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मदरसा आधुनिकीकरण योजना : चार साल का मानदेय बकाया पर दिया सिर्फ साढ़े बाइस दिन का

गोरखपुर। केंद्र सरकार मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों के साथ मज़ाक कर रही है। वह भी पूरे चार साल से। अब तो सरकार ने हद कर दी है। मदरसा शिक्षकों का चार साल का मानदेय बकाया है। दिल्ली से लखनऊ तक धरना प्रदर्शन के बाद केंद्र सरकार ने मात्र साढ़े बाइस दिन का मानदेय जारी किया है। यह मानदेय अप्रैल 2016 का है।

पिछले माह 28 अगस्त को जारी आदेश के मुताबिक 160 मदरसों के 474 मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को यह मानदेय दिया जायेगा। परास्नातक/बीएड शिक्षक को 9000 रुपये व स्नातक शिक्षक को 4500 रुपये मिलेगा। चार साल बाद साढ़े बाइस दिन का मानदेय भेजना सवाल तो खड़ा करता है सबका साथ-सबका विश्वास पर।

पुरोनिर्धारित मदरसा (एसपीक्यईएम) आधुनिकीकरण योजना के तहत शिक्षक पैसे-पैसे को मोहताज है। वहीं मदरसे व शिक्षक कई बार जांच की प्रक्रिया से गुजर चुके हैं।

मदरसा व शिक्षकों का सारा विवरण मदरसा पोर्टल पर मौजूद है। केंद्र व राज्य सरकार के रवैये के विरोध में शिक्षक दिल्ली से लेकर लखनऊ तक गुहार लगा चुके हैं लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। उप्र के करीब 6726 मदरसों में उक्त योजना संचालित है। जिसमें करीब 20000 शिक्षक मदरसों में आधुनिक विषयों की शिक्षा विगत सन् 1998 से देते चले आ रहे हैं। काफी समय से यह शिक्षक उपेक्षित हैं। जिस वजह से शिक्षक भुखमरी व कर्ज के कगार पर पहुंच गए हैं। कई शिक्षकों की मृत्यु भी हो चुकी है।

शिक्षक मेहताब कहते हैं कि आधुनिक शिक्षा की वकालत करने वाली केंद्र व प्रदेश सरकार के कथनी और करनी में काफी अंतर देखने को मिल रहा हैं। दोनों सरकारें मदरसों में आधुनिकीकरण शिक्षा को बढ़ावा देने की बात तो करती हैं लेकिन मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय देने में हीलाहवाली कर रही हैं। अगर मदरसों के प्रति सौतेला व्यवहार करना है तो योजना बंद कर दें सरकार, ताकि शिक्षकों की मेहनत व भावनाएं तो आहत न हों।

शिक्षक नवेद आलम ने कहा कि सरकार का रवैया गैर जिम्मेदाराना है। चार साल का मानदेय बकाया है और मिल रहा है साढ़े बाइस दिन का। वह भी घटे दर से। मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों पर मदरसों में हिन्दी, विज्ञान, गणित, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी पढ़ाने का दारोमदार हैं। शिक्षक रोजी-रोटी, चिकित्सा समेत तमाम दुश्वारियों से दो चार होना पड़ रहा है।

शिक्षक मोहम्मद आज़म ने कहा कि केंद्र सरकार मदरसों शिक्षकों के साथ छल कर रही है। जारी मानदेय से सरकार की करनी का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। सबका साथ सबका विकास का नारा खोखला है। योजना जब से शुरू हुई है तब से सरकार माहवार मानदेय देने की व्यवस्था तक सुनिश्चित नहीं कर सकी है। जिले में करीब 160 के आस-पास मदरसे केंद्र सरकार द्वारा संचालित मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत आच्छादित हैं। इसमें करीब 474 शिक्षक कार्यरत हैं। समय से मानदेय नहीं मिलने से शिक्षकों की जिंदगी बेपटरी हो गई है।

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