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आसान नहीं गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा सीट पर भाजपा के लिए प्रत्याशी का चयन

विपक्षियों की एकता से भाजपा में बेचैनी
25 को अमित शाह के लखनउ आगमन पर हो सकता है प्रत्याशी का चयन
गोरखपुर, 22 जनवरी। गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए भाजपा प्रत्याशी के नाम पर जल्द निर्णय होने की उम्मीद है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के 25 को लखनउ आगमन पर इस संबंध में अंतिम निर्णय लिए जाने की बात कही जा रही है।
दोनों स्थानों पर उपचुनाव एक महीने में होना संभावित है। मुख्यमत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव मौर्य के इस्तीफे से रिक्त हुए इन दोनों स्थानों पर छह माह हो गए हैं लेकिन अभी चुनाव आयोग ने चुनाव कराने की घोषणा नहीं की है जबकि कई अन्य राज्यों में रिक्त सीटों के साथ-साथ तीन राज्यों में चुनाव की घोषणा हो चुकी है।
चुनाव की घोषणा भले न हुई हो लेकिन राजनीतिक दलों ने उपचुनाव के लिए तैयारियां तेज कर दी है। समाजवादी पार्टी की ओर से प्रत्याशी चयन के लिए कई बैठके हो चुकी हैं। बसपा भी उपचुनाव की तैयारी कर रही है। यह भी चर्चा है कि दोनों स्थानों से विपक्ष संयुक्त प्रत्याशी दे सका है।
प्रत्याशी को लेकर सबसे ज्यादा उहापोह भाजपा में ही है। भाजपा दोनों स्थानों पर अपने प्रत्याशी का चयन नहीं कर पाई है। यह उपचुनाव भाजपा के लिए ही सर्वाधिक प्रतिष्ठा व चिंता का विषय बना हुआ है। दोनों स्थानों पर बड़ी जीत दर्ज करना उसके लिए जरूरी है। हार तो वह किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं कर सकती। साथ ही जीत का अंतर कम होना भी भाजपा के लिए 2019 के चुनाव के मद्देनजर नकारात्मक संदेश जाएगा।
सपा, बसपा और कांग्रेस व अन्य दलों द्वारा संयुक्त प्रत्याशी देने की चर्चा भी भाजपा को चिंतित कर रहा है क्योंकि दोनों स्थानों पर जातीय समीकरण ऐसे हैं कि यदि सपा-बसपा मिलकर चुनाव लड़ जाएं तो भाजपा की सांस फूल जाएगी। सपा की निषाद पार्टी से बढी नजदीकी भी गुल खिला सकती है। गोरखपुर सीट पर चर्चा है कि निषाद पार्टी या तो सपा प्रत्याशी का समर्थन करेगी या सपा, निषाद पार्टी के अध्यक्ष डा. संजय निषाद की उम्मीदवारी का समर्थन करेंगी। अभी हाल में यहां हुए ओबीसी सम्मेलन में डा संजय निषाद को जो तवज्जो मिली, उससे भी यही संकेत मिल रहा है।
यही कारण है कि भाजपा बहुत ठोक-बजा कर प्रत्याशी का चुनाव कर रही है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम केशव मौर्य अपने उत्तराधिकारी का चयन करने में दिक्कत महसूस कर रहे हैं।
गोरखपुर लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की तरफ से अब तक कई नाम उछल चुके हैं। इनमें कैम्पियरगंज के भाजपा विधायक फतेह बहादुर सिंह, भाजपा के गोरक्ष प्रांत के अध्यक्ष उपेन्द्र दत्त शुक्ल, पूर्व गृह राज्य मंत्री चिन्मयानंद, डा. धर्मेन्द्र सिंह, कामेश्वर सिंह आदि के नाम उल्लेखनीय है।
बगावत करने पर संगठन से निकाले गए हिन्दू युवा वाहिनी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह का नाम भी उनके समर्थक आगे कर रहे हैं। गोरखपुर के कई मुख्य मार्गों पर सुनील सिंह के मकर संक्राति की बधाई देने वाले होर्डिंग भी देखे जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर उनके समर्थक उनके पक्ष में मुहिम चला रहे हैं। हवन कर रहे हैं। उनकी प्रत्याशिता के लिए हिन्दू युवा वाहिनी के लिए अपनी जीवन होम करने की दुहाई दी जा रही है।
विधानसभा चुनाव के बाद योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बन जाने के बाद सुनील सिंह कई बार योगी आदित्यनाथ के पास गए। गुरू पूर्णिमा पर उन्होंने मंदिर जाकर आशीर्वाद भी लिया लेकिन उन्हें अभी तक संगठन में वापसी का आशीर्वाद नहीं मिला है।
प्रत्याशी चयन के लिए गोरखपुर में संगठन की एक बैठक हो चुकी है। भाजपा के सूत्रों ने बताया कि 25 जनवरी को लखनऊ में अमित शाह के आगमन पर भाजपा के वरिष्ठ पदाधिकारियों और दोनों संसदीय क्षेत्र के विधायकों को बुलाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि अमित शाह की सहमति मिलते ही पार्टी प्रत्याशियों के नाम घोषित कर चुनाव की दुंदुभी बजा देगी।

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