गोरखपुर, 4 सितम्बर। ईद-उल-अजहा पर्व के दूसरे दिन रविवार को मुस्लिम घरों में बकरा व चिह्रित सामूहिक कुर्बानी स्थलों पर भैंस व पड़वे की कुर्बानी की गई। सुबह से शुरु हुआ कुर्बानी का सिलसिला शाम तक चला। पहले दिन की अपेक्षा दूसरे दिन कुर्बानी कम हुई।
सोमवार कुर्बानी का आखिरी दिन हैं। मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, अस्करगंज, रहमतनगर, तुर्कमानपुर, बक्शीपुर, जाफरा बाजार आदि जगहों पर सामूहिक कुर्बानी हुई। कुर्बानी के बाद गोश्त के तीन हिस्से किए गए। एक हिस्सा गरीबों में, एक हिस्सा पास-पड़ोस व रिश्तेदारों में भेजवाया गया। एक हिस्सा स्वयं के लिए रखा गया। सामूहिक कुर्बानी स्थलों पर दूर-दराज, गांव-देहात से आये लोग जुटे रहे। जिन्हें कुर्बानी का गोश्त दिया गया। कुर्बानी के जानवर की खाल मदरसों में दी गयी। इसी खाल, जकात व सदका फित्र से मदरसों में शिक्षा हासिल करने वाले बच्चे के रहने, खाने-पीने का इंतजाम होता हैं। मदरसा जियाउल उलूम पुराना गोरखपुर गोरखनाथ, मदरसा मजहरुल उलूम घोषीपुरवा, मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवान बाजार, मदरसा मेराजुल उलूम चिलमापुर, मदरसा फैजाने मुबारक खां शहीद नार्मल आदि मदरसों के शिक्षक, कर्मचारी रविवार को भी कुर्बानी की खाल जमा करने में मश्गूल रहे। वहीं मुस्लिम घरों में मेहमाननवाजी व दावतों का दौर जारी हैं। लजीज व्यंजनों से मेहमानों का इस्तकबाल किया जा रहा हैं। होटलों से बाकरखानी, शिरमाल रोटी की खूब बिक्री हो रही हैं। मस्जिदों में हर फर्ज नमाज के बाद बुलंद आवाज से तकबीरे तशरीक पढ़ी जा रही हैं। जिसका सिलसिला मंगलवार को असर की नमाज तक चलेगा। इस साल कुर्बानी पिछले साल की तुलना में अधिक हुई हैं। रब की रजा के लिए कुर्बानी कर बंदे, रब का शुक्र अदा कर रहे हैं।