स्वास्थ्य

इंसेफेलाइटिस पर स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से मानवाधिकार आयोग संतुष्ट नहीं, विशेष सचिव को फिर तलब किया

गोरखपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने  उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस से बच्चों की मौत के मामले में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई रिपोर्ट से असंतुष्टि जाहिर करते हुए  चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग के विशेष सचिव को एक बार फिर आयोग में तलब किया है. आयोग ने विशेष सचिव को 5 अगस्त 2019 को बुलाया है.

मानव सेवा संस्थान सेवा गोरखपुर के निदेशक राजेश मणि ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष वर्ष 2013 में मस्तिष्क ज्वर से बच्चों हो रही मौत पर लिखित शिकायत दर्ज कराया था। आयोग ने शिकायत को केस नम्बर 17123/24/0/2013 दर्ज किया और सुनवाई शुरू की.

आयोग के निर्देश पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और एम्स, नई दिल्ली के डॉक्टरों की संयुक्त टीम ने 22.2.2016 से 26.2.2016 तक जे0ई0/ए0ई0एस0 की बीमारी से प्रभावित देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज और गोरखपुर का भ्रमण किया था और अपनी रिपोर्ट दी थी. इस रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने उत्तर प्रदेश सरकार को भ्रमण के दौरान पाये गये कुछ प्रमुख बिन्दुओं पर विशेष ध्यान देने के लिए निर्देश दिया था।

आयोग के निर्देश पर प्रमुख सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग ने 19-12-2018 को कार्यवाही रिपोर्ट राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष प्रस्तु किया। आयोग ने रिपोर्ट को अपने मेडिकल एक्सपर्ट पैनल के पास भेजा. पैनल ने एम्स की रिपोर्ट एवं सुझाव तथा प्रदेश सरकार के द्वारा किये गये कार्यो का अवलोकन कर आयोग को अवगत कराया. आयोग ने प्रदेश सरकार के तरफ से किये गये प्रयास में दो प्रमुख बिन्दुओं पर-डाक्टरों एवं स्टाफों की कमी व दूषित पेयजल की समस्या पर और अधिक कार्य करने पर बल दिया है.

मानवाधिकार आयोग ने इसके लिए पुनः विषेश सचिव, चिकित्सा, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार को 5 अगस्त 2019 की सुबह 11 बजे आयोग के समक्ष बुलाया है.

मानव सेवा संस्थान सेवा’’ के निदेशक राजेश मणि ने कहा कि मस्तिष्क ज्वर की बीमारी से लड़ते-लड़ते स्वास्थ महकमा ही बीमार हो चुका है जिसमें सुधार की आवश्यकता है. ऐसा मानवाधिकार आयोग के रिपोट में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है।

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