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कुशीनगर जिले के तीन गांवों में एक महीने में कुपोषण, बीमारी से सात मुसहरों की मौत

कुशीनगर। कुशीनगर जिले के दुदही ब्लाक के तीन गांवों में एक माह में बीमारी, कुपोषण से सात मुसहरों की मौत हो गई है। इन मौतों ने समाज के सबसे कमजोर तबके में स्वास्थ्य, ,खाद्य सुरक्षा, रोजगार की खराब स्थिति को फिर से उजागर किया है।

दुदही ब्लाक के रामपुर पट्टी गांव में 12 अगस्त को पांच वर्षीय रीमा पुत्री मनोज,  17 अगस्त को 28 वर्षीय वीपत पुत्र विश्वनाथ और 17 वर्षीय पंकज पुत्र हदरी की मौत हो गई। इन तीनों को लम्बे समय से बुखार और पेट दर्द की शिकायत थी। वीपत को तपेदिक भी था.

इन मुसहरों की मौत के बाद जब गांव में प्रशासनिक अधिकारी पहुंचे तो गांव में आधा दर्जन से अधिक मुसहर उषा, कांति, मुन्नी, गिरधारी, नेहा, नागेन्द्र, यमुना बुखार और पेट दर्द से पीड़ित मिले जिनका सरकारी अस्पताल में इलाज कराया गया।

प्रशासन अभी रामपुर पट्टी गांव में स्वास्थ्य कैम्प लगा ही रहा था कि 20 अगस्त को ठाढीभार गांव के रानी टोला में 20 अगस्त को 50 वर्षीय गनेश नाम के मुसहर की मौत हो गई। उसे बीमार होने पर प्राथमिक उपचार के लिए दुदही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर ले जाया गया था जहां से उसे जिला अस्पताल भेज दिया गया। जिला अस्पताल से उसे बीआरडी मेडिकल कालेज भेज दिया गया. गनेश एक सप्ताह तक मेडिकल कालेज में भर्ती रहा. इसके बाद वह घर आ गया जहां उसकी 20 अगस्त को मौत हो गई.

गनेश की मौत के बाद दुदही ब्लाक के ही सोरहवा गांव में 21 अगस्त को 28 वर्षीय बादामी पत्नी हरिनंदन और 30 वर्षीय सुदर्शन पुत्र लक्ष्मी की मौत हो गई। यह भी जानकारी मिली कि इस गांव में अगस्त महीने में कैलाश पुत्र बंधु (45) तथा मीरा पत्नी विनोद (30) की भी मौत हुई है। जुलाई माह में 15 वर्षीय अनीता पुत्री सुखराज की भी मौत हो गई थी.

इस गांव में जुलाई से अब तक मरे पांच लोगों में चार मुसहर थे जबकि एक महिला दलित थीं.

बादामी का इलाज जिला अस्पताल से चल रहा था जबकि सुदर्शन का इलाज बिहार प्रान्त के कुचायकोट में  चल रहा था.

सोरहवा गांव में महिलाओं से बातचीत करते अधिकारी

दुदही सीएचसी के प्रभारी डॉ ए के पाण्डेय ने कहा कि सुदर्शन की मृत्यु लकवा मारने से हुई है जबकि बादामी की मृत्यु आंत में अल्सर हो जाने के कारण हुई है. मुसहर बहुल सभी 36 टोलों में दस दिन तक डोर टू डोर सर्वे कर स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा.

जिलाधिकारी ने मुसहरों की मौत की खबर आने पर तीनों गांवों का दौरा किया और मृतकों को दस-दस हजार रूपए की आर्थिक सहायता दी है। क्षेत्रीय भाजपा विधायक गंगा सिंह कुशवाहा भी इन गांवों में पहुंचे और कहा कि योगी सरकार मुसहरों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने अधिकारियों से मुसहर बहुल गावो में विशेष ध्यान देने की बात कही।

डीएम के निर्देश पर तीनों गांवों में स्वास्थ्य कैम्प लगाया गया और लोगों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया लेकिन प्रशासन इस बात का जवाब नहीं दे पा रहा है कि आखिरी कुशीनगर जिले में बड़ी संख्या में मुसहरों की बीमारी क्यों हो रही है।

रामपुर पट्टी गांव में तीन मुसहरों की मौत के मामले में आशा कार्यकत्री, एएनएम और एटीएस की लापरवाही मानते हुए उनकी सेवा समाप्त कर दी गई है. जिला क्षय रोग अधिकारी और दुदही सीएचसी के प्रभारी का वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की गई है. बीमार मुसहरों का इलाज करने वाले दो निजी चिकित्सकों को झोला छाप डॉक्टर बताते हुए उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या और इंडियन मेडिकल एक्ट में एफआईआर भी दर्ज कराया है लेकिन इसमें से एक चिकित्सक ने जब अपनी बीएएमएस की डिग्री दिखाई तो उसका नाम एफआईआर से निकाल दिया गया.

सोरहवा गांव में जब अधिकारी जाँच के लिए पहुंचे तो सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की पोल खुल गई. तमाम गरीब परिवार राशन कार्ड से वंचित थे. राशन वितरण में अनियमितता पायी गई. खंड  विकास अधिकारी विवेकानद मिश्र ने टोले के 92 परिवारों की स्थिति को देखते हुए लाल कार्ड जारी करने का निर्देश दिया। कोटेदार को भी चेतावनी दी गई. गांव में बने शौचालय अभी से ख़राब होने लगे हैं. उनका उपयोग भी नहीं हो रहा है. कई हैंडपंप खराब मिले. गांव पहुंचे  मुख्य विकास अधिकारी तथा जिला पंचायत राज अधिकारी ने सफाई कर्मियो की टीम से पूरे गांव की सफाई करवाई.

चिकित्सकों के परिक्षण में तीन मरीज टीवी के पाए गए. कई लोग वायरल बुखार से ग्रस्त थे.

रामपुर पट्टी गांव में कुपोषण व बीमारी से तीन मुसहरों की मौत के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने कथित झोला छाप डॉक्टर की क्लीनिक सील कर दिया

अभी तक चार गांवों में कैम्प लगाकर मुसहर परिवारों का स्वास्थ्य परिक्षण किया गया है. दोघरा में 93, शाहपुरमाफ़ी में 17, ठाढीभार में 66, आयर गौरीश्रीराम में ७८ लोगों का स्वास्थ्य परिक्षण किया गया. परिक्षण के दौरान बीमार मिलने पर दोघरा की ५५ वर्षीय गुलइची और रकबादुलमा पट्टी क १२ वर्षीय गुडिया को अस्पताल में भारती कराया गया है. ठाढीभार  में मनोज के डेढ़ वर्षीय पुत्र राहुल को कुपोषित पाए जाने पर जिला अस्पताल स्थित एसएनसीयू में भर्ती कराया गया है.

रामपुर पट्टी गांव में 55 लोगों की जाँच में 13 लोगों में तपेदिक के प्रारंभिक लक्षण पाए गए हैं.

पिछले वर्ष सितम्बर माह में पडरौना ब्लाक के जंगल खिरकिया गांव और दुदही ब्लाक के रकबा दुलमापट्टी गांव में पांच मुसहारों की मौत हुई थी. रकबा दुलमापट्टी गांव में पञ्च दिन के अन्दर एक महिला और उसके दो बच्चों की मौत हो गई थी तो जंगल खिरकिया गांव में नौजवान फेंकू और पप्पू की मौत हो गई थी. दोनों सगे भाई थे। दोनों गंभीर रूप से कुपोषित थे और उनकी मौत कुपोषण जनित बीमारी से हुई थी। फेकू और पप्पू की मां ने स्पष्ट रूप से कहा था कि उसके दोनेां बेटों की मौत भूख से हुई है लेकिन डीएम से लेकर सीएम तक ने दोनों की मौत को बीमारी बताया था।

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कुशीनगर जिले में डेढ दशक से कुपोषण, भूख, बीमारी से बड़ी संख्या में मुसहरों की मौत हुई है। जिले में 136 गांवों के 163 मजरों में मुसहर रहते हैं जिनकी संख्या एक लाख से अधिक बतायी जाती है। सभी मुसहर भूमिहीन हैं और सामजिक-आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। कृषि क्षेत्र में मशीनीकरण के चलते उन्हें काम नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा मनरेगा पर ध्यान नहीं दिए जाने के कारण उनकी स्थिति और खराब हुई है। युवा मुसहरों में पलायन बढ़ा है। आजीविका न होने से मुसहर और उनके बच्चे कुपोषण, बीमारी से असमय मौत के शिकार हो रहे हैं।

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