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जैव भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप गोरखपुर शहर का सुनियोजित विकास हो

ओंकार सिंह

गोरखपुर सिटी : द विज़न 2030 : चैलेंजेज एंड अर्पाट्यूनिटी कार्यशाला का आयोजन

गोरखपुर. गोरखपुर महानगर की दशा एवं दिशा विषय पर केन्द्रित गोरखपुर सिटी : द विज़न 2030 : चैलेंजेज एंड अर्पाट्यूनिटी कार्यशाला का आयोजन महानगर पर्यावरण मंच एवं गोरखपुर एनवायरन्मेन्टल एक्शन ग्रुप के संयुक्त तत्वावधान में 22 दिसम्बर को होटल विवेक में किया गया.

कार्यशाला में जैव भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप महानगर के सुनियोजित विकास की रूपरेखा पर गंभीर चर्चा हुई. जिसमें विशेषज्ञों और वक्ताओं ने शहर में बढ़ती जनसंख्या, अनियोजित विस्तार, जलजमाव, यातायात, बाढ़, आपदा आदि समस्याओं पर अपने विचार रखे. इस अवसर पर नागरिक संकल्प पत्र के रूप में गोरखपुर घोषणा पत्र-2018 भी पारित किया गया.

कार्यशाला का उद्घाटन प्रो. एन. श्रीधरन ( निदेशक, स्कूल आफ प्लानिग एण्ड आर्कीटेक्चर, भोपाल) ने किया. उन्होंने कहा कि वर्तमान की समस्याओं पर चर्चा जरूरी है लेकिन भविष्य की योजनाओं पर हमें और गंभीर होना होगा. उन्होंने शहरों के लैंड यूज, पानी, ऊर्जा, मास्टर प्लान आदि के भविष्य की जरूरत के मुताबिक योजना बनाने पर जोर दिया.

गोरखपुर विवि के प्रो. एसएस वर्मा ने महानगर में तेजी से घटते ताल तलैयों और नदियों के प्रदूषण पर चिंता जताई. उन्होंने सीवर व नालियों के निर्माण में ढलान की अनदेखी को जलजमाव का प्रमुख कारण बताया. प्रो. वर्मा ने महानगर के कटोरे वाली भौगोलिक स्थिति को नकारते हुए इसे मानव निर्मित बताया.

दिल्ली विवि के भूगर्भशास्त्री डा. विमल सिंह ने हिमालयी क्षेत्र के भूगर्भीय परिवर्तन और राप्ती नदी के अंतर्संबंधों पर चर्चा की. उन्होंने आगाह किया कि गोरखपुर शहर पर पड़ने वाले इसके प्रभावों को नजरअंदाज कर भविष्य की योजनाए बनाना नुकसानदायक होगा. उन्होंने लोलैंड एरिया में बस्तियों व निर्माण को खतरनाक बताया और इसके लिए व्यापक जागरूकता की बात कही.

कार्यक्रम में शिमला के पूर्व उप महापौर तिकिंदर पनवार ने माडल पेयजल प्रबंधन पर अपने शहर के अनुभवों को साझा किया. उन्होंने शहरों की तरफ माइग्रेशन को समस्या न मानते हुए शहरी विकास की योजनाओं में महिलाओं व गरीबों की भागीदारी को बढ़ाने पर जोर दिया.

मदन मोहन मालवीय प्रौद्योगिकी विवि के प्रो. गोविंद पांडेय ने भूजल दोहन की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई और भविष्य में इसके आसन्न संकट को लेकर सचेत किया. उन्होंने भूजल संदूषण और इसमें मिलने वाली अशुद्धियों आर्सेनिक व फ्लोराइड की मात्रा को चौकाने वाला बताया.

बीआरडी मेडिकल कालेज के पूर्व प्रधानाचार्य डा. केपी कुशवाहा ने महानगर में जलजनित बीमारियों पर विस्तार से चर्चा की. उन्होंने पूर्वांचल की अधिकांश गंभीर बीमारियों में जल की अशुद्धि को प्रमुख कारक बताया। इसके लिए उन्होंने पेयजल सर्विलांस प्रणाली विकसित करने पर बल दिया.

वरिष्ठ पत्रकार मनोज सिंह ने महानगरीय क्षेत्र में इंसेफेलाइटिस के प्रभाव को रेखांकित किया. उन्होंने बताया कि यह मान लिया जाना कि सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र ही इसके प्रभाव क्षेत्र में है, गलत है.

गोरखपुर एनवायरन्मेंटल एक्शन ग्रुप के अध्यक्ष डा. शिराज वजीह ने कहा कि क्लाइमेट चेंज व बेतहाशा जनसंख्या वृद्धि ने पिछले कुछ दशकों से महानगर वासियों के सामने नई चुनौतियां पेश की हैं. इस अवसर पर महापौर सीताराम जायसवाल ने समस्याओं के समाधान पर किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी और नागरिकों से सहयोग की अपील की.

कार्यशाला में हरित व पेरी अर्बन क्षेत्रों के ईको संरक्षण पर जोर दिया गया. साथ ही कूड़ा प्रबंधन के तकनीकी मसलों पर व्यापक चर्चा की गई. कार्यशाला के निष्कर्षो के आधार पर नागरिकों की ओर से एक ‘ सामूहिक संकल्प पत्र ’ तैयार और पारित किया गया.

कार्यक्रम का संचालन मुमताज खान ने किया. कार्यशाला में डा. विजय सिंह, कैलाश पांडेय, ई. महावीर प्रसाद कंडोई, राजन द्विवेदी, अंचित्य लाहिड़ी, पूर्व टाउन प्लानर जीडीए वीके विद्यार्थी, आर्किटेक्ट आशीष श्रीवास्तव, अजय कुमार सिंह, परियोजन अधिकारी आपदा प्रबंधन गौतम गुप्ता व अजय जायसवाल आदि ने भी चर्चा में हिस्सा लिया.

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