साहित्य - संस्कृति

महिलाओं को साथ लिए बिना सामाजिक क्रांति की लड़ाई पूरी नहीं हो सकती-प्रो जर्नादन

ध्रुवराम बौद्ध की पुस्तक ‘ युग पुरुष, युग निर्माता, बोधिसत्व, बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर: व्यक्ति एक, व्यक्तित्व अनेक ’ का विमोचन

गोरखपुर, 20 मार्च। दलित साहित्य एवं संस्कृति मंच, गोरखपुर के तत्वावधान में प्रेस क्लब सभागार में 19 मार्च को आयोजित एक कार्यक्रम में एडवोकेट धु्रवराम बौद्ध की पुस्तक ’’युग पुरुष, युग निर्माता, बोधिसत्व, बाबा साहब डा. भीमराव अम्बेडकर: व्यक्ति एक, व्यक्तित्व अनेक ’’ का विमोचन हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि दी.द.उ.गोरखपुर विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डा. जनार्दन, रहे। अध्यक्षता प्रसिद्ध बौद्ध चिंतक आर. बी. त्रिषरण ( संचालक/संरक्षक समाज सुधार प्रकाशन ) हरैया, बस्ती ने किया।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि प्रोफेसर जनार्दन ने कहा कि एडवोकेट ध्रुवराम बौद्ध की पुस्तक सामाजिक परिवर्तन की चेतना को आगे बढ़ाती है। पुस्तक बाबा साहब के व्यक्तित्व के अनेक पहलुओं को उजागर करती है। बाबा साहब ने कहा है कि जब ज्ञान की चेतना आयेगी तभी शोषित वंचित समाज तथा महिलाये सामाजिक गुलामी की बेडि़यां तोड़ेंगी। बातें करना तो आसान है लेकिन उसे जिंदगी में उतारना कठिन है। अम्बेडकर साहित्य को जीवन में उतारना होगा। सामाजिक क्रांति की लड़ाई बगैर महिलाओं को साथ लिये पूरी नहीं हो सकती है। आज प्रतिक्रियावादी ताकतें ज्यादा सक्रिय हो गयी हैं अतः दलित लेखकों की जिम्मेदारियां ज्यादा बढ़ गयी है। खुशी इस बात की है कि इस कठिन दौर में भी पुस्तकें लिखी जा रही हैं तथा दलित मंच सक्रिय है। अभी और सक्रियता की जरूरत है। यह पुस्तक उसी की एक कड़ी है।

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कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बी आर त्रिशरण ने कहा कि एडवोकेट ध्रुवराम बौद्ध की पुस्तक कम शब्दों में ज्यादा बात कहती है। यह बाबा साहब के मिशन को आगे बढ़ाती है। यह आम आदमी के लिये आम आदमी की भाषा में लिखी गयी है। आज बाबा साहब को जानने एवं पढ़ने की जरूरत ज्यादा बढ़ गयी है। साहित्य की भूमिका समाज को दिशा देना है। यह पुस्तक उसकी कमी को पूरा करती है।
’अम्बेडकर इन इण्डिया’ मासिक पत्रिका के संपादक एवं वरिष्ठ दलित चिंतक दयानाथ निगम ने कहा कि अगर भारत के समाज एवं इतिहास को जानना है तो डा. अम्बेडकर को अवश्य पढना होगा। इस पुस्तक का नाम सुन्दर है ’व्यक्ति एक, व्यक्तित्व अनेक’। बाबा साहब के दर्शन को , उनके व्यक्तित्व को तथा उनके योगदान को यह पुस्तक अच्छी तरह से बताती है। बाबा साहब का सबसे बड़ा योगदान उनका लिखा संविधान है, जिसे हर नागरिक को पढ़ना चाहिये।

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विशिष्ट अतिथि कवि हरिशरण गौतम, पूर्व उपायुक्त, वाणिज्य कर ने कहा कि यह पुस्तक सारगर्भित है तथा पठनीय है। बाबा साहब के जीवन संघर्षो के बारे में प्रकाश डालती है जिसे अपना कर हम एक बेहतर समाज बना सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि शिवचन्द राम, जिला विद्यालय निरीक्षक देवरिया ने कहा कि यह पुस्तक इस मामले में विशिष्ट है कि यह साधारण जनों के लिये लिखा गया है। भाषा सरल एवं सुबोध है। यह पाठक के भूख को बढ़ाती है।
डा. अलख निरंजन ने कहा कि पुस्तक सामाजिक कार्यकर्ता मोलहू प्रसाद को समर्पित की गयी है जो कि लेखक के सरोकार को बताती है। जैसे मोलहू प्रसाद सक्रिय समाज सेवी थे उसी तरह एडवोकेट ध्रुवराम बौद्ध सक्रिय हैं और यह पुस्तक उसी सक्रियता का परिणाम है।
अम्बेडकरवादी जागरण मंच के महामंत्री चन्द्रशेखर ने कहा कि पुस्तकें समाज को रोशनी देती हैं तथा मार्गदर्शन देती हैं। यह पुस्तक भी समाज को प्रेरित करती है।
वरिष्ठ बौद्ध चिंतक परदेशी बौद्ध ने कहा कि एडवोकेट ध्रुवराम बौद्ध ने अपनी पुस्तक में गागर में सागर भरने का काम किया है। उन्होंने पुस्तक के कई अंश पढ़कर इसकी प्रासंगिकता को प्रस्तुत किया।
मंच के संयुक्त सचिव कवि अनिल गौतम ने कहा कि हमारा मंच दलित लेखकों के कई पुस्तकों का लोकार्पण कर चुका है जिसकी कड़ी में आज की पुस्तक है। हमारा उद्देश्य बाबा साहब के मिशन को आगे बढ़ाने वाले साहित्य को जन-जन तक पहुंचाना है। आज यह मंच शोषितों एवं वंचितों की आवाज को लोगों तक पहुंचाने के लिये संघर्षरत है।
अम्बेडकरवादी नेता भानुप्रताप ने कहा कि पुस्तकें समाज के विकास के लिये अति आवश्यक है। इससे समाज में जागरूकता आती है।
कवि डा. संजय आर्य ने कहा कि लेखक का प्रयास प्रशंसनीय है। यह बाबा साहब के कारवां को आगे बढ़ाने के लिये प्रेरित करती है।
इस अवसर पर गौतम कुमार बौद्ध, एस पी बर्मन, इं.आर एल गौतम ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संगठन सचिव कवि राम चन्द्र प्रसाद त्यागी ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों के प्रति आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन कवि सुरेश चन्द, अध्यक्ष दलित साहित्य संस्कृति मंच ने किया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से अमित कुमार कथाकार, महेन्द्र कुमार गौतम शिक्षक, इ. विक्रम प्रसाद, डा. सतीश राना, डा. विवेकानन्द, डा. ओम प्रकाश राव, सुश्री गौतमी बौद्ध, खेमा, सृष्टि, डा. विरेन्द्र कुमार, राममूरत बौद्ध, जगदीश चन्द, बंगाली प्रसाद, एडवोकेट उदय चन्द राज, भोला प्रसाद, राम नरेश, डी एन भारती, धर्मप्रकाश गौतम, ओम प्रकाश आजाद, भरत प्रसाद, विजय कुमार आजाद, मनोज, श्रवण कुमार शिक्षक, दीपांकर, भीम, रमेश प्रसाद, सतरू प्रसाद, विकास कुमार, भीम स्वरूप भाष्कर एडवोकेट, मिथिलेश कुमार आनंद सहित दर्जनों प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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