लोकसभा चुनाव 2019

गोरखपुर : निषाद पार्टी के अलग होने के बावजूद सपा-बसपा का गठबंधन कमजोर नहीं, दिलचस्प मुकाबला होगा

गोरखपुर। गोरखपुर जिले की सदर लोकसभा सीट पर प्रत्याशी को लेकर काफी उलटफेर हो गया है। शुक्रवार से शुरु हुआ सियासी ड्रामा शनिवार को भी जारी रहा। शनिवार को सपा व बसपा गठबंधन ने रामभुआल निषाद को मैदान में उतार कर अपनी मंशा जाहिर कर दी। वर्तमान सदर सांसद प्रवीण कुमार निषाद के पिता व निषाद पार्टी के मुखिया डा. संजय निषाद भाजपा के बेहद करीब आ चुके हैं। उन्होंने गठबंधन से नाता तोड़कर भाजपा से जुड़ने का संकेत दे दिया है।

उपचुनाव के बाद एक बार फिर लगा था कि पिछली वाली स्थिति एक बार फिर बनेगी। हालांकि इस बार सपा-बसपा का दांव नया है। भाजपा व कांग्रेस ने पत्ते नहीं खोले हैं। भाजपा पुन: उपेंद्र दत्त शुक्ला या डा. धर्मेंद्र सिंह पर दांव आजमा सकती है। कई निषाद नेता भी उनके पाले में हैं। जिले के मतदाता चकित हैं और कह रहे हैं कि अब निषाद वोटों में बिखराव तय है। निषाद वोट के ही सहारे अब कोई सियासी पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकती। निषाद वोटों में सेंध लग चुकी है। वर्तमान सदर सांसद व निषाद पार्टी द्वारा कदम उनके लिए आत्मघाती साबित हो सकता है। भाजपा को टक्कर देने के लिए गठबंधन अब भी मजबूत है।

पेश है मतदाताओं की राय :-

बार एसोसिएशन सिविल कोर्ट के वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य एडवोकेट नजमुल हक मारुफी का कहना है कि जिस व्यक्ति को सपा व बसपा ने सांसद बनाया आज उसी ने अपने फायदे के लिए पार्टी को अलविदा कह दिया। सांसद प्रवीण निषाद के चले जाने से गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सपा व बसपा का गठबंधन मजबूत है। चुनाव एक जाति विशेष का वोट हासिल करके नहीं जीता जा सकता। सबका साथ लिए बगैर कोई प्रत्याशी नहीं जीत सकता। गठबंधन अभी भी दमदार है। दिलचस्प मुकाबला होगा।

एमएसआई इंटर कालेज बक्शीपुर में हिन्दी के सहायक अध्यापक शाहिद नबी का मानना है कि आज राजनीति का व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए उपयोग किया जा रहा है। मुझे लगता है कि प्रवीण निषाद अगर बीजेपी में चले जायेंगे तो गठबंधन को कोई नुकसान नहीं होगा। उपचुनाव में जनता ने वोट प्रवीण निषाद के चेहरे या नाम पर नहीं ब्लकि सत्ताधारी दल को सबक सिखाने के लिए किया था। इस बार भी वही होगा। निषाद पार्टी का चेहरा उजागर हो चुका है। अब उनकी सियासी दुकान उजड़ चुकी है। शोषित समाज की अगुवाई करने का दंभ भरने वाली निषाद पार्टी स्वार्थ और लालच की राजनीति कर रही है। यहां मुकाबला दमदार होगा।

शाहिद नबी

जनता इंटर कालेज चरगांवां में समाजशास्त्र के प्रवक्ता मो. कलीम अशरफ खान ने कहा कि उपचुनाव में सभी मतदाताओं ने धर्म जाति से ऊपर उठकर शोषण व अन्य के खिलाफ एकजुट होकर मतदान किया था। तब जाकर सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। इस समय निषाद पार्टी व वर्तमान सांसद अवसरवादी राजनीति कर रहे हैं। इससे निषाद पार्टी व वर्तमान सांसद का चेहरा बेनकाब हो चुका है। जब से वह सांसद बने हैं किया कुछ नहीं है। अब तो मतदाता होशियार है। जनता अवसरवादियों व जाति विशेष की राजनीति करने वालों को करारा सबक सिखाने के लिए तैयार है। गठबंधन की ताकत एक जाति विशेष नहीं सर्व समाज है। हां, भाजपा कही से कमजोर नहीं है लेकिन योगी आदित्यनाथ की सीट पर योगी आदित्यनाथ जैसा दूसरा प्रत्याशी ढ़ूढना पार्टी के लिए काफी टेढ़ी खीर है। भाजपा में अभी भी संशय का माहौल है। मुकाबला अब भी बराबरी का होगा। फिलहाल मतदाता काफी सूझबूझ का परिचय इस चुनाव में देने वाले हैें।

मो. कलीम अशरफ खान

समाज सेवी व खिदमत जंक्शन संस्था चलाने वाले मो. जमशेद जिद्दी ने सवाल उठाया कि जिसको भी मुसलमान वोट देता है वह भाजपा में जाकर मिल जाता है तो मुसलमान भाजपा को क्यों न वोट करे? निषाद पार्टी व वर्तमान सांसद के कृत्य से मतदाता ठगा महसूस कर रहे हैं। इस कृत्य से भाजपा को फायदा पहुंचेगा। हालांकि लड़ाई एकतरफा नहीं है। मुकाबला बराबरी का है। मतदाता तो अब पहले से अधिक जागरुक हैै, सरकार की कथनी व करनी से वाकिफ है। सुनहरे भविष्य से लिए सही फैसला लेने में जनता सक्षम है। सभी को सोच समझकर मतदान करना पड़ेगा।

मो. जमशेद जिद्दी

5 विधानसभा वाले (गोरखपुर शहर, ग्रामीण, पिपराइच, कैंपियरगंज, सहजनवां) गोरखपुर सदर लोकसभा के मतदाताओं के जातिगत अनुमानित आंकड़े

-मुसलमान 2.02 लाख
-निषाद 2.63 लाख
-यादव 2.40 लाख
-दलित 2.55 लाख
-ब्राहमण 2.08 लाख
-अन्य पिछड़ा 3.04 लाख
-वैश्य 1.62 लाख
-कायस्थ 0.75 लाख
-अन्य 2.40 लाख

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