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परिजनों का सवाल-शव का पोस्टमार्टम क्यों नहीं कराना चाहता था मेडिकल कालेज प्रशासन

गोरखपुर, 3 दिसम्बर। बीआरडी मेडिकल कालेज की जूनियर डॉक्टर आरती झा की मौत ने उसके परिजनों को अंदर तक हिलाकर रख दिया है।  गोल्ड मेडलिस्ट इकलौती बेटी की मौत का जितना गम परिजनों को है उससे कहीं ज्यादा दुःख उन्हें बीआरडी मेडिकल कालेज के जिम्मेदारों द्वारा किये जा रहे असहयोग से है। परिजनों ने कहा कि आरती सीनियर डाक्टर बनकर मेंडिकल के छात्रों को पढ़ाना चाहती थी.
इंडियन ऑयल पटना में इंजीनियर प्रशांत कुमार झा ने बताया कि उनकी इकलौती बहन डॉ. आरती  शुरू ही पढ़ने में मेधावी थी. उसने एमबीबीएस केजीएमयू लखनऊ से 2014  में किया था।  वह गोल्डमेडलिस्ट रही है। प्रशांत का कहना है कि आरती की हत्या हुई है। वह आत्महत्या नहीं कर सकती। मेडिकल कालेज प्रशासन कुछ जूनियर और सीनियर डाक्टरों के सहयोग से आरती के  प्रेम प्रसंग से लेकर अन्य जो भी कहानियां वायरल कर रहा है वह पूरी तरह से मनगढंत हैं। प्रशांत ने कहा कि आरती की तबीयत दो दिन से  खराब होने की बात बीआरडी प्रशासन कर रहा है जबकि उसकी तबीयत खराब नहीं थी। उसने कहा कि रात 10 बजे के आसपास उन्हें आरती ने फोन किया था जैसा कि वह आये दिन करती थी।  उसने उनका हालचाल लेने के बाद खुद के बारे में भी ओके बोला था.
माँ मीरा देवी ने कहा कि डॉ. आरती उनसे रोज बात करती थी।  शुक्रवार की रात में  9 बजे आरती ने उन्हें फ़ोन किया था।  उसने अपनी तबीयत को बिलकुल ठीक बताते हुए कहा कि मां तुम्हारे घुटने का दर्द कैसा है ? प्रेम प्रसंग और शादी से इनकार किये जाने पर आत्महत्या किये जाने की चर्चा पर उन्होंने कहा कि हम सभी खुले विचार के हैं।  आरती मुझसे हर बात बताती थी।  इस बात को उसने कभी नहीं बताया। यदि उसने बताया होता तो मैं शादी वह जिससे कहती ख़ुशी -ख़ुशी कर देती।  उन्होंने बताया कि एमबीबीएस करने के बाद ही उन्होंने उससे कहा था कि वह अब शादी कर ले लेकिन उसने कहा कि वह पढ़ाई पूरी करने के बाद ही शादी की बात सोचेगी। मां ने कहा कि प्रेम प्रसंग को लेकर आत्महत्या किये जाने की बात बेबुनियाद के सिवाय और कुछ नहीं है।
डॉ. आरती के पिता और रिटायर्ड बैंककर्मी विजयकांत झा ने कहा कि बीआरडी मेडिकल कालेज का प्रशासन और यहाँ के उसके छात्र दोस्त कितने संवेदनहीन हैं उसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि चंद क़दमों पर ही पोस्टमार्टम घर है लेकिन यहाँ तक उनमे से कोई नहीं आया.
आरती की मौत पर परिजनों का सवाल 
डॉ. आरती की मौत के बाद उसके भाई और फुफेरे भाई ने बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन को कठघरे में खड़ा करते हुए कई सवाल उठाये –
-शुक्रवार की रात 9 बजे तक डॉ. आरती ने जब वार्ड में भ्रमण किया तो कैसे दो दिन से उसकी तबीयत खराब थी।
-उन्हें पता चला है कि डॉ. आरती के शरीर में हॉस्टल के रूम में ही कोई हलचल नहीं थी फिर उसे पहले ट्रामा सेंटर फिर आईसीयू में रखने का तकरीबन पांच घंटे तक नाटक क्यों किया गया ?
-डॉ आरती की निजी डायरी उसकी एक सहेली ने अपने कमरे से ले आकर पुलिस को दी।  क्या कोई अपनी निजी डायरी दूसरे के कमरे में रखेगा ? वह वहाँ बैठकर तीन दिन अलग-अलग समय में अपने मन की बातें लिखेगा ?
-डॉ आरती के कमरे में जब लाइट नहीं थी तो इंट्राकैथ डॉ. कामना ने उसे कैसे लगाया ?
-यदि डॉ आरती की तबीयत खराब थी तो उसी वक्त परिजनों को सूचना क्यों नहीं दी गयी।  उसके मरने  इन्तजार क्यों किया जाता रहा ?
-रात 12 बजे के बाद उसकी सहेली उसे खाने के लिए बुलाने क्यों गयी जबकि वह यह जान रही थी कि डॉ आरती के पेट में दर्द है ?
-क्या अँधेरे कमरे में आरती रह रही थी ? क्योंकि पुलिस के पहुँचने के समय उसके रूम की लाइट इलेक्ट्रिशियन ने आकर ठीक किया था।
-परिजनों और पुलिस को इतनी देर से सूचना क्यों दी गयी ?
-बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन ने मीडिया को क्यों नहीं घटनास्थल तक जाने दिया और कोई आधिकारिक पक्ष क्यों नहीं दिया।  क्यों वह मुंह छिपाए हुए है?
-बीआरडी मेडिकल कालेज प्रशासन और आरती के साथी छात्र क्यों परिजनों का सहयोग नहीं कर रहे हैं और उसके शव को बिना पोस्टमार्टम के ले जाने का दबाब भोर में 4 बजे ही बना रहे थे ?
-डायरी में जो भी बातें लिखी गयी हैं उसे परिजनों को क्यों नहीं दिखाया गया ?

 

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