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दीन का इल्म एक ऐसा समंदर है जिसका कोई किनारा नहीं

-रहमतनगर में मुस्लिम महिलाओं का वार्षिक जलसा

गोरखपुर। मोहल्ला रहमतनगर मानीराम स्थित मदरसा कुल्लियतुल बनात फैजे सुब्हानी में रविवार को मुस्लिम महिलाओं का वार्षिक जलसा ‘जश्न-ए-रिदाये आलिमियत’ नाम से हुआ। इसमें तशरीफुन निशा व रोजी खातून को आलिमा की सनद से नवाजा गया। पीरे तरीकत मौलाना सैयद अब्दुर्रब उर्फ चांद बाबू ने जेबा खातून व जन्नतुन निशा से बुखारी शरीफ की पढ़ाई शुरू करवाई।

जलसे की मुख्य वक्ता आजमगढ़ की आलिमा नूर सबा खातून ने कहा कि अल्लाह व रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने तमाम इंसानों को इल्म के जेवर से आरास्ता होने का पैगाम दिया। असल इल्म वह है जिसके ज़रिया इंसान अल्लाह को पहचाने, जिसने इंसान को एक खूबसूरत शक्ल में पैदा फरमाया। दीन का इल्म एक ऐसा समंदर है जिसका कोई किनारा नहीं। इंसान को हर वक़्त इल्म में तरक्की की कोशिश करते रहना चाहिए।

विशिष्ट वक्ता बस्ती की आलिमा तैयबा खातून ने कहा कि रसूल-ए-पाक (हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम) ने फरमाया जो शख्स इल्म हासिल करने की राह पर चलता है अल्लाह उसके लिए जन्नत का रास्ता आसान कर देता है। इल्म उसी वक़्त काबिले कदर व बाइसे रहमत होगा जबकि वह जानने वाले को जन्नत तक पहुंचाने वाला हो। असल इल्म वह है जो कुरआनी तालीमात पर मुश्तमिल हो।

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो सलामती के लिए दुआ मांगी गई। न्यूजीलैंड की मस्जिद में शहीद हुए 49 लोगों के लिए खास दुआ की गई। अध्यक्षता नूसरत जहां व संचालन जेबा खातून सुब्हानी ने किया। नात शरीफ हुमा इशरत कादरी व सहीदुन निशा ने पेश की।

इस मौके पर शमां परवीन, मरियम फातिमा, जन्नतुन निशा, नूर सबा खातून सुब्हानी, रुकय्या खातून, तलअत खातून, फातिमा खातून, आसिया खातून, शाहीना खातून, हमीदुन निशा सहित तमाम महिलाएं मौजूद रहीं।

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