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धोखाधड़ी के केस में गिरफ्तार डा. कफील के भाई अदील अहमद जमानत पर रिहा

गोरखपुर। आक्सीजन कांड में निलम्बित बीआरडी मेडिकल कालेज के बाल रोग विभाग के प्रवक्ता डा. कफील खान के बड़े भाई अदील अहमद खान को धोखधड़ी के केस में जमानत मिल गई है और वे जेल से रिहा हो गए हैं. इसी मामले में साजिश के आरोप में डाॅ. कफील जेल में बंद है. डा. कफील पर इसके अलावा बहराइच में सरकारी कामकाज में बाधा डालने का एक केस दर्ज है जिसकी आज बहराइच में सुनवाई है.

दो जुलाई 2018 को दर्ज हुए धोखाधड़ी के इस केस में दोनों भाइयों को 23 सितम्बर को गिरफ्तार  किया गया था.

अदील अहमद की जमानत याचिका पर 22 अक्टूबर को सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार श्रीवास्तव चतुर्थ की अदालत में सुनवाई हुई. अदील के अधिवक्ता ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप निराधार हैं. उन पर सिर्फ यह आरोप है कि उन्होंने मुकदमे के वादी के नाम से फर्जी खाता बैंक में खोला  जिसके परिचयकर्ता के रूप में उन्होंने खाते को परिचय दिया. खाते में जो फोटो लगाई गई थी वह वादी मुकदमा की थी और जिसे बैंक के कर्मचारियों द्वारा बाकायदा तहकीकात कर तथा इसके अलावा अन्य पहचान जैसे वोटर कार्ड, आधार कार्ड प्रस्तुत करने के आधार पर यह खाता खोला गया. अदील अहमद पर यह आरोप नहीं है कि उसके द्वारा फर्जी खाता खुलवाया गया तथा कूटरचना कर पैसे को हड़प लिया गया अथवा बैंक को किसी प्रकार का नुकसान पहुंचाया गया.

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी ने बहस करते हुए कहा कि अभियुक्त द्वारा वादी मुकदमा के नाम से फर्जी खाता खुलवाकर उसमें करोड़ों रूपए का ट्रांजेक्शन किया गया लेकिन इस तथ्य को स्वीकार किया गया कि इसके द्वारा बैंक को अथवा वादी मुकदमा को कोई आर्थिक क्षति नहीं हुई.

सत्र न्यायाधीश ने दोनों पक्षों को सुनने और अभियोजन प्रपत्रों को अवलोकन करने के बाद अदील अहमद की जमानत मंजूर कर ली.

23 सितम्बर को गिरफ्तार किए गए थे अदील और डा. कफील

अदील अहमद खान को 23 सितम्बर की दोपहर उनके बसंतपुर स्थित घर से गिरफ्तार किया गया था जबकि डा. कफील को बहराइच से सीधे कैंट पुलिस स्टेशन लाया गया और उन्हें इस मामले में गिरफ्तार  कर लिया गया. डा. कफील को बहराइच में धारा 151 में गिरफ्तार किया गया था और जमानत मिलने के बाद उन्हें रिहा करने के बजाय पुलिस कस्टडी में गोरखपुर लाया गया था और फिर इस मामले में उन्हें जेल भेज दिया गया. बाद में उनके खिलाफ बहराइच में सरकारी कामकाज में बाधा डालने के एक और केस दर्ज किया गया.

डा. कफील और उनके बड़े भाई अदील अहमद को जिस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया था, वह दो जुलाई को दर्ज किया गया था। यह केस राजघाट थाना क्षेत्र के शेखपुर निवासी मुजफ्फर आलम की तहरीर पर दर्ज किया गया था। मुजफ्फर आलम ने आरोप लगाया था कि उसके फोटो और फैजान नाम के शख्स के ड्राइविंग लाइसेंस का इस्तेमाल कर अदील अहमद खान ने यूनियन बैंक में वर्ष 2009 में खाता खुलवाया और दो करोड़ का ट्रांजेक्शन किया. जब उन्हें पता चला तो उन्होंने 2014 में बैंक में आवेदन देकर खाता बंद कराया. चार वर्ष बाद मई 2018 में उन्होंने एसएसपी को प्रार्थना पत्र देकर इस मामले की शिकायत की.

एसएसपी शलभ माथुर ने इसकी जांच सीओ कोतवाली को सौंपी. जांच के बाद एसएसपी के आदेश पर अदील अहमद और फैजान के पर मुकदमा अपराध संख्या 558.18 धारा 419, 420,467,468,471,120 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई. बाद में विवेचना के आधार पर डा़ कफील का नाम भी इसमें जोड़ दिया गया. पुलिस का कहना है कि इस खाते से वर्ष 2009 में मनिपाल विश्वविद्यालय में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे डा. कफील के फीस का भुगतान किया गया था. इसलिए उनके खिलाफ साजिश रचने की धारा 120 बी लगाई गई.

यहां बताना जरूरी है कि दोनों भाइयों के खिलाफ यह केस तब दर्ज किया गया जब डा़ कफील ने अपने छोटो भाई कासिफ पर कातिलाना हमले के मामले में भाजपा सांसद कमलेश पासवान पर आरोप लगाया. उन्होंने गोरखपुर पुलिस पर भी इस मामले में जानबूझकर कोई कार्रवाई न करने का आरोप लगाया था.

डा. कफील को बीआरडी मेडिकल कालेज के आक्सीजन कांड में अगस्त 2017 को गिरफ्तार किया गया था. वह अप्रैल 2018 को हाईकोर्ट से जमानत मिलने पर रिहा हुए थे. रिहा होने के बाद पूरे देश में उन्हें विभिन्न संगठनों द्वारा बोलने के लिए बुलाया जा रहा था। वह अपने वक्तव्यों में अपने साथ हुई घटना के साथ-साथ देश की स्वास्थ्य सेवा और नीति की भी आलोचना कर रहे थे । वह गोरखपुर में विभिन्न स्थानों पर मेडिकल कैम्प आयोजित कर लोगों विशेष कर बच्चों का इलाज भी कर रहे थे.

डा. कफील खान को 22 सितम्बर को बहराइच पुलिस ने जिला अस्पताल से उस समय गिरफ्तार कर लिया था जब वह जिला अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले की जानकारी कर रहे थे. उन्हें शांति भंग में गिरफ्तार किया गया था और अगले दिन उन्हें रिहा कर दिया गया लेकिन फिर गोरखपुर पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया.

डा. कफील और उनके भाई अदील ने अपनी गिरफ्तारी को सच की आवाज दबाने वाली कार्रवाई बताया था और कहा था कि उन्हें सच बोलने से रोका जा रहा है. बहराइच में बच्चों की मौत इंसेफेलाइटिस से हो रही है जिसे सरकार छुपा रही है. बहराइच जाकर जब उन्होंने इसे उजागर किया तो उन्हें गिरफ्तार किया गया.

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