, आनंद पांडेय, जगदीश लाल श्रीवास्तव आदि ने मदन मोहन को यह सम्मान मिलने पर बधाई दी है।

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