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रेन कट, रैट होल से जर्जर हो गया है छितौनी तटबंध

कुशीनगर. नारायणी नदी की बाढ से बचाने के लिए बना छितौनी तटबंध काफी कमजोर स्थिति में है और यदि इसकी यही हालत रही तो तटबंध नारायणी नदी की बाढ़ को रोक पाने में विफल साबित होगा।

लगभग पचास वर्ष पूर्व बने छितौनी तटबंध की काफी समय से मरम्मत नहीं हुई है। तटबंध रेन कट, रैट होल, नरकट की झाडियाॅ की वजह से कमजोर हो गया है।
छितौनी तटबंध लगभग 13 किमी0 लम्बाई में नारायणी नदी के तट के समानान्तर बना है। इस तटबंध की उचाई लगभग 15 फुट है जो मिट्टी की ढेर से बिना रोलर चलवाये बनाया गया है।

छितौनी तटबंध

इस तटबंध के दक्षिण तरफ दजर्नो गांव बसे हुए है और उत्तर तरफ बरसात के दिनों में लगभग दस किमी0 की चौड़ाई में नदी अपने वेग में बहती हुयी जो नेपाल की पहाडी से उतरकर भैंसहा के सामने छितौनी तटबंध से टकरा कर वीरभार ठोकर से लडते हुए छितौनी बगहा रेल पुल के नीचे से बिहार राज्य में प्रदेश कर जाती है।

छितौनी तटबंध

इस तटबंध से जुडा हुआ वीरभार ठोकर एशिया का कभी सबसे लम्बी ठोकर की सूची में शामिल था। इसकी लम्बाई 12700 मीटर थी। ठोकर का अगला हिस्सा धीरे-धीरे कटता रहा और अब यह सिर्फ 1200 मीटर ही रह गया है। शेष छोटे-छोटे ठोकर भी रखरखाव के अभाव में जर्जर हो गये हैं।

छितौनी बगहा रेल पुल बनने के बाद पुल के नीचे से पहले बाढ के पानी का जल भराव हो जाने से दियारे के दर्जनों गांव डूब जाते हैं।लोगो के अनुसार तीन माह तक उनकी व उनके मवेशियों की जिन्दगी नरक बन जाती है।

वीरभार ठोकर

इससे निजात पाने के स्थानीय लोगों ने छितौनी तटबंध को बोल्डर से पिच कराने तथा छितौनी बगहा रेल पुल के अप व डाउन स्ट्रीम में 500 मीटर गाइड तटबंध के नोज को बढाने की मांग की है।