साहित्य - संस्कृति

कुवैत और नेपाल से आए साहित्यकारों ने देखा प्रेमचन्द का घर

इप्टा ने प्रेमचन्द की कहानी ‘ सौत ’ का मंचन किया  
गोरखपुर, 4 दिसम्बर। कुवैत और नेपाल से आए साहित्यकारों, शिक्षकों ने आज प्रेमचन्द पार्क जाकर प्रेमचन्द का घर देखा। प्रेमचन्द का घर देखकर वे बहुत खुश हुए और बोले कि वह प्रेमचन्द को पढ़ते रहे हैं और उनके साहित्य को विद्यार्थियों में पढ़ाते हैं लेकिन आज उनकी ‘ कर्मभूमि ’ देखना बेहद सुखद अनुभव है। इससे हमें प्रेमचन्द और उनके साहित्य को समझने की नई दृष्टि मिली है। इस मौके पर तीन साहित्यकारों ने इप्टा की गोरखपुर इकाई्र द्वारा प्रस्तुत प्रेमचन्द की कहानी ‘ सौत ’ का नाट्य मंचन भी देखा।
कुवैत विश्वविद्यालय में हिन्दी के शिक्षक डा. सईद रोशन, वहीं पर कार्यरत शायर, लेखक एवं मौर्य परिषद के उपाध्यक्ष डा. अफरोज आलम तथा नेपाल की उर्दू एकेडमी के अध्यक्ष साकिब हारूनी आज सुबह 11 बजे प्रेमचन्द पार्क आए। तीनों लेखक एवं साहित्यकार 5 दिसम्बर को सेंट एंडयूज महाविद्यालय में प्रेमचन्द पर आयोजित सेमिनार में भाग लेने आए हैं। प्रेमचन्द पार्क पहुंचने पर प्रेमचन्द साहित्य संस्थान के सचिव मनोज कुमार सिंह ने उनका स्वागत किया। सभी ने पहले प्रेमचन्द की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद संस्थान द्वारा आयोजित स्वागत समारोह व नाट्य मंचन कार्यक्रम शुरू हुआ। सबसे पहले संस्थान के सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रेमचन्द के गोरखपुर से गहरे रिश्ते के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गोरखपुर प्रेंमचन्द की निर्माण भूमि और कर्मभूमि दोनों हैं। उन्होंने यहां पर रावत पाठशाला व मिशन स्कूल में आठवीं तक पढ़ाई की। यहीं पर उन्होंने रेती चैक पर स्थित बुद्धिलाल बुकसेलर की दुकान पर दो-तीन वर्षों में उर्दू, हिन्दी और अंग्रेजी के ढाई सौ अधिक उपन्यास व कहानियां पढ़ लीं। यहीं पर किशोर प्रेमचन्द की पहली कहानी भी लिखी। श्री सिंह ने कहा कि 16 अगस्त 1916 को प्रेमचन्द नार्मल स्कूल में सहायक अध्यापक बनने पर गोरखपुर आए और वर्तमान में प्रेमचन्द पार्क में स्थित आठ कमरों वाले भवन में रहे। यहां पर वह करीब पांच वर्षों तक रहे और उनकी तमाम कहानियों व उपन्यास की पृष्ठिभूमि यहीं तैयार हुई। यहीं पर उनकी महान शायर फिराक गोरखपुर और महावीर प्रसाद पोद्दार से मुलाकात हुई। महावीर प्रसाद पोद्दार ने उनकी रचनाएं हिन्दी में छापीं।

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इस मौके पर इप्टा ने डा. मुमताज खान के निर्देशन में प्रेमचन्द की कहानी ‘ सौत ’ का नाट्य मंचन किया। यह नाटक रजिया नाम की स्त्री के स्वाभिमान, संघर्ष और त्याग की कहानी है। नाटक देख तीनो साहित्यकार काफी प्रभावित हुए। नाटक में रजिया की भूमिका रीना श्रीवास्तव, दसिया की भूमिका सोनी निगम और रामू महतो की भूमिका एस रफत हुसैन ने अभिनीत की। अन्य भूमिकाओं में धर्मेन्द्र दूबे, विनोद चन्द्रेश, आसिफ सईद, संजय सत्यम, तनवीर आजाद, मृत्युंजय शंकर सिन्हा आदि ने अभिनय किया। परिधान एवं मंच परिकल्पना सीमा मुमताज और रूप सज्जा राम बहाल का था।
नाटक देखने के बाद तीनों ने प्रेमचन्द का घर देखा और संस्थान के पदाधिकारियों से लाइबे्ररी, साहित्यिक गतिविधियों के बारे में बातचीत की।
इस मौके पर शहर के वरिष्ठ चिकित्सक डा अजीज अहमद, शायर डा. कलीम कैसर, कहानीकार रवि राय, वरिष्ठ पत्रकार अशोक चौधरी, विकास द्विवेदी, नितेन अग्रवाल, सुभाष पाल एडवोकेट, बैजनाथ मिश्र, अंकुर सच्चर आदि उपस्थित थे।

प्रेमचन्द पर सेमिनार आज
सेंट एण्डयूज कालेज एवं गोरखपुर जाब इनफार्मेशन एंड टेनिंग सेंटर द्वारा सेंट एण्डयूज कालेज के सभागार में 5 दिसम्बर को 11 बजे से प्रेमचन्द पर सेमिनार का आयोजन किया गया है। इसमें कुवैत विश्वविद्यालय के हिदी के शिक्षक डा. सईद रोशन, वहीं पर कार्यरत शायर, लेखक एवं मौर्य परिषद के उपाध्यक्ष डा. अफरोज आलम तथा नेपाल की उर्दू एकेडमी के अध्यक्ष साकिब हारूनी, आसिफ आजमी, उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कलीमुल्लाह खान, गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो केसी लाल, प्रोफेसर अनिल कुमार राय आदि भाग लेगे।

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