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डॉ कफ़ील के भाई पर हमले का मामला पीएम और संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुंचा

डॉ कफ़ील के भाई अदील अहमद खान ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र संघ, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश को पत्र भेजा

गोरखपुर, 26 जून. बीआरडी मेडिकल कालेज के ऑक्सीजन कांड से चर्चित हुए डॉक्टर कफील खान के छोटे भाई काशिफ जमील पर जानलेवा हमले का मामला अब राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुँच गया है.

डॉ कफील के बड़े भाई अदील अहमद खान ने 21 जून को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संयुक्त राष्ट्र संघ, गृह मंत्री, मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, राज्यपाल उत्तर प्रदेश, मानवाधिकार आयोग उत्तर प्रदेश को पत्र भेजकर अपने भाई काशिफ़ जमील के ऊपर जानलेवा हमले में पुलिस द्वारा आरोपियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करने का आरोप लगाया है. इस पत्र में आदिल अहमद ने कहा है की इस मामले में भाजपा सांसद कमलेश पासवान जुड़े हुए हैं इसलिए पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करने की साहस नहीं जुटा पा रही है.

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अदील अहमद ने लिखा है कि काशिफ़ जमील पर हमले में हमारा प्रथम संदेश भाजपा सांसद कमलेश पासवान और उनके व्यावसायिक साझेदार सतीश नांगलिया पर है क्योंकि दोनों ने 18 फरवरी 2018 को साजिश कर अपने गिरोह के  साथ मेरे  मेरे मामा की जमीन पर कब्जा करने के लिए धावा बोला था. इस मामले की एफआईआर मुकदमा अपराध संख्या 149/18 कैंट थाने में दर्ज हुई थी. यह घटना सीसीटीवी कैमरे में भी कैद हुई थी. जिस जमीन पर भाजपा सांसद ने कब्जा करने की कोशिश की थी वह हमारे सगे मामा की मूल भूमि है जिसे निकहत आरा नाम की एक महिला और इमामुद्दीन नाम का एक व्यक्ति ने फर्जी वसीयत तैयार करा कर अपना नाम राजस्व अभिलेखों में चढ़ने का प्रयास किया था लेकिन सफल नहीं हो पाए. इसी दौरान शहर के सबसे बड़े विवादित संपत्ति बलदेव प्लाजा को भाजपा सांसद कमलेश पासवान और सतीश नागलिया ने खरीद लिया और बिना राजस्व अभिलेखों में नाम चढ़ाए कई दुकानदारों को भेज दिया.

पत्र में लिखा गया है कि  इस बात की जानकारी इमामुद्दीन को ही तो उसने कमलेश पासवान से संपर्क कर करोड़ों की जमीन मात्र 10 लाख में कमलेश पासवान के आदमी के नाम रजिस्टर्ड एग्रीमेंट करा दिया और तभी से कमलेश पासवान और सतीश नांगलिया लगातार जमीन खाली करने और जमीन खाली ना करने पर जान से मारने की धमकी दे रहे थे. जमीन से संबंधित मुकदमे की पैरवी मेरे मामा के लड़के असदुल्लाह वारसी कर रहे थे. असदुल्लाह वारसी पर इन लोगों ने जानलेवा हमला 16 जून 2015 को कराया था जिसका मुकदमा अपराध संख्या 332/15 धारा 307 आईपीसी कैंट थाना में दर्ज है. इस घटना में आज तक गोली मारने वालों का पता नहीं चल सका. इस मामले में भी कमलेश पासवान और सतीश नांगलिया थे. इसलिए पुलिस ने पुलिस ने उन पर कोई कार्यवाही नहीं की. जानलेवा हमले से डरकर मेरे मामा का लड़का असदुल्लाह वारसी पीछे हट गया और मेरा छोटा भाई काशिफ़ जमीन पैरवी करने लगा. उसने पुलिस प्रशासन तथा सीसीटीवी कैमरे की मदद से कमलेश पासवान और सतीश नांगलिया के जमीन पर अवैध कब्जे करने के मंसूबों पर पानी फेर दिया. इसी कारण कई बार धमकी दी गई. इसलिए मुझे विश्वास है कि कमलेश पासवान और सतीश नांगलिया का इस घटना में हाथ हो सकता है.

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इस पत्र में एसपी सिटी विनय कुमार सिंह और सीओ गोरखनाथ प्रवीण कुमार सिंह पर भाजपा सांसद से मिले होने का आरोप लगाते हुए कहा गया है कि इसी कारण लोग घटना के बारे में बताने से डर रहे हैं. पत्र में  इस मामले की जांच तेज तर्रार पुलिस अधिकारी की देखरेख में कराकर अभियुक्तों को गिरफ्तार करने और मामले का पर्दाफाश करने की मांग की गई है.

यहाँ उल्लेखनीय है कि डा. कफील अहमद खान ने 17 जून को लखनउ में प्रेस कान्फ्रेंस कर अपने छोटे भाई काशिफ जमील पर जानलेवा हमले के लिए बासगांव के बीजेपी सांसद कमलेश पासवान, उनके बिजनेस पार्टनर सतीश नांगलिया को जिम्मेदार ठहराया था. उसी दिन शाम को भाजपा सांसद कमलेश पासवान ने गोरखपुर में पत्रकार कर अपने उपर लगाए गए आरोप को बेबुनियाद बताया था.

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