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आठ लेखक, पत्रकार, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ता मैत्री रत्न से सम्मानित

गोरखपुर. बुद्ध के विचारों से प्रेरित सामाजिक संस्था मैत्री फाउंडेशन ट्रस्ट ने 5 नवम्बर को सैंथवार मल्ल महासभा के ‘संथागार भवन’ में समाज में विशिष्ट योगदान दे रहे आठ लेखकों, पत्रकारों, अध्यापकों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को मैत्री रत्न सम्मानित किया.

कार्यक्रम में ‘मंडल कमीशन : राष्ट्र निर्माण की सबसे बड़ी पहल’ के लेखक वरिष्ठ पत्रकार सत्येंद्र पी एस, बौद्ध दर्शन व इतिहास के लेखक डॉ रमाकांत कुशवाहा ‘कुशाग्र’, ‘समंदर में सूरज’ एवं ‘कबीर केंद्रित समकालीन आलोचना’ के सम्पादक/लेखक, डॉ. रवींद्र प्रताप सिंह, स्त्री शिक्षा एवं महिला सशक्तिकरण के लिए प्रवक्ता विजयश्री मल्ल, मार्शल आर्ट प्रशिक्षक, बुद्धालैंड राज्य बनाओ के आंदोलनकर्ता धीरेंद्र प्रताप, सामाजिक कार्यकर्ता नरसिंह पटेल ‘अज्ञानी’, राजेश सिंह व अनिल सिंह को मैत्री रत्न से सम्मानित किया गया.

कार्यक्रम का प्रारम्भ महामानव गौतम बुद्ध, लौहपुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल तथा केदार नाथ सिंह सैथवार के चित्र पर पुष्पार्पित तथा दीप प्रज्ज्वलित कर पूर्व विधायक देव नारायण सिंह उर्फ जी एम सिंह, वरिष्ठ भाजपा नेता राधेश्याम सिंह, रालोद के पूर्वी अध्यक्ष श्री गंगा सिंह सैथवार, वैज्ञानिक आर सी चौधरी, जिला पंचायत संघ अध्यक्ष श्री भगवान सिंह उर्फ एस पी सिंह, पूर्व छात्र संघ उपाध्यक्ष गोरखपुर विश्वविद्यालय विश्वजीत सिंह ने किया!

संस्था के मार्गदर्शक वरिष्ठ लेखा परीक्षक दिग्विजय सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए फाउंडेशन के व्यापक उद्देश्यों एवं लक्ष्यों पर प्रकाश डाला.

सम्मानित पत्रकार सत्येन्द्र पीएस ने अपने वक्तव्य में कहा कि आपसी मतभेद भुलाकर बहुजन समाज को जाति के झगड़ो से बचते हुए जमात बननी चाहिए जिससे कि कम से कम सार्वजनिक क्षेत्रों में अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सके.

डॉ. रमाकांत कुशवाहा ‘कुशाग्र’ ने अपने वक्तव्य में कहा कि बुद्ध का रास्ता ज्ञान एवं तर्क का रास्ता है. बुद्ध की शिक्षाएं ही देश को प्रगति के रास्ते पर ला सकती हैं.  विजयश्री मल्ल ने आधी आबादी के उपेक्षा को सामने रखते हुए बताया कि लड़कियों की समस्याएं इतनी विकराल हैं कि वे अपनी समस्याएं अपने घर वालों से भी नहीं बता सकती हैं. यदि वे अपनी किसी समस्या को घर वाले को बता दें तो वे पढ़ायी छोड़वा कर सीधे घर बुला लेंगे.

इसी क्रम युवा लेखक आलोचक डॉ. रवींद्र प्रताप सिंह ने स्त्री मुद्दों से सम्बंधित अफसाना हयात की कुछ कविताएं पढ़ीं.  मार्शल आर्ट प्रशिक्षक धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि महात्मा बुद्ध की प्रेरणा से विकसित मार्शल आर्ट उपेक्षित है जबकि चीन, जापान नेपाल आदि देशों ने बुद्ध के विचार के साथ साथ मार्शल आर्ट को भी अपनाया और आज वे तरक्की के राह पर सबसे आगे हैं. नेपाल का राष्ट्रीय खेल मार्शल आर्ट है.

अतिथि देवनारायण सिंह उर्फ जी एम सिंह ने कहा कि इस ट्रस्ट ने सर्वसमाज के बिखरे हुए उपेक्षित इन मोतियों को खोजकर हमारे सम्मुख रखा है, वह काबिलेतारीफ है, अब सर्वसमाज इनकी चमक से लाभ लेता रहेगा.

श्री राधेश्याम सिंह ने महात्मा बुद्ध और सरदार पटेल को जोड़ते हुए कहा कि एक तरह जहाँ महात्मा बुद्ध ने सामाजिक विषमता को दूर कर लोगों को जोड़ने का काम किया, वहीं सरदार पटेल ने देश की विविध रियासतों को जोड़कर देश बनने का काम किया! उन्होंने पुरुस्कारों के औचित्य पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सम्मान से प्रेरणा मिलती है साथ ही साथ एक जिम्मेदारी का भाव पैदा करती है, जो सतत ऐसे कार्यो के लिए प्रेरित करती एवं मनोबल देती है।
ट्रस्ट के मार्गदर्शक वरिष्ठ लेखा परीक्षक दिग्विजय सिंह ने कहा कि ट्रस्ट इस प्रकार के कार्यक्रम प्रतिवर्ष करेगा, और मुख्यधारा से उपेक्षित तथा समाज के लिए कुछ कर गुजरने वाले सक्रिय लोगों को पुरुस्कार के लिए चयन करेगा।


धन्यवाद ज्ञापन मल्ल सैंथवार महासभा के अध्यक्ष ई. आर. ए. सिंह ने किया. इस कार्यक्रम का संचालन मेरठ कॉलेज के स. प्रो. डॉ हितेश सिंह ने किया.

इस अवसर पर राम बदन सिंह जिला पंचायत सदस्य, फलाहारी सिंह, अजय सिंह सैंथवार, शिवांग सिह, धीरेंद्र प्रताप सिंह छपियाँ, धीरेंद्र सिंह छात्र नेता एवं एडवोकेट, राजेश सिंह समाजसेवी, अशोक यादव, संतोष, अनिल सिंह, पवन सिंह, सुरेंद्र वाल्मीकि, संतोष, रवींन्द्र, देवेंन्द्र प्रताप सिंह, जितेंद्र प्रताप सिंह, अजय बौद्ध, आदर्श सिंह अंकित, सचिन सिंह सैथवार, तेजप्रताप सिंह, सुजीत कुमार सिंह, विवेक सिंह सैथवार, आलोक प्रताप सिंह ‘सोनू’, अरविंद सिंह, आदित्य प्रताप सिंह समेत सैकड़ो लोग उपस्थित रहें.

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