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गोरखपुर की महिला किसान आशा और चंदा देवी को रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार

गोरखपुर। गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप से जुड़ी गोरखपुर की दो महिला किसानों आशा देवी और चंदा देवी को आज लखनऊ में आयोजित एक समारोह में मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश रानी लक्ष्मी बाई वीरता पुरस्कार से समारोह किया। पुरस्कार के रूप में  उन्हें एक लाख रूपया की धनराशि और प्रशस्ति पत्र दे कर सम्मानित किया गया।

आशा देवी और चन्दा देवी ने जैविक खेती और कम लागत की खेती से लाभ कमा कर तमाम किसानों के लिए एक प्रेरणा और मार्ग दर्शक बनी हैं।

गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप के अध्यक्ष डा0 शीराज़ वजीह ने दोनो महिला किसानों को बधाई देते हुए कहा कि यह सम्मान इन दोनों महिला किसानों की कड़ी मेहनत और लगन का प्रतिफल है।

आशा देवी ने जैविक खेती में बनाई पहचान 

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ग्राम सेमरा देवी प्रसाद, विकासखण्ड खोराबार की आशा देवी अपने 7 सदस्यीय परिवार के पालन-पोषण हेतु 2.80 एकड़ खेती पर निर्भर करती हैं। फसलों के उत्पादन हेतु रसायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकांे का उपयोग करने के कारण इनकी खेती की लागत दिनोंदिन बढ़ती चली जा रही थी। यद्यपि कि विभिन्न स्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर इन्हें रसायनों के उपयोग से पड़ने वाले दुष्प्रभावों के बारे में थोड़ा-बहुत जानती थीं, परन्तु अन्य कोई विकल्प न होने के कारण उससे बच पाना इनके लिए मुश्किल था। धीरे-धीरे इनका मोह खेती से भंग हो रहा था। परन्तु वर्ष 2010 में जी0ई0ए0जी0 से जुड़ाव के पश्चात् जैविक खेती की विविध तकनीकों से परिचित होने के बाद इनको रसायनों का विकल्प मिला और ये घर पर बनी खाद एवं कीटनाशकों का उपयोग करने लगीं, जिससे इनकी खेती की लागत में लगभग 35 प्रतिशत की कमी आयी है साथ ही बाजार पर निर्भरता घटी है और लागत – लाभ का अनुपात तीन गुना हुआ है। संस्था से प्राप्त मौसम आधारित सूचनाएं प्राप्त कर इन्होंने उसका उपयोग किया और नुकसान को कम किया।
एकल खेती के बजाय इन्होंने घर-खेत-घारी के समन्वयन को अपनाया और विविधीकृत खेती के साथ मिश्रित खेती, पशुपालन, गृहवाटिका, वानिकी आदि सभी को अपनी खेती प्रणाली में समाहित किया। साथ ही अपनी जल-जमाव वाले खेत में थर्माकोल एवं जूट के बैग में खेती कर वर्ष भर बाजार से जुड़ाव सुनिश्चित कर रही हैं। एकीकृत जैविक खेती से आज इनकी आजीविका में स्थाईत्व भी बना है और इन्हें अपने व परिवार के खाने में स्वाद भी मिल रहा है। परिवार के साथ-साथ समाज में इनकी पहचान बढ़ी है। प्रत्येक माह गांव में किसान विद्यालय आयोजित कर जैविक खेती से सम्बन्धित अनुभवों को अन्य किसानों के साथ साझा करती हैं और आस-पास के गांवों मंे मास्टर ट््रेनर के रूप मे जाकर जैविक खेती पर प्रशिक्षण देने का काम करती हैं।

चन्दादेवी ने कम लागत तकनीक से जलवायु परिवर्तन का मुकाबला किया

 

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8 सदस्यीय परिवार के भरण-पोषण हेतु मात्र 1.20 एकड़ खेती पर निर्भर ग्राम संझाई की 45 वर्षीय चन्दादेवी के लिए खेती की राह बहुत कठिन थी। बाजार में बढ़ती मंहगाई, गुणवत्तापूर्ण कृषि निवेशों का न मिलना तथा उपर से मौसम की मार, इन सभी ने चन्दादेवी के लिए खेती को घाटे का सौदा बना दिया था। विपरीत परिस्थितियों से जूझ रही चन्दा देवी को वर्ष 2011 में गोरखपुर एन्वायरन्मण्ेटल एक्शनग्रुप का साथ मिला और उन्होंने अपनी तकदीर बदलने की ठान ली। संस्था से जुड़ाव के बाद इन्होंने बहुत से नवाचारों को अपनाया, जिसमें एकल खेती के स्थान पर विविधीकृत मिश्रित खेती, जल-जमाव वाले क्षेत्रों में उच्च लोटनल पाली हाउस में नर्सरी उत्पादन, कम लागत तकनीकों का उपयोग करते हुए यूरिया, डाई के स्थान पर घर पर जैविक खाद व कीटनाशकों जैसे नाडेप, वर्मी, मटका खाद व कीटनाशक, हरित खाद बनाकर उसका उपयोग आदि प्रमुख हैं।
इन नवाचारों से एक तरफ तो चन्दादेवी ने खेती में अपनी लागत को घटाई तो दूसरी तरफ मौसम की मार से होने वाले नुकसान में भी कमी की। विविधीकृत मिश्रित खेती करने के कारण बाजार से इनका जुड़ाव निरन्तर रहन लगा तो दूसरी तरफ खेती में लगने वाले निवेशों के लिए इनकी निर्भरता बाजार पर घटी है।दूरदर्शन एवं प्रिण्ट मीडिया के माध्यम से इनके अनुभवों का प्रसार किया गया, जिससे समाज में इनकी पहचान बढ़ी है। गांव मे ंकिसान विद्यालय संचालक होने के साथ-साथ आस-पास के अन्य गांवों में भी आयोजित होने वाले किसान विद्यालयों में मास्टर ट्रेनर के तौर पर इनके अनुभवों का लाभ लिया जाता है।

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