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बंद चीनी मिलों को मुद्दा बनाने के लिए ब्रजेन्द्र मणि चुनाव मैदान में उतरे, देवरिया से नामांकन किया

देवरिया। देवरिया व कुशीनगर जिले में बंद चीनी मिलों को चलाने की मांग को लेकर आंदोलन करने वाले ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाने के लिए चुनाव मैदान में उतर गए हैं। नामांकन के आखिरी दिन उन्होंने देवरिया से नामांकन किया। वह और उनके समर्थक हाथ में गन्ना लेकर बैलगाड़ी पर चढ़ नामांकन करने पहुंचे।

ब्रजेन्द्र मणि त्रिपाठी देवरिया के बैतालपुर के विक्रमपुर बांसगांव के रहने वाले हैं। वह तीन दशक तक अपने क्षेत्र में कभी प्रधान तो कभी क्षेत्र पंचायत सदस्य तो कभी ग्राम पंचायत सदस्य चुने जाते रहे। वह ग्राम प्रधान संघ के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। उन्होंने पंचायत प्रतिनिधियों को और अधिकार देने और पंचायत व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करने की मांग को लेकर पंचायत प्रतिनिधि संघ का भी गठन किया और इसके लिए कई कार्यक्रम किए।

पिछले डेढ वर्ष से वह देवरिया की बैतालपुर चीनी मिल को चलाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे। यह चीनी मिल कई वर्षों से बंद हैं। भाजपा नेताओं ने केन्द्र व राज्य में सत्ता में आने पर बंद चीनी मिलों को चलाने का वादा किया था। श्री त्रिपाठी ने बैतालपुर सहित देवरिया, भटनी, गौरीबाजार और कुशीनगर जिले के छह बंद चीनी मिलों को चलाने की भी मांग उठाई।

श्री त्रिपाठी ने छह महीना पहले देवरिया कलेक्टेट परिसर में बंद चीनी मिलों को चलाने की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन धरना पर बैठ गए थे। यह धरना लगातार 112 दिन तक चलता रहा। इस आंदोलन कई संगठनों का समर्थन मिला। चुनाव की घोषणा होने के बाद 28 मार्च को जिला प्रशासन ने उनके धरना स्थल से बैनर, पोस्टर हटा दिए और श्री त्रिपाठी सहित नौ लोगों को हिरासत में ले लिया। करीब नौ घंटे तक हिरासत में रखने के बाद रात 12 बजे सभी को छोड़ दिया गया।

श्री त्रिपाठी ने गोरखपुर न्यूज लाइन से कहा कि बंद चीनी मिलों को चलाने का भाजपा ने वादा किया था लेकिन उसने वादा पूरा नहीं किया। यही नहीं भाजपा नेता अब इस मुद्दे पर बोलते तक नहीं है। चीनी मिलों का मुद्दा देवरिया की आत्मा से जुड़ा हुआ है। यह देवरिया और कुशीनगर जिले के हरेक व्यक्ति का मुद्दा है। यहां पर भाजपा और बसपा-सपा महागठबंधन से बाहरी प्रत्याशी लड़ रहे हैं। ये दोनों प्रत्याशी चीनी मिलों और गन्ना किसानों की समस्या को आवाज नहीं दे रहे हैं। ऐसे में उन्होंने चुनाव लड़कर इस मुद्दों को चुनाव का एजेंडा बनाने का फैसला किया है।

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