साहित्य - संस्कृति

नाट्य कार्यशाला का समापन ,नाटक ‘ अंधेर नगरी ’ का मंचन

गोरखपुर। प्रेमचंद साहित्य संस्थान व अलख कला समूह द्वारा आयोजित निशुल्क पांचवा ग्रीष्मकालीन 17 दिवसीय प्रस्तुति परक नाट्य कार्यशाला का समापन 30 जून को हुआ.  इस मौके पर  भारतेंदु हरीश्चंद्र द्वारा लिखित व नाट्य प्रशिक्षक हर्षित मणि त्रिपाठी द्वारा निर्देशित नाटक ‘अंधेर नगरी’  का मंचन सांय 6:30 बजे से मुंशी प्रेमचंद पार्क में बने मुक्ताकाशी मंच पर हुआ।

नाटक का कथानक गुरु व शिष्य गोवर्धन दास व नारायण दास से शुरू होता है और दोनों चले गुरु के आदेश से अलग-अलग दिशाओं में भिक्षाटन के लिए निकलते हैं । गोवर्धन दास ऐसे नगर में पहुंचता है जहां सभी चीजें टके सेर बिकती है। उसका मन उसी नगर में लग जाता है और गुरु के मना करने पर कि जिस नगर का नाम अंधेर नगरी और राजा का नाम चौपट हो वहां उस नगर में रहना खतरे से खाली नहीं है। एक दिन राजा के सिपाही गोवर्धन दास को इसलिए पकड़कर फांसी के लिए ले जाता है कि जिस की फांसी हुई रहती है उसका गर्दन पतला होता है और फांसी का फंदा बड़ा पड़ जाता है जिसके कारण नगर में मोटे गर्दन की तलाश सिपाहियों द्वारा होती है और गोवर्धन दास का गर्दन मोटा होने के कारण सिपाही फांसी के लिए उसे ले जाते हैं। इस दुख की घड़ी में गोवर्धन दास ,गुरु को याद करता है। गुरु ,गोवर्धन दास के कान में कुछ कहता है और खुशी-खुशी गोवर्धनदास फांसी चढ़ने को तैयार हो जाता है । देखते देखते सभी फांसी पर चढ़ने को तैयार हो जाते हैं। राजा को जब यह पता चलता है कि आज जो मरेगा ओ सीधे बैकुंठ जाएगा तो राजा स्वयं अपने को ही फांसी देने का आदेश सुनाता है और उसे ही फांसी दे दी जाती हैं।

नाटक में राजा व मंत्री ने प्रभावी भूमिका निभाई तो वही बाजार का दृश्य आकर्षक रहा। नाटक के बाद कार्यशाला संयोजक बेचन सिंह पटेल के द्वारा सभी कलाकारों को प्रशिक्षण प्रमाण पत्र और नाट्य प्रशिक्षक हर्षित मणि त्रिपाठी को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। नाटक में आकाश श्रीवास्तव राजा की भूमिका में ,जेएन शाह (गोवर्धन दास), हिमांशु ओझा (गुरु) अन्य भूमिकाओं में सोनू गुप्ता, अनन्या, आशुतोष पाल, निखिल वर्मा ,दीपक साहनी ,अपेक्षा सिंह, गोविंद प्रजापति ,मनु सिंह ,चंदन यादव, आकाश गौड़, अनुप्रिया ने अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय किया।

संगीत पर ढोल वादक ओमप्रकाश व हारमोनियम मुख्तार अहमद रहे । मेकअप राकेश कुमार, मंच व्यवस्था राजू मौर्या ,कला वेषभूशा ओम जायसवाल की थी ।

कार्यशाला व मंचन में बैजनाथ मिश्र, विपिन कुमार सिंह ,सुजीत कुमार श्रीवास्तव, प्रदीप कुमार व अर्चना शाही का सहयोग सराहनीय रहा। कार्यक्रम का संचालन अलख कला समूह के सचिव बैजनाथ मिश्र ने किया।

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